सरगुजा: छत्तीसगढ़ में 1 दिसंबर से धान की खरीदी शरू कर दी गई है. इस बीच बारदानों की कमी की बात सामने आई, लेकिन सरकार ने भरोसा दिलाया की पुराने बारदाने, पीडीएस के बारदाने और राइस मीलर के सहयोग से बारदानों की पूर्ति कर ली जाएगी. लिहाजा सरगुजा में 60 प्रतिशत बारदानों के साथ धान की खरीदी शुरू कर दी गई. व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का दावा भी किया गया. अब धान की खरीदी शुरू हुए 10 दिन से अधिक का समय बीत चुका है. ऐसे में सरकारी दावों की पड़ताल करने ETV भारत की टीम धान खरीदी केंद्र पहुंची.
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ETV भारत की टीम ने धान खरीदी शुरू होने से पहले जिन धान खरीदी केंद्रों का जायजा लिया था. वहां व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का दावा किया गया था. दस दिन बाद हम फिर उसी केंद्र पहुंचे. जहां कमोबेस समिति और सरकार के दावों में सच्चाई नजर आई. बारदाने गोदाम में भरे हुए थे. धान को बारिश से बचाने तिरपाल की व्यवस्था दिखी. साथ ही जमीन से लगी धान की बोरियां बारिश में खराब ना हो जाये. इसके लिये भी समिति की कवायद देखी गई.
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पानी के बहाव से धान की खराबी को लेकर व्यवस्थाएं दुरुस्त
धान की मिसाई के बाद निकलने वाले धान के छिलकों को यहां बोरे में भरा जा रहा था. पूछने पर पता चला की छिलकों की इन बोरियों को धान रखने से पहले जमीन की पहली परत के बिछाया जाता है, ताकि पानी के बहाव से धान की एक भी बोरी खराब ना हो. निर्माणाधीन चबूतरा भी अब बन चुका है. आवश्यकता पड़ने पर उसका भी उपयोग किया जा सकता है.
एक ही कम्प्यूटर ऑपरेटर से बढ़ रहा लोड
धान खरीदी केन्द्र में किसानों से बातचीत करने के दौरान एक समस्या भी सामने आई. किसानों ने बताया कि यहां एक ही कम्प्यूटर ऑपरेटर है. बड़ा धान खरीदी केंद्र है. यहां अधिक किसानों का लोड है, जिस वजह से कई बार काम पेंडिंग रह जाता है. शासन से एक और कम्प्यूटर ऑपरेटर की मांग की गई है, जो अब तक अधूरी है.
नदारद मिले समिति के कर्मचारी
जब सरगंवा स्थिति नमनाकला धान खरीदी केंद्र में हम पहुंचे, तो वहां एक भी समिति का कर्मचारी उपस्थित नहीं मिला. लगभग एक घंटे रुकने के बाद भी समिति के लोग नजर नहीं आए. कम्प्यूटर कक्ष, सहित अन्य कक्ष में ताला लगा हुआ था. जबकि गोदाम और बारदानों का गोदाम खुला हुआ था. ट्रकों में धान की बोरियां लोड की जा रही थी. यहां हमें ड्यूटी पर तैनात पटवारी मिले, जो किसानों के दस्तावेजों की तस्दीक कर रहे थे.
पटवारी संजय ने बताया की समिति के लोग यहीं कहीं हैं, लेकिन हमसे किसी की मुलाकात ना हो सकी. किसान कोई एक घंटे तो कोई आधे घंटे से टोकन लेने का इंतजार करते नजर आए.