सरगुजा:देश में इस बात को लेकर चर्चा गर्म रहती है कि कौन सी सरकार कितना अधिक धान पर समर्थन मूल्य (MSP) दे रही है. सब खुद को किसान हितैषी बताने के चक्कर में समर्थन मूल्य बढ़ाने (raising the minimum support price) की दिशा में रेस लगाते दिखते हैं. इस कड़ी में राज्य सरकार ने 25 रुपये के साथ आने वाले समय में इसे 28 रुपये तक बढ़ाने का एलान कर दिया है, लेकिन एक तरफ समर्थन मूल्य बढ़ाना और दूसरी तरफ गिरदावरी के नाम पर किसानों के धान के रकबे को कम किया जाना कितना सही है.
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किसानों ने बताई समस्या
ETV भारत ने किसानों की समस्या जानने के लिये किसान चौपाल लगाई और इस चौपाल में किसानों से एक एक कर उनकी समस्या जानने का प्रयास किया. इस चौपाल में ज्यादातर लोग धान का रकबा कम किये जाने से परेशान नजर आए. किसानों का आरोप है कि पटवारियों ने मनमाने ढंग से उनकी जमीन पर धान का रकबा कम कर दिया. जबकि वो पहले से ज्यादा धान उगाते और बेचते थे, लेकिन अब गिरदावरी कर उनके रकबे को कम कर दिया गया है. एक किसान तो ऐसा मिला जिसका रकबा जीरो कर दिया गया है. मतलब यह किसान धान बेच ही नहीं सकता है.
ऐसी तमाम समस्याओं से सरगुजा के किसान जूझ रहे हैं, लेकिन इनका निदान कैसे होगा. ये किसी को पता नहीं, वहीं शासन के नियमों में दोहरे मापदंड भी देखे जा रहे हैं. वन अधिकार पत्र की भूमि पर कृषि करने वाले किसानों को सरकार कृषि ऋण, खाद और बीज तो दे रही है, लेकिन उस ऋण और खाद बीज से उगाया गया धान सरकार नहीं खरीद रही है. अब किसानों का कहना है कि जब धान ही नहीं खरीदेंगे तो वो अपना कर्ज कैसे चुकाएंगे.
कुल मिलाकर समर्थन मूल्य बढ़ाने के दावे और दूसरी तरफ समर्थन मूल्य की कुल धन राशि को कम करने की साजिश गिरदावरी के माध्यम से होती देखी जा रही है. किसानों के कई कई क्विंटल के रकबे कम कर उतने धान के समर्थन मूल्य देने से सरकार बच जायेगी और यह समस्या पिछले वर्षों से ही किसानों के साथ बनी हुई है.