सरगुजा: जिले के केरता का शक्कर कारखाना और रघुनाथपुर के गन्ना विक्रय केंद्रों में तेजी से गन्ने की फसलों की खरीदी की जा रही है. दूसरी ओर खांड़सारी उद्योग भी किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
क्षेत्र के लुण्ड्रा, बतौली समेत कई छोटे-छोटे जगहों पर खांड़सारी उद्योग स्थापित है. यहां आज भी किसान गन्नों की फसलों को बेचना पसंद करते हैं.
धूप में सूखते रहते हैं कटे हुए गन्नें
जानकारी के मुताबिक किसान केंद्रों से टोकन लेकर जितनी तेजी से अपने गन्ने की फसलों की कटाई करते हैं उतनी तेजी से गन्ने का उठाव नहीं हो पाता है. कटा हुआ गन्ना दो-तीन दिन तक धूप में सूखते रहते हैं. जिससे गन्ने का वजन भी कम हो जाता है और किसान को भी नुकसान होता है.
कैसे वरदान साबित हो रहा खांड़सारी उद्योग
इस साल पिछले साल की तुलना में इलाके में भारी मात्रा में गन्ने की फसल लगी है. बहुत से ऐसे किसान हैं जो अपनी फसल को खांड़सारी (गुड फैक्ट्री) उद्योगों में बेचना पसंद कर रहे हैं. क्योंकि इन उद्योगों से किसानों को न तो टोकन का इंतजार करना होता है, न ही उठाव की समस्या होती है और न ही रुपये लेने के लिए इंतजार करना पड़ता है. गन्ने की फसल धूप में खराब भी नहीं होती.
तुरंत गन्ने का मूल्य मिल जाता है
जैसे ही किसान अपनी फसलों की कटाई कर खांड़सारी उद्योग में लेकर जाते हैं, उन्हें तुरंत उसका मूल्य मिल जाता है. इससे किसान अपनी जरूरतों को आसानी से पूरा कर लेते हैं.
इस तरह ज्यादा मात्रा में अब किसान भी अपने गन्ने की फसलों को स्थानीय जगहों पर मौजूद खांड़सारी फैक्ट्रियों में बेचना ज्यादा पसंद करते हैं.