अंबिकापुर:छत्तीसगढ़ अपने पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है. अंबिकापुर के प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस मैनपाट की खूबसूरती निहारने हर साल देश-विदेश से लोग आते हैं. एक तरफ जहां सरगुजा पर्यचन के क्षेत्र में समृद्धशाली है, तो वहीं पहाड़, नदी, झरने, जंगल जैसी नैसर्गिक खूबसूरती वाला ये संभाग बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी जाना जाता है. ऐसी ही तस्वीर सामने आई है मैनपाट से.. जिसे देखते ही आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. पहुंचविहीन का दंश झेल रहे इन आदिवासियों की किस्मत में सिर्फ कठिन सफर झेलना ही लिखा है. हैरानी की बात तो यह है कि शासन-प्रशासन के लाख दावों के बाद भी स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त नहीं की गईं. इसका एक उदाहरण मैनपाट मुख्यालय में नजर आया, जब अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले दिव्यांग को घर जाने के लिए एम्बुलेंस तक नसीब नहीं हुई. एम्बुलेंस नहीं मिलने पर परिजन उसे कांवड़ में लादकर पहाड़, नदियों का खतरनाक सफर करते हुए जैसे-तैसे अपने गांव तक पहुंचे.
नहीं मिली एम्बुलेंस की सुविधा
इससे भी अजीब बात तो यह है कि मामला सामने आने के बाद अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी मरीज को डिस्चार्ज किए जाने की बात से ही इंकार कर रहे हैं और उल्टा मरीज पर ही भागने का आरोप मढ़ दिया गया है. जानकारी के अनुसार मैनपाट के जूनापारा गांव के जयनाथ नधिया मझवार पैर से दिव्यांग है. उसे उल्टी-दस्त की शिकायत के बाद इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कमलेश्वरपुर में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में चले तीन दिनों के इलाज के बाद उसे डिस्चार्ज तो कर दिया गया, लेकिन प्रबंधन उसे कोई एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं कराई. एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण लाचार परिजन उसे कांवड़ में लादकर ही घर की ओर निकल पड़े.
अस्पताल ने झाड़ा पल्ला
अस्पताल प्रबंधन एवं स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की हद तो यह है स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपना पल्ला झाड़ने के लिए यह कह रहे हैं कि मरीज को डिस्चार्ज किया ही नहीं गया है. सवाल यह भी है कि अगर मरीज को डिस्चार्ज नहीं किया गया, तो फिर वो अस्पताल से कैसे चला गया और मरीज पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी किसकी थी.