कोरिया: छत्तीसगढ़ का भगवान राम से गहरा नाता है. भगवान राम ने वनवास के दौरान काफी वक्त छत्तीसगढ़ में गुजारा था. छ्त्तीसगढ़ में पौराणिक, धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यताओं के आधार पर कई स्थानों को भगवान राम से जोड़कर देखा जाता है. राम वन गमन पथ के जरिए सरकार इन सभी स्थानों को जोड़ने का प्रयास कर रही है. भगवान श्रीराम अयोध्या से वनवास पर उत्तर से दक्षिण की ओर चल पड़े थे. इस दौरान उन्होंने करीब 10 साल दंडक वन में गुजारे. छत्तीसगढ़ में श्रीराम का पहला पड़ाव मवई नदी के तट पर सीतामढ़ी हरचौका में था. यह कोरिया जिले के भरतपुर तहसील में स्थित है.
सीतामढ़ी हरचौका में माता सीता ने बनाई थी रसोई 'छत्तीसगढ़ का नाम दक्षिणापथ था'
सीतामढ़ी-हरचौका प्राचीन काल से ही धार्मिक महत्त्व का स्थान रहा है. कोरिया जिले की भरतपुर तहसील के जनकपुर से करीब 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. शोधार्थियों के अनुसार छत्तीसगढ़ का इतिहास प्राचीन है. दण्डकारण्य में भगवान श्रीराम के वनगमन यात्रा की पुष्टि वाल्मीकि रामायण से होती है. छत्तीसगढ़ के लोकगीत में देवी सीता की व्यथा, दण्डकारण्य की भौगोलिकता और वनस्पतियों के वर्णन भी मिलते हैं.
भगवान राम ने उत्तर भारत से छत्तीसगढ़ में प्रवेश करने और यहां के विभिन्न स्थानों पर चौमासा व्यतीत करने के बाद दक्षिण भारत में प्रवेश किया था. इसलिए छत्तीसगढ़ को दक्षिणापथ भी कहा जाता है.
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सीता रसोई की बनावट
मवाई नदी के किनारे स्थित सीतामढ़ी-हरचौका की गुफा में 17 कक्ष हैं. इसे सीता की रसोई के नाम से भी जाना जाता है. यहां एक शिलाखंड है. लोग इसे भगवान राम का पद-चिन्ह मानते हैं. मवाई नदी तट पर स्थित गुफा को काट कर 17 कक्ष बनाए गए हैं. खास बात यह है कि 12 कक्ष में शिवलिंग स्थापित हैं. इसी स्थान को हरचौका (रसोई) के नाम से जाना जाता है.
भगवान राम हरचौका से रापा नदी के तट पर स्थित सीतामढ़ी-घाघरा पहुंचे थे. यहां करीब 20 फीट ऊपर 4 कक्षों वाली गुफा है, जिसके बीच में शिवलिंग स्थापित है.
पर्यटन स्थल के रूप में विकास
प्रशासनिक टीम इस जगह का निरीक्षण कर चुकी है. कार्ययोजना शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. मंदिर निर्माण के साथ ही रोड, शौचालय, यात्री प्रतीक्षालय भी बनेंगे. इन स्थलों का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचार-प्रसार होगा. लोगों को भी रोजगार मिलेगा.
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चलाया जा रहा है पौधरोपण का कार्यक्रम
राम वन गमन पथ पर पौधरोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. 'एक वृक्ष, एक व्यक्ति' के संकल्प के साथ बड़ी संख्या में पौधरोपण का लक्ष्य है. वृक्ष भंडारा और वृक्षदान जैसी योजनाओं के जरिए जिले भर में वृक्षारोपण की भी तैयारी है. 'ग्राम वनरोपण महोत्सव' कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं. ग्राम वन प्रबंधन समिति की देखरेख में इसे विकसित किया जाएगा.
राम से बड़ा राम का नाम
कहते हैं राम से बड़ा राम का नाम होता है. यही वजह है कि राम वन गमन पथ के जरिए छत्तीसगढ़ के कोरिया से लेकर सुकमा तक राम वन गमन पथ राममय किया जाएगा. राम वन गमन पथ को इस तरह तैयार किया जा रहा है कि लोग इस ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ाव महसूस कर सकेंगे.
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पहले चरण में 9 स्थानों को किया गया चिन्हित
पर्यटन विभाग ने इतिहासकारों से चर्चा कर विभिन्न शोध और प्राचीन मान्यताओं के आधार पर छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ के लिए 75 स्थानों को चिन्हित किया है. प्रथम चरण में जिन 9 स्थानों का चयन किया गया है. उनमें ये स्थान शामिल हैं.
- सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया)
- रामगढ़ (सरगुजा)
- शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा)
- तुरतुरिया (बलौदाबाजार)
- चंदखुरी (रायपुर)
- राजिम (गरियाबंद)
- सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी)
- जगदलपुर (बस्तर)
- रामाराम (सुकमा)