सरगुजा: मैनपाट वन परिक्षेत्र में 9 हाथियों का एक दल पिछले कई दिनों से डेरा जमाया हुआ है. हाथियों का दल बुधवार रात मैनपाट वन परिक्षेत्र के ग्राम बरडांड़ के रिहायशी इलाके में घुस गया. हाथियों के आतंक से ग्रामीणों ने भागकर किसी तरह अपनी जान बचाई. फिलहाल हमले में जनहानि की खबर नहीं है. हालांकि हाथियों ने ग्रामीणों के घरों को तोड़ दिया. बारिश के दिनों में ग्रामीणों के पास रहने के लिए ठिकाना नहीं है. हाथियों ने अनाज खाकर भी लोगों को काफी नुकसान पहुंचाया है. मैनपाट वन विभाग (Mainpat Forest Department) मुआवजा प्रकरण तैयार करने में जुट गया है. वन विभाग ने ग्रामीणों को मुआवजा देने का आश्वासन दिया है.
हाथियों के उत्पात का ताजा मामला फिर मैनपाट वनपरिक्षेत्र के ग्राम बरडांड़ से सामने आया है. जहां हाथियों के दल ने रिहायशी इलाके में घुसकर ग्रामीणों के मकानों को तोड़ दिया. जिससे बरसात के दिनों में घर नहीं होने से ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है. वन विभाग के अमले ने मौके पर जाकर ग्रामीणों से बातचीत कर उनके रहने के लिए अस्थायी ठिकाना दिया है. उनके टूटे हुए मकानों का आंकलन कर क्षतिपूर्ति भरपाई के लिए मुआवजा तैयार किया जा रहा है.
90 के दशक में सरगुजा में आए फिर बन गया स्थायी ठिकाना
मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा से जुड़े छत्तीसगढ़ को हाथियों का कॉरिडोर भी कहा जाता है. स्थानीय लोग बताते हैं कि 90 के दशक में बड़ी तादाद में झारखंड से सरगुजा की सीमा में घुसे थे. इसके बाद आना-जाना बढ़ता गया. फिर ये जंगल उनका स्थायी ठिकाना बन गया. इधर, ओडिशा से भी इनका पलायन रायगढ़, महासमुंद, बलौदा बाजार, गरियाबंद जिले में होता गया.