सरगुजा: लॉकडाउन के पांचवें चरण के दौरान जनजीवन सामान्य करने के लिए सरकार अनलॉक करने का सिलसिला शुरू कर चुकी है. इसके तहत अब स्कूल, कॉलेज, मॉल, धार्मिक स्थल खोलने का निर्णय लिया गया है. छत्तीसगढ़ सरकार ने भी 1 जुलाई से स्कूल खोलने के संकेत दिए हैं, लेकिन इसके बाद से ही इस फैसले के खिलाफ लोगों का विरोध शुरू हो चुका है. अनलॉक होने के बाद लगातार कोरोना के मामले बढ़ने लगे हैं, जिससे पैरेंट्स डरे हुए हैं और किसी भी हाल में अपने बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में नहीं हैं.
मासूमों की सुरक्षा की चिंता\जीरो ईयर घोषित करने की मांग
छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 जुलाई से स्कूल खोलने के संकेत दिए हैं, जिसके बाद आम लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है. बच्चों को हमेशा जबरदस्ती स्कूल भेजने वाले पैरेंट्स अब अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजने की बात कर रहे है. ऐसा सिर्फ एक दो नहीं बल्कि ज्यादातर पैरेंट्स चाहते हैं. दरअसल कोरोना संक्रमण के कारण पैरेंट्स डरे हुए है और इतने दिनों के बाद भी कोरोना की कोई भी वैक्सीन नहीं बनने और लगातार कोरोना के फैलने के कारण अभिभावक अपने छोटे बच्चों को स्कूल नहीं भेजना चाहते है. अपने छोटे बच्चों की सुरक्षा के लिए डरे हुए पैरेंट्स सरकार से इस साल को जीरो ईयर घोषित करने की मांग कर रहे है.
सोशल साइट्स पर फूट रहा लोगों का गुस्सा
सोशल साइट्स में भी लोग इसके खिलाफ अभियान चला रहे हैं, और स्कूल ना खोलने को लेकर समर्थन जुटा रहे हैं. सभी अभिभावकों का सिर्फ यही कहना है कि वो अपने बच्चों को तब तक स्कूल नहीं भेजेंगे जब तक कोरोना से निजात नहीं मिल जाती. अभिभावकों को डर है क्योंकि छोटे बच्चों को फिजिकल डिस्टेंसिंग, लगातार मास्क पहनना और सैनिटाइजर का उपयोग करना सिखाना काफी मुश्किल है, जो बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है. इतना ही नहीं ऑनलाइन पढ़ाई का भी पैरेंट्स विरोध कर रहे हैं. अभिभावकों का कहना है कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है. लिहाजा पैरेंट्स सरकार से इस शैक्षणिक सत्र को जीरो ईयर घोषित करने की मांग कर रहे हैं.