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SPECIAL: कोरोना से जंग में अंबिकापुर वासियों को मिलेगी मदद, जिले में कोरोना जांच की सुविधा शुरू

सरगुजा संभाग के लोगों के लिए राहत की खबर है. अब अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रू नॉट विधि से कोरोना की जांच की जाएगी. माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग ने इसकी अनुमति दे दी है.

corona test in ambikapur
अंबिकापुर अस्पताल में होगा कोरोना टेस्ट

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Published : Jun 30, 2020, 8:43 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: लंबे इतंजार के बाद आखिर अब वो वक्त आ गया है कि जब अंबिकापुर में भी कोरोना मरीजों की जांच की जा सकेगी. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग को ट्रू नॉट विधि से जांच की अनुमति मिल गई है. अनुमति मिलने के बाद सोमवार से ही अस्पताल में जांच शुरू हो चुकी है. अस्पताल ने एक दिन में 25 मरीजों की जांच का लक्ष्य रखा है.

अंबिकापुर में शुरू हुई कोरोना की जांच

अस्पताल के माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग में फिलहाल सरगुजा और बलरामपुर जिले के कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए प्राइमरी कॉन्टैक्ट के लोगों के सैंपल की जांच की जाएगी. कॉलेज प्रबंधन ही इसकी रिपोर्ट जारी करेगा. जिसके बाद इस रिपोर्ट की जानकारी एम्स और आईसीएमआर को भी भेजी जाएगी.

पहले दिन हुई पांच लोगों की जांच

सोमवार को पहले दिन अंबिकापुर के इस लैब में पांच लोगों के सैंपल की जांच की गई. सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है. पहले दिन कोविड अस्पताल के तीन डॉक्टर और क्वॉरेंटाइन सेंटर में मरीज के संपर्क में आए 2 कर्मचारियों के सैंपल की जांच की गई.

पहले रायपुर और रायगढ़ भेजे जाते थे सैंपल

प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. अब तक सरगुजा संभाग के कोरोना मरीजों के सैंपल को जांच के लिए रायपुर और रायगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है और इसकी जांच रिपोर्ट आने में काफी वक्त लगता है. कोरोना संदिग्धों की रिपोर्ट आने के बाद उनके प्राइमरी कॉन्टैक्ट के सैंपल लेकर उन्हें जांच के लिए भेजा जाता है. इससे रायपुर और रायगढ़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सैंपल बड़ी संख्या में पहुंच रहे थे. ऐसे में राज्य शासन ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर, बिलासपुर और राजनांदगांव में ट्रू नॉट मशीन से प्राइमरी कॉन्टैक्ट के लोगों की जांच की योजना बनाई है.

अस्पताल को दिए गए चार ट्रू नॉट मशीन

प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की पहल पर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग को चार ट्रू नॉट मशीन दी गई थी. ट्रू नॉट मशीन से जांच के लिए माइक्रो बायोलॉजिस्ट और 4 लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षण दिया जा चुका था. साथ ही आईसीएमआर ने यहां एक बेहतर लैब निर्माण के निर्देश दिए थे.

माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में बनाया जा रहा अत्याधुनिक लैब बनकर तैयार हो चुका है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आरटीपीसीआर लैब के ही समकक्ष लैब का निर्माण किया जा रहा था. माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग ने बताया कि इस लैब का निर्माण पूर्ण होने के बाद राज्य शासन की इकाई आईडीएफसी के माध्यम से आईसीएमआर से जांच की अनुमति मांगी गई थी.

अब आईसीएमआर ने जांच के लिए अनुमति प्रदान कर दी है और इस संबंध में संचालक स्वास्थ्य सेवाएं ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल को ट्रू नॉट पद्धति से जांच की अनुमति दी है. इसकी जानकारी सिम्स बिलासपुर को भी दे दी गई है.

CMHO ने इस तरह सैंपल के जांच के दिए हैं आदेश

राज्य शासन से अनुमति मिलने के बाद अब सरगुजा और बलरामपुर जिले में मिलने वाले संक्रमित मरीजों के क्लोज कॉन्टैक्ट की जांच की जा रही है. इसके लिए दोनों जिलों के सीएमएचओ को शासन ने आदेश जारी किया है कि संक्रमित मरीजों के प्राइमरी कॉन्टैक्ट के सैंपल संग्रहण कर 25-25 के समूह में उनकी पैकेजिंग की जाएगी. सैंपल को बॉक्स के अंदर 5-5 के समूह में संधारित किया जाएगा. बॉक्स के अंदर कोल्ड चेन बनाए रखने के लिए आइस पैक रखा जाएगा.

सैंपल का नाम, एसआरएफ आईडी, मोबाइल नंबर के साथ एक लाइन लिस्ट बनकर बॉक्स पर चस्पा करनी होगी. सैंपल लाइन लिस्ट की एक छाया प्रति लैब को भेजने के साथ ही सॉफ्ट कॉपी आईडीएसपी की राज्य सर्विलेंस इकाई को भेजी जाएगी.

एक दिन में 25-27 सैंपल्स की जांच का लक्ष्य

ट्रू नॉट मशीन से एक बार में दो सैंपल की जांच की जा सकती है. इस हिसाब से चार मशीन की सहायता से लगभग 25 से 27 जांच एक दिन में हो सकती है. ट्रू नॉट से जांच भी आरटीपीसीआर जांच की तरह ही है और इसकी रिपोर्ट दो घंटे में मिल सकती है. लेकिन एक बार सभी सैंपल्स की जांच होने के बाद ही एक साथ सभी सैंपल की जांच रिपोर्ट मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन द्वारा जारी की जाएगी.

टेक्नीशियन को पहनना होगा पीपीई किट

जांच के दौरान टेक्नीशियन को पीपीई किट के साथ ही सभी प्रकार की सावधानियां बरतनी होंगी क्योंकि यह बेहद संवेदनशील जांच होगी. यदि जांच रिपोर्ट धनात्मक आती है तो उस व्यक्ति को कोरोना संक्रमित ही माना जाएगा और रिपोर्ट निगेटिव आती है वो वह व्यक्ति संक्रमित नहीं होगा.

लैब के लिए सिविल वर्क का काम सीजीएमएससी कर रही है जबकि लैब तैयार करने की जिम्मेदारी बिलासपुर और राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज का लैब बना रही हैदराबाद की कंपनी आई क्लीन को दिया गया है. संभावना जताई जा रही है कि यह आरटीपीसीआर लैब भी एक महीने में पूरी हो जाएगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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