सरगुजा: लंबे इतंजार के बाद आखिर अब वो वक्त आ गया है कि जब अंबिकापुर में भी कोरोना मरीजों की जांच की जा सकेगी. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग को ट्रू नॉट विधि से जांच की अनुमति मिल गई है. अनुमति मिलने के बाद सोमवार से ही अस्पताल में जांच शुरू हो चुकी है. अस्पताल ने एक दिन में 25 मरीजों की जांच का लक्ष्य रखा है.
अस्पताल के माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग में फिलहाल सरगुजा और बलरामपुर जिले के कोरोना संक्रमित के संपर्क में आए प्राइमरी कॉन्टैक्ट के लोगों के सैंपल की जांच की जाएगी. कॉलेज प्रबंधन ही इसकी रिपोर्ट जारी करेगा. जिसके बाद इस रिपोर्ट की जानकारी एम्स और आईसीएमआर को भी भेजी जाएगी.
पहले दिन हुई पांच लोगों की जांच
सोमवार को पहले दिन अंबिकापुर के इस लैब में पांच लोगों के सैंपल की जांच की गई. सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई है. पहले दिन कोविड अस्पताल के तीन डॉक्टर और क्वॉरेंटाइन सेंटर में मरीज के संपर्क में आए 2 कर्मचारियों के सैंपल की जांच की गई.
पहले रायपुर और रायगढ़ भेजे जाते थे सैंपल
प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. अब तक सरगुजा संभाग के कोरोना मरीजों के सैंपल को जांच के लिए रायपुर और रायगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजा जाता है और इसकी जांच रिपोर्ट आने में काफी वक्त लगता है. कोरोना संदिग्धों की रिपोर्ट आने के बाद उनके प्राइमरी कॉन्टैक्ट के सैंपल लेकर उन्हें जांच के लिए भेजा जाता है. इससे रायपुर और रायगढ़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सैंपल बड़ी संख्या में पहुंच रहे थे. ऐसे में राज्य शासन ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल अंबिकापुर, बिलासपुर और राजनांदगांव में ट्रू नॉट मशीन से प्राइमरी कॉन्टैक्ट के लोगों की जांच की योजना बनाई है.
अस्पताल को दिए गए चार ट्रू नॉट मशीन
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव की पहल पर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग को चार ट्रू नॉट मशीन दी गई थी. ट्रू नॉट मशीन से जांच के लिए माइक्रो बायोलॉजिस्ट और 4 लैब टेक्नीशियन को प्रशिक्षण दिया जा चुका था. साथ ही आईसीएमआर ने यहां एक बेहतर लैब निर्माण के निर्देश दिए थे.
माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग द्वारा मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में बनाया जा रहा अत्याधुनिक लैब बनकर तैयार हो चुका है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आरटीपीसीआर लैब के ही समकक्ष लैब का निर्माण किया जा रहा था. माइक्रो बॉयोलॉजी विभाग ने बताया कि इस लैब का निर्माण पूर्ण होने के बाद राज्य शासन की इकाई आईडीएफसी के माध्यम से आईसीएमआर से जांच की अनुमति मांगी गई थी.