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SPECIAL: घर लौटे कुशल मेहनतकश, ठप हुआ ड्रीम प्रोजेक्ट्स का काम - डिगमा का इंजीनियरिंग कॉलेज

लॉकडाउन के कारण हर क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित है. सरगुजा संभाग में तीन बड़े ड्रीम प्रोजेक्ट अधर पर लटके हैं. लॉकडाउन के बीच राज्य सरकार ने निर्माण कार्यों की अनुमति तो दे दी है लेकिन अब मजदूरों की समस्या खड़ी हो गई. निर्माण कार्यों को पूरा करने के लिए ठेकेदारों के पास मजदूर नहीं है. लॉकडाउन के कारण कई कुशल मजदूर अपने प्रदेश की ओर पलायन कर चुके हैं.ऐसे में निर्माण कार्यों को समय पर पूर्ण करना ठेकेदार और विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है.

construction work stopped
मजदूरों के अभाव में बंद पड़े निर्माण कार्य

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Published : May 12, 2020, 11:08 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: लॉकडाउन की मार ने अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाला है. छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग के कई ड्रीम प्रोजेक्ट सिर्फ इसलिए बंद पड़े हुए हैं क्योंकि कुशल श्रमिक लॉकडाउन की वजह से अपने-अपने घर लौट गए हैं. लॉकडाउन की मार ने अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाला है. भारत ने जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि 365 करोड़ रुपए का निर्माण कार्य ठप पड़ा हुआ है.आप अंदाजा लगाइए कि जिसे हम मजबूर वर्ग समझते हैं, वो कितना मजबूत है.

लौट गए श्रमिक, ठप पड़ा काम

पिछले 40 दिनों के लॉकडाउन के दौरान मेडिकल कॉलेज अस्पताल और कॉलेज बिल्डिंग के साथ ही विश्वविद्यालय भवन, इंजीनियरिंग कॉलेज भवन के कुल मिलकर 365 करोड़ रुपए का निर्माण कार्य ठप पड़ा हुआ है. इन कार्यों में एक प्रतिशत की भी प्रगति नहीं हुई है. इन तीनों महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का सीधा संबंध सरगुजा संभाग के छात्रों और युवाओं से है. तीनों ही प्रोजेक्ट दो महीने में ही 6 महीने के लिए पीछे होते नजर आ रहे हैं. अगले डेढ़ महीने में बारिश का सीजन शुरू होते ही एक बार फिर से काम ठप पड़ जाएगा. ऐसे में निर्माण कार्यों को समय पर पूर्ण करना ठेकेदार और विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकती है.

बंद पड़े संभाग के तीन बड़े निर्माण कार्य

जिले में लोक निर्माण विभाग द्वारा शासकीय मेडिकल कॉलेज के साथ ही विश्व इंजीनियरिंग कॉलेज भवन और भकुरा में विश्वविद्यालय भवन निर्माण का काम कराया जा रहा है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल और भवन सहित अन्य निर्माण कार्यों की लागत लगभग 336 करोड़ रुपए है जबकि भकुरा स्थिति विश्वविद्यालय भवन की लागत 24.91 करोड़ है. वहीं डिगमा में चल रहे इंजीनियरिंग कॉलेज भवन की लागत 4 करोड़ रुपए है. ये तीनों निर्माण सरगुजा के युवाओं और छात्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण है और लंबे समय से इनका निर्माण चल रहा है.

वापस गए कुशल श्रमिक

लॉक डाउन के कारण 22 मार्च से सभी निर्माण कार्य ठप पड़े हुए हैं, जिससे विभाग व ठेकेदारों की परेशानी बढ़ गई है. वर्तमान में जितने भी बड़े प्रोजेक्ट चल रहे हैं उनमें काम करने वाले मजदूर दूसरे राज्यों से आते हैं. लॉकडाउन में अधिकत्तर मजदूर अपने घर की ओर पलायन कर गए हैं और जो थोड़े बहुत मजदूर फंसे हुए है उनसे काम को गति नहीं मिल पा रही है. लॉकडाउन का दूसरा चरण समाप्त होते होते शासन ने निर्माण कार्यों को शुरू करने की मंजूरी तो दे दी है लेकिन अभी भी सबसे बड़ी समस्या मजदूरों की है. इनके पास जो मजदूर हैं वो इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए काफी नहीं है. और अब बाहर से फिलहाल मजदूर आ नहीं सकते. जिले में भी आस-पास के मजदूरों की वैकल्पिक व्यवस्था हो सकती है लेकिन ठेकदारों का मानना है कि उनसे इतने बड़े प्रोजेक्ट में काम करना मुश्किल होता है ऐसे में निर्माण कार्य शुरू होने के बाद भी फिलहाल एक तरह से ठप पड़े हुए हैं.

अधर पर लटका मेडिकल कॉलेज अस्पताल भवन निर्माण कार्य

सरगुजा के लिए सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट की बात की जाए इनमें मेडिकल कॉलेज अस्पताल व भवन निर्माण है. इस भवन के निर्माण के लिए टेंडर डीवी प्रोजेक्ट को दिया गया है. 336 करोड़ की लागत से बनने वाले मेडिकल कॉलेज का निर्माण 9 मार्च 2019 को शुरू किया गया है और इसे मार्च 2021 में पूर्ण करना है. लेकिन अब तक इसमें सिर्फ 20 प्रतिशत यानी के 80 करोड़ का काम ही हुआ है. ऐसे में समय पर काम पूर्ण होना अब संभव नजर नहीं आ रहा है. मेडिकल कॉलेज के टेंडर में 267.76 करोड़ के सिविल वर्क किए जाएंगे जबकि 104.75 करोड़ की लागत से इलेक्ट्रिकल वर्क होगा और इनमें मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल भवन 500 बिस्तर का होगा. 500 बिस्तर वाले चार मंजिला मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल भवन का निर्माण 168 करोड़ 62 लाख रुपए, 100 बिस्तर वाले तीन मंजिला मेडिकल कॉलेज भवन का निर्माण 43 करोड़ 26 लाख रुपए, 750 सीटर ऑडिटोरियम भवन का निर्माण 12 करोड़ 7 लाख रुपए, स्टाफ क्वाटर्स डीन एवं मेडिकल अधीक्षक 2 यूनिट 1 करोड़ 61 लाख रुपए, आवासीय क्वाटर्स 8 ब्लॉक 170 फ्लैट्स 25 करोड़ 20 लाख रुपए, 125 सीटर 7 नग छात्रावास 30 करोड़ 6 लाख रुपए, गेस्ट हॉउस एक नग 2 करोड़ 83 लाख रुपए, एनीमल हॉउस, सेंट्रल किचन, सेन्ट्रल वर्कशॉप, सेन्ट्रल गैस प्लांट एवं एचव्ही एसी रूम 1 करोड़ 59 लाख रुपए की लागत से निर्मित होने हैं.

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय भवन निर्माण पड़ा ठप

संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय भवन की बात की जाए तो इस भवन के निर्माण के लिए 15 करोड़ 34 लाख व 9 करोड़ 56 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई थी. एसजीजीयू भवन निर्माण के लिए त्रणदर की प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद 1340. 97 लाख रुपए की लागत से 12.60 प्रतिशत बिलो की दर से प्रशासनिक भवन, विज्ञान एवं आर्ट डिपार्टमेंट व स्टाफ क्वाटर के लिए दुर्ग की श्याम इंफ्रास्ट्रचर कंपनी को टेंडर दिया गया था. इसके साथ ही विवि भवन के लिए दूसरा टेंडर 14.40 प्रतिशत बिलो की दर पर 818.58 लाख की लागत से सूरजपुर के आकाश कंस्ट्रक्शन को दिया गया था. आकाश कंस्ट्रक्शन को विवि के ऑडिटोरियम, लाइब्रेरी, वीसी बंगला, रजिस्ट्रार बंगला का निर्माण करना था.

श्याम इंफ्रा को लोनिवि द्वारा 10 जुलाई 2018 को वर्क ऑर्डर जारी किया गया था और इस कार्य को 20 महाने में पूरा करना था. जबकि आकाश कंस्ट्रक्शन को 8 अगस्त 2018 को वर्क ऑर्डर जारी किया था और इस काम को 15 माह में पूर्ण करना था लेकिन विवि भवन निर्माण कर रहे दोनों ठेकेदार शुरू से ही निर्माण को लेकर कोताही बरत रहे थे. इसी वजह से 20 प्रतिशत भी काम पूरा नहीं हुआ था और बीच में प्रसाशन को इनका टेंडर निरस्त भी करना पड़ा लेकिन फिर बाद में शासन ने इनके टेंडर को रिबोक कर दिया लेकिन फिलहाल लॉकडाउन में ये काम भी पूर्ण रूप से ठप पड़ा हुआ है.

डिगमा के इंजीनियरिंग कॉलेज का भवन निर्माण भी लटका

शासन ने डिगमा में इंजीनियरिंग कॉलेज के भवन निर्माण के लिए 404.91 लाख रुपए की स्वीकृति प्रदान की थी. इसके बाद जारी किए गए टेंडर उपरान्त लोनिवि द्वारा 10 प्रतिशत बिलो की दर से कोरबा की वेरायटी इण्डिया कंपनी से 364.42 लाख रुपए की लागत से निर्माण हेतु अनुबंध किया गया था. इंजीनियरिंग कॉलेज भवन के निर्माण का कार्य 17 नवम्बर 2017 को शुरू किया गया था और इसे 1 सितम्बर 2018 तक पूरा करना था लेकिन ठेकेदार की लापरवाही से दो सालों में भी यह निर्माण पूरा नहीं हो पाया.दो बार एक्सटेंशन लेने के बाद भी ठेकेदार निर्माण को पूर्ण नहीं कर सका और इसके टेंडर को भी निरस्त किया गया था. बाद में इसे भी रिबोक करने का निर्णय लिया गया था. लॉकडाउन में इंजीनियरिंग कॉलेज का काम भी पूर्ण रूप से ठप पड़ा हुआ है.

वर्तमान में कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे को देखते हुए लॉक डाउन किया गया है। लॉक डाउन की अवधि समाप्त होने के बाद यदि थोड़ी राहत मिल भी जाए तो निर्माण कार्यों को गति मिलना संभव नजर नहीं आ रहा है. लॉकडाउन खुलने के बाद एक तो मजदूरों के मिलने की समस्या होगी ही इसके साथ ही 15 जून से 15 अक्टूबर के समय को रेनी सीजन में गिना जाता है और बारिश में निर्माण कार्य संभव नहीं होते हैं. यदि निर्माण कार्य होते भी हैं तो उनकी गति धीमी होती है. वहीं अभी भी पिछले दो महाने में समय-समय पर हुई बारिश से निर्माण कार्य पर असर पड़ा है,जिसके बाद निर्माण कार्यों को पूरा करना ठेकेदार और विभाग के लिए चुनौती होगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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