सरगुजा: सरगुजासंभाग की 14 विधानसभा सीटों में से एक प्रतापपुर विधानसभा है. यह विधानसभा सूरजपुर जिले की एक मात्र एसटी आरक्षित सीट है. वर्तमान में यहां से प्रदेश के शिक्षा एवं सहकारिता मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम विधायक हैं. इससे पहले भी इस विधानसभा के विधायक राम सेवक पैकरा प्रदेश के गृहमंत्री रहे हैं. लगातार मंत्री देने वाली इस विधानसभा में विकास की बयार कुछ खास नहीं बह सकी है. फिलहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यहां पहुंच रहे हैं. अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री इस विधानसभा को क्या सौगातें देकर जाते हैं.
सरगुजा के प्रतापपुर में सीएम भूपेश बघेल का दौरा, प्रतापपुर विधानसभा की खास बातें जानिए
सरगुजा संभाग के प्रतापपुर विधानसभा की बात करें तो इस क्षेत्र में विकास की बयार कुछ खास नहीं बह सकी है. लेकिन प्रतापपुर विधानसभा ने कई मंत्री दिए हैं. आज मुख्यमंत्री सीएम भूपेश बघेल प्रतापपुर विधानसभा में रहेंगे. जानिए प्रतापपुर विधानसभा की खास बातें...
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2013 और 2018 विधानसभा चुनाव का लेखा-जोखा:प्रतापपुर (ST) विधानसभा सीट छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले की एक सीट है. ये सरगुजा लोकसभा सीट का हिस्सा है. इस विधानसभा सीट में वोटरों की कुल संख्या 2,07,788 है. 2013 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर रामसेवक पैकरा ने 66,550 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी को 8143 मतों के अंतर से हराया. दूसरा स्थान 58,407 वोटों के साथ डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम (कांग्रेस) को मिला था. तीसरा स्थान 6,380 वोटों के साथ आशा देवी पोया (जीजीपी) का रहा. वहीं 5814 वोटों के साथ नोटा को चौथा स्थान मिला था. चुनाव में कुल 1,59,495 मत पड़े थे. कुल 83.78% मतदान हुआ था.
प्रतापपुर विधानसभा सीट 2018 के चुनाव में गृहमंत्री रामसेवक पैकरा को करारी हार का सामना करना पड़ा था. रामसेवक पैकरा को कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. प्रेमसाय सिंह ने 43 हजार से अधिक मतों से हराया था. कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. प्रेमसाय सिंह को 90 हजार 148 मत मिले. जबकि रामसेवक पैकरा-भारतीय जनता पार्टी को 46043 मत ही मिले थे.
प्रतापपुर विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई. इससे पहले यह पिलखा विधानसभा का हिस्सा हुआ करती थी. पहली बार इस विधानसभा से 2008 में प्रेमसाय सिंह ही विधायक चुने गये थे. इस चुनाव में प्रेमसाय सिंह को कुल 51,505 मत मिले थे. जबकि भाजपा उम्मीदवार रामसेवक पैकरा को 49,132 वोट मिले थे. डॉ. प्रेमसाय विभाजित मध्यप्रदेश में भी मंत्री रह चुके हैं. वो 6 वीं बार विधायक चुने गये हैं. छत्तीसगढ़ गठन के बाद दूसरी बार मंत्री बनाये गये हैं.
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सरगुजा का परिचय:सरगुजा से अलग कर सूरजपुर जिला तो बना दिया गया लेकिन प्रतापपुर वासियों के लिये मुसीबत और बढ़ गई. पहले इनका जिला मुख्यालय अंबिकापुर 40 किलोमीटर की दूरी पर था. सीधा मार्ग था. लेकिन अब सूरजपुर जिला मुख्यालय होने से दूरी बढ़ गई है. व्यापार के दृष्टिकोण से भी यहां के लोगों के लिए ये सही नहीं है. यह एक ऐसी विधानसभा है, जिसका आधा हिस्सा सूरजपुर जिले में है तो आधा हिस्सा बलरामपुर जिले में है. ऐसे में आम लोगों की समस्याओं का अंदाजा लगाया जा सकता है.
प्रतापपुर विधानसभा हाथी प्रभावित क्षेत्र है. उपलब्धि के रूप में यहां शक्कर कारखाना स्थापित है. कई नई कोल खदानें खुल चुकी हैं तो कई नई परियोजनाओं पर काम चल रहा है. मुख्य रूप से कृषि और वनों पर निर्भर यह विधानसभा उत्तर प्रदेश की सीमा से सटी है.