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प्यास बुझाने के लिए जोखिम में जान, रोज मौत को दावत दे रहे बच्चे

Children Risk Their Lives To Drink Water अंबिकापुर जिले के सीतापुर में लमगांव प्राथमिक स्कूल के छात्र अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं.स्कूल के छात्र पीने के पानी के लिए रोजाना नेशनल हाईवे पार करते हैं.जो कभी भी हादसे का शिकार बन सकते हैं. Lamgaon Of Sitapur

Children risk their lives to drink water
प्यास बुझाने के लिए जोखिम में जान

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 21, 2023, 2:29 PM IST

प्यास बुझाने के लिए जोखिम में जान

सरगुजा : छत्तीसगढ़ में कई सरकारी स्कूल हाईवे के किनारे बनाए गए हैं.ताकि बच्चों को स्कूल आने जाने में दिक्कत ना हो.लेकिन कई जगहों पर ये सुविधा काफी खतरनाक साबित हो सकती है.क्योंकि बच्चे जाने अनजाने में सड़क पार करते रहते हैं.ऐसे में कभी भी दुर्घटना की स्थिति बन सकती है.ऐसा ही एक स्कूल सरगुजा के सीतापुर के लमगांव में है.जहां बच्चे मिड डे मील के बाद पानी पीने और बर्तन धोने के लिए सड़क पार करते हैं.

जान खतरे में डालकर पी रहे हैं पानी :सरगुजा जिले के प्राथमिक शाला लमगांव के छात्र अपने स्कूल परिसर में गंदा पानी होने के कारण मजबूरन अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं. स्कूल के बच्चे रोजाना नेशनल हाईवे 43 पार करके अपनी प्यास बुझाते हैं. ये छात्र शिक्षकों को चकमा देकर नेशनल हाईवे पार करते हैं.ऐसे में किसी दिन कोई भी छात्र तेज वाहन के चपेट में आ सकता है.

सड़क पार करने पर लगता है डर :ईटीवी भारत की टीम ने जब छात्रों से बात की तो उन्होंने बताया कि स्कूल परिसर में जो बोरिंग है उससे गंदा पानी निकलता है. इसी वजह से सड़क पार करके पानी पीने जाते हैं. सड़क पार करने के दौरान तेज रफ्तार गाड़ियां भी गुजरती रहती हैं. जिसके कारण उन्हें डर भी लगता है.वहीं स्कूल के शिक्षक का कहना है कि बच्चों को मना करने के बाद भी छिपते छिपाते वो लोग नेशनल हाईवे पार करते हैं. स्कूल परिसर में नल जल योजना के तहत पेयजल की व्यवस्था करनी थी. लेकिन काम अधूरा है.यदि पानी की व्यवस्था स्कूल के अंदर होती तो बच्चे सड़क पार नहीं करते. वहीं जिला शिक्षाधिकारी के सामने जब ये मामला लाया गया तो उन्होंने मामले की जानकारी होने के बाद पानी की सुविधा मुहैया कराने की बात कही.

कब सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था ? :ये सिर्फ प्राथमिक शाला लमगांव का ही मामला नहीं है. संभाग में ना जाने कितने ऐसे स्कूल होंगे जो इसी तरह की कई समस्याओं से जूझ रहे हैं.यदि शिक्षा सत्र शुरु होने से पहले ही स्कूल की बुनियादी चीजों पर काम कर लिया जाए,तो नौनिहालों को अपनी जान खतरे में नहीं डालनी पड़ेगी.भले ही अब तक लमगांव के इस स्कूल के छात्र किसी हादसे का शिकार नहीं हुए हैं,लेकिन जिस तरह पानी के लिए छात्र अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं वो कहीं ना कहीं आने वाले खतरे की घंटी है.

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