सरगुजा :आम तौर पर देखा जाता है कि पैरेंट्स छोटे बच्चों से अधिक स्नेह करने लगते हैं.लेकिन इस दौरान पैरेंट्स ही ऐसे कई काम अनजाने में करते हैं जिससे बच्चों के जीवन पर बुरा असर पड़ता है. जैसे 5 माह से एक साल के छोटे बच्चे स्मार्ट फोन का यूज करते हैं. सामूहिक आयोजनों में पैरेंट्स छोटे बच्चों को लेकर जाते हैं. वहां डीजे की तेज आवाज होती है. ऐसे में विशेषज्ञों ने बताया कि किस तरह से ये सारी चीजें बच्चों के लिए हानिकारक हो सकती हैं.
पहले और अब के जमाने में पैरेंटिंग में अंतर :पुराने समय के परिवारों में बड़े बुजुर्ग परंपरागत पैरेंटिंग सिखाते हैं. उसके अनुसार पैरेंट्स अपने बच्चों का ध्यान रखते हैं. लेकिन आधुनिक समय में तेजी से बदलाव हुए हैं. पुराने समय में ना डीजे होते थे. ना ही स्मार्ट फोन लिहाजा इनके परहेज भी बुजुर्गों ने नहीं बताए. नतीजतन समाज में डीजे बजाना और स्मार्ट फोन बच्चों को देना एक फैशन बन गया है. लेकिन इसके परिणाम बेहद घातक हैं. अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो सावधान हो जाईए.क्योंकि आप शिशु की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रहे हैं.
किन चीजों से बच्चों को बचाएं ? :छत्तीसगढ़ के सीनियर चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. अशोक भट्टर के मुताबिक मुख्य रूप से 3 वर्ष तक के बच्चों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. 2 वर्ष की उम्र तक अगर शिशु को स्मार्ट फोन या टीवी स्क्रीन देते हैं तो उस पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसे बच्चे बोलते नहीं है. उनको बातचीत करने में समस्या होती है. विशेष रूप से 3 साल से छोटे बच्चे चना, मूंगफली, मटर, छोटे वाले सेल ये बच्चे एकाएक मुंह में डाल लेते हैं.अगर वो हंस दिए तो वो सांस की नाली में चली जाती है.अगर ये हुआ तो ये जानलेवा होता है. अगर ये चीजें छोटे बच्चों को देना है तो क्रश करके या पूरा का पूरा पीस कर दें. वरना बहुत बड़ा रिस्क रहता है.
बच्चों को भरे हुए टब से दूर रखें : बच्चों को भरे हुए पानी जैसे घर के टब में भरा है, या मोहल्ले में कहीं पानी भरा है. इतना पानी जितने में मुंह भी डूब सकता है इससे दूर रखना है. ज्यादातर ये समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में आती है. वहां नल से पानी स्टोर करके रखते हैं या छोटी टंकियां बनवाते हैं. इसमें डूबने का खतरा बना रहता है. यदि ये हैं तो इन्हे ढंक कर रखें और बच्चे को वहां जाने से रोकें.
ऊपरी मंजिल में रहने वाले परिवार रखें ध्यान :अगर आप ऊपर की मंजिल में रहते हैं तो ये ध्यान रखें की सीढ़ी से बच्चा गिर ना जाए. वहां पर एक छोटा गेट लगाना चाहिए. किसी भी घर के छत या बालकनी में ऐसी रेलिंग बनाए कि बच्चे उसमें चढ़ ना सकें या उसमें से गिर ना सकें. कुछ लोग छत में किसी कारण से बाउंड्री नहीं करा पाते हैं. छत खुली रहती हैं. तो ये भी सुनिश्चित करें कि वहां बच्चा ना जा सके.
मोबाइल और टीवी का पड़ सकता है बुरा असर :मोबाइल टीवी के विषय में 2 साल की उम्र तक माना जाता है कि स्क्रीन टाइम एकदम निल होना चाहिए. कई बार मां बच्चे को खाना खिलाने या बहलाने के लिए मोबाइल दिखाती है. लेकिन इसकी आदत हो जाती है. जिससे बाद में मुश्किल पैदा हो जाती है. स्क्रीन टाइम बढ़ जाने से बच्चों मे संवाद वाली बात लेट हो जाती है. कम्यूनिकेशन कब होगा जब दो व्यक्ति आई टू आई कांटेक्ट करके बात करेंगे. यदि वो मोबाइल टीवी में ज्यादा समय देगा तो उसे संवाद मे दिक्कत आएगी-
यदि बच्चे का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है तो माता पिता को त्याग करना पड़ेगा. बच्चे को टाइम देना पड़ेगा. आप अपने मोबाइल के काम आफिस में रास्ते में कर लीजिए. लेकिन अगर घर में गए तो फिर बच्चे पर ध्यान दीजिए. परिवार के लोगों से बच्चों का संवाद होना चाहिए. इसमें बच्चों को चश्मा लग जाता है. बच्चे जिस तरह के प्रोग्राम देखते हैं वो उसी तरह के टोन में बात करने लगते हैं.