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मोदी जी का ज्ञान, डिग्री और संचार व्यवस्था नायाब: टीएस सिंहदेव - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान

सोशल साइट्स पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान का लोग खिल्ली उड़ा रहे हैं. अलग-अलग तरीके से लोग मजा भी ले रहे हैं. कुछ लोग इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए चिंता जाहिर कर रहे हैं, चिंता करना भी लाजमी है, क्योंकि ये बयान किसी नेता के तौर पर नहीं देश के मुखिया के तौर पर देखा जा रहा है.

टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़

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Published : May 16, 2019, 9:28 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बयान इन दिनों सोशल साइट्स पर छाया हुआ है. इससे पहले भी उनके कई बयान लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हैं. नाले से गैस, बिहार में तक्षशिला विश्वविद्यालय, बादल के कारण पाकिस्तानी रडार से लड़ाकू विमान के बचने वाले बयान के बाद मोदी का एक नया बयान 1988 में डिजिटल कैमरा और ई-मेल उपयोग को लेकर आया है.

टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री, छत्तीसगढ़

सोशल साइट्स पर लोग इस बयान की खिल्ली उड़ा रहे हैं. अलग-अलग तरीके से लोग मजा भी ले रहे हैं. कुछ लोग इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए चिंता जाहिर कर रहे हैं, चिंता करना भी लाजमी है, क्योंकि ये बयान किसी नेता के तौर पर नहीं देश के मुखिया के तौर पर देखा जा रहा है. छत्तीसगढ़ के मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंह देव ने से जब पूछा गया कि वो मोदी जी के इस बयान से क्या समझते हैं, तो वे सवाल सुनते ही हंसने लगे और पूरी बातचीत के दौरान वो मुस्कुराते हुए रहे.

सवाल: प्रधानमंत्री मोदी जी ने 1988 में डिजिटल कैमरा और ईमेल उपयोग करने की बात कही है.
जवाब: ये सब बात मोदी जी हीं कर सकते हैं, हालांकी उस समय मोबाइल आ गया था संचार व्यवस्था शुरू हो गई थी, लेकिन इसका उपयोग बहुत ही सीमित लोगों तक पहुंचा था. फेसबुक तो शायद मेल भी लांच नहीं हुआ था. मोदी जी की डिग्री भी वैसे ही रहती है, मोदी जी की संचार व्यवस्था भी वैसे ही रहती है, नालंदा यूनिवर्सिटी वैसे ही रहती है, तक्षशिला कहां है, सब नायाब रहता है.

सवाल: बादल में राडार काम नहीं करने का बयान प्रधानमंत्री ने दिया है?
जवाब: सोंचे की कैसा दुर्भाग्य है देश का जिस व्यक्ति की अंगुलियों में अणु बम के इस्तेमाल का निर्णय रह सकता है, वो व्यक्ति अगर ये कह सकता है की बादल में रडार स्कैन नहीं करता, जमीन के नीचे एक बार शायद काम ना करे, लेकिन बादल की वजह से अगर राडार काम ना करे तो हवाई जहाज कैसे उड़ेंगे, जिस हवाई जहाज में हम जाते हैं मोदी जी भी जाते हैं.

सवाल: सोशल साइट्स पर मजाक बनाया गया की डिश टीवी की छतरी भी तो बादल में काम नहीं करती है.
जवाब: अधिक बदल होने पर ऐसा होता है, उसकी इनटेंसिटी उसकी पावर इतनी नहीं होती, लेकिन अत्याधुनिक तकनीक वाले रडार अगर बदल में काम न करें तो बारिश के मौसम में युद्ध होने लगेगा. लोग अपने दुश्मन देश पर मजे से बम गिरा देंगे. आज के आधुनिक युग में जब सैटेलाइट से गेंहू के एक-एक कण की स्पष्ट तस्वीर ली जा सकती है, तब अगर हमारे प्रधानमंत्री जी ऐसी बातें करते हैं तो यह आपत्तिजनक भी है और हास्यास्पद भी.

क्या कहा था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने

1988 में ई-मेल का इस्तेमाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि "शायद मैंने पहली बार डिजिटल कैमरे का उपयोग किया था, 1987-88 में और उस समय काफी कम लोगों के पास ई-मेल रहता था, मैंने आडवाणी जी की फोटो खींच कर मेल की थी.

बादल और रडार
एक इंटरव्यू में पीएम ने कहा था "मैं दिन भर व्यस्त था, रात नौ बजे रिव्यू किया हमारे सामने समस्या थी, उस समय वेदर अचानक खराब हो गया था, बहुत बारिश हुई थी, विशेषज्ञ तारीख बदलना चाहते थे, लेकिन मैंने कहा की इतने बादल हैं, बारिश हो रही है तो एक फायदा है कि हम रडार से बच सकते हैं, सब उलझन में थे क्या करें, फिर मैंने कहा बदल हैं जाइये...और सेना चल पड़ी..."

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

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