सरगुजा: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बयान इन दिनों सोशल साइट्स पर छाया हुआ है. इससे पहले भी उनके कई बयान लोगों के बीच चर्चा का विषय बने हैं. नाले से गैस, बिहार में तक्षशिला विश्वविद्यालय, बादल के कारण पाकिस्तानी रडार से लड़ाकू विमान के बचने वाले बयान के बाद मोदी का एक नया बयान 1988 में डिजिटल कैमरा और ई-मेल उपयोग को लेकर आया है.
सोशल साइट्स पर लोग इस बयान की खिल्ली उड़ा रहे हैं. अलग-अलग तरीके से लोग मजा भी ले रहे हैं. कुछ लोग इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए चिंता जाहिर कर रहे हैं, चिंता करना भी लाजमी है, क्योंकि ये बयान किसी नेता के तौर पर नहीं देश के मुखिया के तौर पर देखा जा रहा है. छत्तीसगढ़ के मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीएस सिंह देव ने से जब पूछा गया कि वो मोदी जी के इस बयान से क्या समझते हैं, तो वे सवाल सुनते ही हंसने लगे और पूरी बातचीत के दौरान वो मुस्कुराते हुए रहे.
सवाल: प्रधानमंत्री मोदी जी ने 1988 में डिजिटल कैमरा और ईमेल उपयोग करने की बात कही है.
जवाब: ये सब बात मोदी जी हीं कर सकते हैं, हालांकी उस समय मोबाइल आ गया था संचार व्यवस्था शुरू हो गई थी, लेकिन इसका उपयोग बहुत ही सीमित लोगों तक पहुंचा था. फेसबुक तो शायद मेल भी लांच नहीं हुआ था. मोदी जी की डिग्री भी वैसे ही रहती है, मोदी जी की संचार व्यवस्था भी वैसे ही रहती है, नालंदा यूनिवर्सिटी वैसे ही रहती है, तक्षशिला कहां है, सब नायाब रहता है.
सवाल: बादल में राडार काम नहीं करने का बयान प्रधानमंत्री ने दिया है?
जवाब: सोंचे की कैसा दुर्भाग्य है देश का जिस व्यक्ति की अंगुलियों में अणु बम के इस्तेमाल का निर्णय रह सकता है, वो व्यक्ति अगर ये कह सकता है की बादल में रडार स्कैन नहीं करता, जमीन के नीचे एक बार शायद काम ना करे, लेकिन बादल की वजह से अगर राडार काम ना करे तो हवाई जहाज कैसे उड़ेंगे, जिस हवाई जहाज में हम जाते हैं मोदी जी भी जाते हैं.