सरगुजा: छत्तीसगढ़ के जनजातीय क्षेत्रों में मृत्यु दर का मामला राज्यसभा में उठाया गया. इस विषय में छत्तीसगढ़ से राज्य सभा सांसद राम विचार नेताम (Chhattisgarh Rajya Sabha MP Ram Vichar Netam) ने सवाल के माध्यम से जानकारी मांगी थी. जिसके जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा की देश में मृत्यु दर कम हो रही है जबकी छत्तीसगढ़ में बढ़ रही (Mortality Rate in Tribal Areas in Chhattisgarh ) है. अब इस बयान के साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Health Minister T S Singhdeo ) में मृत्यु दर के आंकड़े भी प्रस्तुत किए हैं.
जनजातीय क्षेत्रों में मृत्यु दर पर सियासत जाहिर है कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार. ऐसे में इस बयान के सियासी मायने भी हैं. इस विषय में ईटीवी भारत ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव से चर्चा की. चर्चा के दौरान सिंहदेव ने कहा कि उन्हीं के आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में प्रतिवर्ष मृत्यु दर में गिरावट आई है. लेकिन आलोचना से सीख लेकर हमें और बेहतर करने की जरूरत है. प्रतिशत कम या ज्यादा का विषय नहीं होना चाहिये. प्रयास इसे अधिक से अधिक कम करने का होना चाहिए.
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सवाल : सदन में इस तरह की बात आयी, योजनायें कितनी धरातल पर है?
जवाब : कहीं कोई कमी ना हो ये तो नहीं कहा जा सकता. मैंने सुना तो नहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जी ने क्या कहा? यदि उन्होंने ये कहा है कि यहां स्थिति अच्छी नहीं है तो मैं इस बात से सहमत नहीं हूं. स्वयं पार्लियामेंट में उन्होंने जो आंकड़े प्रस्तुत किये हैं. आज एक अखबार में मैंने पढ़ा रामविचार जी के हवाले से कि उन्होंने प्रश्न लगाया था तो आंकड़े ही बता रहे हैं कि 2019 से कम मृत्यु 2020 में हुई. 2020 से कम मृत्यु 2021 में हुई. महिलाओं के संदर्भ में भी, जनजातीय संदर्भ में भी और बच्चों के संदर्भ में भी. तो उनके खुद के ही आंकड़े ये बता रहे हैं कि आगे-आगे साल में संख्या कम होती गई. आबादी अगर बढ़ रही है तो और प्रतिशत कम हो जाएगा. ये और बात है. फिर भी अगर प्रश्न के माध्यम से ध्यान आकर्षण किया गया है तो हम लोगों के लिए अवसर है कि हम लोग जानकारी हासिल करें. जितनी भी कमियों को दूर किया जा सकता है उसमें पहल करें वरना उनके खुद के ही आंकड़े बताते हैं कि साल-दर-साल मृत्यु की संख्या कम होती चली गई.
सवाल : ये जो आरोप लगाए गए, जो प्रश्न लगाया गया पिछले दिनों सरगुजा संभाग में हुई जनजातीय लोगों की मौत के मामले में केंद्रित दिखता है. इसे लेकर किस तरह की योजना प्रदेश में है. जनजातीय वर्ग की जांच, इलाज, हेल्थ कार्ड की क्या व्यवस्था है?
जवाब : हर सच के दो पहलू होते हैं. सच्चाई का दूसरा पहलू मीडिया में जब बात आ जाती है तो एक सनसनी फैल जाती है. इतने लोग मर गये. इस जाति के इतने लोग मर गये, कितने महीने में कितने लोग मर गये, मैंने भी शासन की ओर से जांच कराया है, जिसमें पाया गया था कि सर्प दंश से जो मृत्यु हुई है, उनको भी उसी में जोड़ दिया गया. जो डूब कर मरे हैं, उनको भी जोड़ दिया गया. इस बीच कुछ और कारण हैं. जांच के दौरान ये बात सामने आई थी की एक बीमारी जंगली पत्तों के माध्यम से फैल रही है. इसकी जांच के लिये सैम्पल जबलपुर तक भेजा गया लेकिन बहुत सस्ती सी दवाई से इसका इलाज होना था. आखिरकार सब कुछ ठीक कर लिया गया. एक बात और सामने आई कि मितानिनों में उस समाज का होना भी एक विषय है. जनजातीय समाज से ही अगर मितानिन होंगी तो ज्यादा सरलता होगी. इस बाबत भी प्रयास किया जा रहा है.
रामविचार नेताम के सवाल को सिंहदेव ने किया खारिज
बहरहाल इस विषय में तमाम सवालों के जवाब स्वास्थ्य मंत्री ने दिए. लेकिन पूरी बातचीत का सार ये निकला कि उन्होंने राज्यसभा में छत्तीसगढ़ पर हुई टिप्पणी को खारिज किया और तर्क भी दिया की उनके ही दिए गए आंकड़े बता रहे हैं कि हर वर्ष मौत के मामलों में सुधार हो रहा है और बात यही होनी चाहिये कि सुधार हो रहा है या नहीं. स्वास्थ्य मंत्री ने अपने बयान में स्वास्थ्य कर्मियों का खुलकर समर्थन भी किया.