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सरगुजा: लेमरू हाथी प्रोजेक्ट पर गरमाई सियासत, बीजेपी ने भी शुरू किया विरोध - BJP District President of Surguja submitted memorandum

लेमरू हाथी परियोजना को लेकर सियासत गरमाने लगी है. अब बीजेपी ने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. इसे लेकर बीजेपी के जिलाध्यक्ष ललन प्रताप सिंह ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है, साथ ही स्वास्थ्य मंत्री पर दोहरी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफा देने की मांग की है.

BJP District President submitted memorandum to Surguja Collector
लेमरू हाथी प्रोजेक्ट के खिलाफ बीजेपी ने सौंपा ज्ञापन

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Published : Oct 15, 2020, 7:55 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा:लेमरू हाथी परियोजना को लेकर अब जिले में सियासत गरमाती जा रही है. एक तरफ प्रदेश के कद्दावर नेता और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने ग्रामीणों के पक्ष में उनके साथ खड़े रहने का एलान कर दिया है. उन्होंने बिना किसी के दबाव में आए प्रोजेक्ट के लिए ग्राम सभा में बनने वाली सहमति पत्र पर दस्तखत करने से मना कर दिया है. सिंहदेव ने जरूरत पड़ने पर खुद आंदोलन और आमरण अनशन करने की चेतावनी दे दी है. दूसरी तरफ अब बीजेपी ने भी लेमरू प्रोजेक्ट में राजस्व के गांव को शामिल किए जाने का विरोध शुरू कर दिया है और इसे लेकर बीजेपी के एक प्रतिनिधिमण्डल ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. बीजेपी ने स्वास्थ्य मंत्री पर भी दोहरी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उनसे इस्तीफा देने की मांग की है.

लेमरू हाथी प्रोजेक्ट के खिलाफ बीजेपी ने सौंपा ज्ञापन

दरसअल प्रदेश सरकार हाथियों के संरक्षण के लिए हाथी कॉरिडोर का निर्माण करा रही है, जिसे लेमरू प्रोजेक्ट का नाम दिया गया है. इस लेमरू प्रोजेक्ट में पहले 450 वर्ग किलोमीटर का एरिया लिया जाना था, लेकिन बाद में दायरा 1995 वर्ग किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया. अब प्रशासन ने लेमरू प्रोजेक्ट को लगभग 4 हजार वर्ग किमी तक बढ़ाने का फैसला लिया है, जिसके लिए सर्वे भी किया जा रहा है. इसमें सरगुजा जिले के उदयपुर विकासखंड के 39 गांव शामिल हो रहे हैं. इसे लेकर एक तरफ ग्रामीणों की बेचैनी बढ़ गई है और इस प्रोजेक्ट में इन गांवों को शामिल करने का विरोध किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ उदयपुर विकासखंड के दौरे पर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने ग्रामीणों के पक्ष में बयान देकर उनका समर्थन कर दिया है.

लेमरू प्रोजेक्ट से 39 गांवों को हटाने की मांग

मंत्री सिंहदेव ने कहा था कि इन राजस्व के गांव को इस प्रोजेक्ट में शामिल करने की जरूरत नहीं है और वे इन गांवों को प्रोजेक्ट में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं, इसलिए ग्रामीण भी किसी के दबाव में न आएं और दस्तखत न करें. अब इस मसले को लेकर बीजेपी ने भी क्षेत्र में सर्वे कराया है और ग्रामीणों की राय ली है. बुधवार को लेमरू प्रोजेक्ट से 39 गांव को हटाने की मांग को लेकर बीजेपी के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाध्यक्ष, पूर्व सांसद और अन्य पदाधिकारियों के साथ कलेक्टर से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा. भाजपा ने लेमरू प्रोजेक्ट से इन गांवों को हटाने की मांग की है और कहा है कि वे ग्रामीणों के साथ खड़े रहेंगे.

पढ़ें:लेमरू प्रोजेक्ट पर बोले स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव: बिना आपकी अनुमति के अभ्यारण्य में नहीं जाएगी आपकी जमीन

मंत्री के इस्तीफे की मांग

अपने ही सरकार के खिलाफ लेमरू प्रोजेक्ट में इन गांवों को शामिल किए जाने का विरोध करने को लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष ललन प्रताप सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री पर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि मंत्री सिंहदेव कैबिनेट की बैठक में शामिल थे और जब इस प्रस्ताव को पास किया जा रहा था, तब उन्होंने कोई विरोध नहीं किया. उन्हें कैबिनेट की बैठक में इसका विरोध करना था और प्रोजेक्ट को पास नहीं होने देना था. अब अगर प्रोजेक्ट पास हो गया है, तो वे यहां आकर इसके खिलाफ बात कर रहे हैं. बीजेपी ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री को या तो पद से इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर लोगों को भ्रमित नहीं करना चाहिए.

जुड़ा हुआ है ग्रामीणों का जीवन

बीजेपी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट में 39 गांव को शामिल करने से ग्रामीणों में विस्थापन को लेकर बेचैनी बढ़ गई है. जंगल से उनका जीवन जुड़ा हुआ है और वे इनसे मिलने वाले महुआ, हर्रा बहेरा सहित अन्य लघुवनोपज के जरिए अपना जीवनयापन करते हैं. जंगल में हाथियों की मौजूदगी भी बनी रहती है, ऐसे में इन गांवों को शामिल करने से ग्रामीणों को जंगल से हटना पड़ेगा.

पढ़ें:सरगुजा: लेमरू हाथी परियोजना को लेकर ग्रामीणों ने सरकार का किया विरोध

'मानव और हाथियों के बीच द्वंद्व होगा खत्म'

इधर इस मामले में प्रशासन का तर्क है कि हाथी कॉरिडोर बनने से इंसान और जंगली जानवरों खासकर हाथी के साथ जो द्वंद्व चल रहा है, वो खत्म हो जाएगा. इसके साथ ही लोगों के हित की रक्षा होगी ही और वन और वन्यप्राणी भी सुरक्षित रहेंगे. अगर यह क्षेत्र एलिफेंट कॉरिडोर हो जाता है, तो फिर इस क्षेत्र के वन प्रबन्धन और वन संसाधन को सुरक्षित रखते हुए ही किसी भी प्रकार का विकास कार्य हो सकेगा. अब देखना यह है कि लेमरू प्रोजेक्ट में इन 39 गांवों को शामिल करने को लेकर चल रहे विरोध के बाद क्या ग्रामीणों को सरकार की तरफ से कोई राहत मिल पाती है या नहीं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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