सरगुजा: छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के विधानसभा क्षेत्र के गांवों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र किस हाल में हैं, ETV भारत की टीम इसका जायजा लेने पहुंची. ETV भारत ने ये जानने की कोशिश की कि कोरोना की दूसरी लहर में ये स्वास्थ्य केंद्र किस स्थिति में हैं ? यहां डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ है या नहीं ? इलाज की व्यवस्थाएं कैसी हैं ?
सबसे पहले ETV भारत लहपटरा गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचा. यहां अस्पताल के मुख्य द्वार का गेट बंद मिला और उस पर अंदर से ताला लगा हुआ था. पहली बार देखने पर यही लगा कि शायद अस्पताल बंद है. लेकिन वहीं बगल में इस अस्पताल के प्रभारी खड़े थे. उन्होंने बताया कि असल सुरक्षा की दृष्टि से यह ताला लगाया गया है. इसी अस्पताल में कोविड के मरीज आते हैं. यहीं नॉन कोविड और खासकर के गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है. ऐसे में अगर अस्पताल का गेट खोलकर सभी को अंदर प्रवेश दिया गया तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा.
बिना संपर्क में आए हो रहा इलाज
आगे पूछने पर पता लगा की ग्रामीण क्षेत्र के अस्पताल शहरों से भी ज्यादा सुरक्षा का ख्याल रख रहे हैं. यहां आने वाले हर मरीज के लिये सुरक्षित नियम बनाए गए हैं. मरीज खिड़की से ओपीडी रजिस्ट्रेशन कराते हैं. खिड़की से ही मरीज को चिकित्सकीय परामर्श मिलता है. अस्पताल के बाहर ही लैब बनी है. कोरोना के संदेह पर मरीज को बाहर से ही लैब भेज दिया जाता है. सैम्पल के लिये. और फिर अस्पताल के मुख्य द्वार पर बनाये गए देसी जुगाड़ के जरिये इन्हें दवाई दे दी जाती है. दरअसल जालीदार गेट में एक बॉक्स लगाया गया है, जिसमे फार्मासिस्ट अंदर से दवाइयां रख देते हैं. मरीज उस दवाई को उठा लेते हैं. अंदर से ही दवाइयों के सेवन का नियम उन्हें समझा दिया जाता है, ऐसे में मरीज या स्टाफ दोनों संक्रमण के खतरे से दूर हैं. इस अस्पताल में उतने ही स्टाफ अपनी टेबल पर होते हैं, जिनकी जरूरत होती है. बाकी के स्टाफ अस्पताल के बाहर गार्डन में टेबल कुर्सी लगाकर ऑफिशियल वर्क करते हैं.
पर्ची मरीज नहीं, वार्ड ब्वॉय लेकर जाते हैं
नॉन कोविड मरीजों और खासकर गर्भवती महिलाओं के लिये अस्पताल के पीछे का दरवाजा खोला गया है, जिन्हें सीधे अस्पताल के अंदर ले जाया जाता है. यहां व्यवस्थित प्रसव कक्ष के साथ नवजात शिशु के बेहतर देख रेख के लिए भी विशेष बेड की व्यवस्था है. साथ ही प्रसव के बाद प्रसूताओं के रहने के लिये भी अलग से कक्ष बनाया गया है. यहां नेत्र चिकित्सा यूनिट भी संचालित है. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर लोगों की आंखों का इलाज भी गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में ही करते हैं. इस अस्पताल ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिये एक और बढ़िया तरकीब निकाली है. यहां किसी भी मरीज को ओपीडी पर्ची नहीं दी जा रही है. ओपीडी काउंटर से डॉक्टर के पास, लैब और फार्मासिस्ट तक पर्ची को वार्ड ब्वाय लेकर जाते हैं. मरीज को पर्ची नहीं दी जाती है, ताकि एक दूसरे के संपर्क में बार बार आने से संक्रमण ना फैल जाए. अंत में मरीज को दवाई के साथ उसकी पर्ची बिना छुए दी जाती है.
गांव-गांव ईटीवी भारत: बेमेतरा के मारो गांव में अब तक शुरू नहीं हो पाया कोविड अस्पताल
ग्राम सालका के उप स्वास्थ्य केंद्र का हाल