सरगुजा: मौसम अब खेती और गार्डनिंग का हो चला है, ये कोई नई बात नहीं है. हर वर्ष बरसात में लोग गार्डनिंग करते हैं. फल और साब्जियां खेत व गार्डन में उगाते हैं. लेकिन बदलते वक्त के साथ परम्परागत खेती में बदलाव हुए हैं. आधुनिक खेती काफी अधिक मुनाफा दे रही है. आधुनिक खेती के तरीकों में ग्राफ्टिंग काफी फेमस तरीका है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ग्राफ्टिंग कैसे की जाती है.
क्या है ग्राफ्टिंग: उद्यानिकी की एक तकनीक है, जिसमें एक पौधे के ऊतक दूसरे पौधे पौधे के ऊतकों में प्रविष्ट कराये जाते हैं. जिससे दोनों के वाहिका ऊतक आपस में मिल जाते हैं. इस प्रकार इस विधि से अलैंगिक प्रजनन द्वारा पौधे तैयार किये जाते हैं. इसे ही हार्टिकल्चर में ग्राफ्टिंग कहा जाता है.
ऐसे करें ग्राफ्टिंग:हार्टिकल्चर विभाग के सीडलिंग प्लांट में ग्राफ्टिंग कर रही महिला चंद्रकांती ने बताया कि "अगर टमाटर की फसल के लिये ग्राफटिंग करना है, तो टमाटर का हाइब्रिड प्लांट और बैगन का जंगली प्लांट लेना होगा. टमाटर का प्लांट 20 से 25 दिन का और बैगन का प्लांट 40 से 45 दिन का होना चाहिये. इसके बाद दोनों प्लांट को तने के पास तिरछा कट करना है. काटने के बाद बैगन के जड़ से तने तक का हिस्सा और टमाटर का तने से पत्ते तक का हिस्सा, जहां कट किया है, वहां से जोड़ देंगे. इसे जोड़ने के लिए आप प्लास्टिक की क्लिप ले सकते हैं.
ग्राफ्टिंग के बाद की प्रोसेस:इसके बाद ग्राफ्टेड प्लांट को कपड़े के छोटे बैग हाउस में एक सप्ताह रखना है. उस कपड़े में पानी डालना है. प्लांट में सीधे पानी नहीं डालें. इस प्रक्रिया के बाद प्लांट को एक सप्ताह ऐसे कमरे में रखना है, जहां तापमान सामान्य रहे. तेज धूप, तेज हवा या अधिक पानी इसमें ना जाये. ग्राफ्टिंग के दो सप्ताह बाद यह पौधा अब खेत का बागवानी में रोपने के लिए तैयार हो जाते हैं. थोड़ी ही मेनहत और आधुनिक तरीकों से ना सिर्फ आप सुरक्षित पौधे रोप सकेंगे बल्कि अधिक उत्पादन कर अधिक मुनाफा भी कमा सकेंगे.