सरगुजा: स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में एक नये नियम की वजह से नंबर वन की श्रेणी से चूकने के बाद अम्बिकापुर नगर निगम ने 2022 के सर्वेक्षण से पहले ही इसका रास्ता निकाल लिया है. अब अम्बिकापुर सीवरेज के नियम में भी खुद को आगे रखने का जुगाड़ कर चुका है, जिससे उम्मीद है कि अम्बिकापुर नगर निगम एक बार फिर देश का सबसे स्वच्छ शहर का खिताब पाने में सफल हो सकेगा.
पिछले साल इस वजह से कटे थे नंबर, अम्बिकापुर ने स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर वन आने का निकाला हल - अम्बिकापुर नगर निगम
स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में एक नये नियम की वजह से नंबर वन की श्रेणी से चूकने के बाद अम्बिकापुर नगर निगम ने 2022 के सर्वेक्षण से पहले ही इसका रास्ता निकाल लिया है.
यह भी पढ़ें:सरगुजा में तपती गर्मी : 8 में से 2 वाटर एटीएम बंद, प्रभारी बोले-जल्द होगा सुधार
इंदौर को मिल गए सीवरेज के अंक:स्वच्छता सर्वेक्षण 2021 में एक नया नियम जोड़ दिया गया, नियम यह था कि जिन शहरों में अंडर ग्राउंड सीवरेज सिस्टम है, उन्हें उसके अलग से अंक दिए जाएंगे. इस नियम के कारण साधन संम्पन्न नगर निगम इंदौर के अंक बढ़ गये और परस्पर प्रति द्वन्दी रहने वाला अम्बिकापुर नगर निगम दूसरे स्थान और पहुंच गया था.
अब नही कटेंगे नंबर:लेकिन इस साल सर्वेक्षण के पहले ही अम्बिकापुर ने इस समस्या का हल निकाल लिया है. अम्बिकापुर में एफएसटीपी और एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) की अधिक उपलब्धता के आधार पर सर्वेक्षण करा रहा है, जिससे अंडर ग्राउंड सीवरेज सिस्टम नहीं होने से कटने वाले अंक अब नही काटे जा सकेंगे.
15 एमएलडी का ट्रीटमेंट:अम्बिकापुर नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले प्रति व्यक्ति व प्रति घर के हिसाब से एफटीपी और एफएसटीपी की उपलब्धता बना चुका है. जिनमें नगर निगम का एफएसटीपी व निजी कालोनियों में लगे एसटीपी प्लांट शामिल हैं. 100 लीटर प्रति व्यक्ति और 500 लीटर प्रति घर के हिसाब से मलबे और पानी के ट्रीटमेंट की व्यवस्था होनी चाहिये. अम्बिकापुर में 15 लाख लीटर यानी की 15 एमएलडी मलबे के ट्रीटमेंट की व्यवस्था है, जिसे सर्वेक्षण में शामिल किया गया है. वजह यह है कि अम्बिकापुर के रास्ते मे बाधा नहीं बन सकेगी जिस वजह पिछले साल अम्बिकापुर के नंबर कट गये थे.
यह भी पढ़ें:स्वच्छता सर्वेक्षण 2021: दिल्ली से अवार्ड लेकर अंबिकापुर आए महापौर अजय तिर्की ने साझा किए अनुभव
एफएसटीपी से मलबे का ट्रीटमेंट:अम्बिकापुर नगर निगम एनजीटी के नियमो का पालन कर रहा है. यहां 5 वर्ष पहले ही एफएसटीपी प्लांट लगा लिया गया है, जिसमे शहर के घरों के सेप्टिक टैंक से निकलने वाले मलबे का ट्रीटमेंट किया जाता है और उससे निकलने वाले साफ पानी का रियूज गार्डन की सिंचाई या कंस्ट्रक्शन वर्क में किया जाता है.
सीवरेज सिस्टम: नगर निगम ने सभी कालोनियों में अंडर ग्राउंड सीवरेज सिस्टम और एसटीपी प्लांट की अनिवार्यता कर रखी है. बिना एसटीपी प्लांट के निर्माण की अनुमति ही नगर निगम नही देता है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण में मिलने वाले अंकों में भी ये सारे नियम शामिल हैं. वाटर प्लस की श्रेणी में आने और अंक पाने के लिए भी ये सारी कवायद जरूरी है. असल में ये पूरी कवायद सिर्फ एक प्रतियोगिता जीतने के लिए नहीं होती. बल्कि उसके पीछे नमामि गंगे जैसे बड़े मकसद छिपे हुए हैं. फिलहाल अम्बिकापुर नगर निगम क्षेत्र में 15 एमएलडी क्षमता से अधिक का सीवरेज ट्रीटमेंट सिस्टम मौजूद है, जो यहां की आबादी के हिसाब से फिलहाल पर्याप्त है.