कांकेर: आजादी से 73 साल गुजर गए हैं. लेकिन छत्तीसगढ़ के वनांचलों के आज भी कुछ इलाके ऐसे हैं, जहां न सरकार पहुंची न ही विकास पहुंचा है. जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित नरहरपुर ब्लॉक के जामगांव में संवारा गोंड समुदाय के 10 सपेरे परिवार पिछले 15 सालों से रह रहे हैं. इन परिवारों के पास न आधार कार्ड है, न राशन कार्ड है, न इनके पास मतदाता कार्ड है. ऐसा लगता है मानों विकास ने इनकी ओर मुड़कर देखा ही नहीं है.
सपेरों का परिवार घूम-घूम कर सांप दिखाने का काम करता है. इससे होने वाली आय ही इनके जीवन का आधार है. ये परिवार अपनी सारी जरूरते इसी के जरिए पूरी करते हैं. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में जीवन स्तर और नीचे गिर गया. कई परिवारों के सदस्यों ने पारंपरिक काम छोड़कर मजदूरी का काम शुरू कर दिया था. केंद्र और राज्य की सरकार अंतिम व्यक्ति तक योजनाओं के लाभ पहुंचने का दावा करते हैं. लेकिन सपेरे परिवार सदस्य कहते हैं कि उन्हें लॉकडाउन के वक्त सूखा राशन नहीं मिला. उन्हें राज्य सरकार की ओर से भी कोई राशन नहीं मिल रहा है.
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बच्चों को नहीं मिल रही शिक्षा
सपेरे समुदाय के सदस्य धनीराम ने बताया कि अब तक उनका आधार, राशन और मतदाता कार्ड नहीं बना है. सरकार से मिलने वाली सारी सुविधाओ से वो वंचित हैं. उनके बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते हैं. धनीराम आगे कहते हैं कि अब वो घुमंतु नहीं रहना चाहते हैं. एक जगह बसने चाहत हैं. सपेरों ने जिला प्रशासन से भी बुनियादी सुविधाओं की मांग की है. वहीं की पात्रता दिलाकर रहवासी घोषित करने के लिए कहा है. लेकिन हालात जस-के तस हैं.
सपेरा समुदाय की एक महिला मोंगरा बाई मरकाम ने बताया कि धमतरी के मगरलोड में घूमते हुए सांप दिखाने पहुंचे थे. वहां 6 महीने रहे. वहां हमारा आधार कार्ड, राशन कार्ड बना दिया गया. लेकिन वहां रहने का ठिकाना नहीं था. जिसके बाद वापस जामगांव आ गए. यंहा 15 सालों से रह रहे हैं. ग्रामवासियों ने सरकारी जमीन में आश्रय दिया है.