रायपुर: साल 2021 अंतिम पड़ाव पर है. इस साल भी लोगों को कोरोना के चलते कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले. यह एक ऐसा साल रहा है जिसमें हमने कई सफलताएं हासिल की. चाहे वैक्सिनेशन की बात की जाए या कोरोना पर काबू पाने की. कठिन परिस्थितियों के बावजूद छत्तीसगढ़ ने खुद को मजबूत स्थिति में बनाए रखा. हालांकि साल के शुरुआत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान माहौल काफी भयावह भी रहा. साल 2021 में छत्तीसगढ़ ने कई बड़ी हस्तियों को खो दिया. सियासत, कला और साहित्य की दुनिया में कई दिग्गज हस्तियों ने इस साल दुनिया को अलविदा कहा (celebrities of Chhattisgarh died in year 2021 ). आइए जानते हैं इन हस्तियों के बारे में.
पूर्व सांसद गोदिल प्रसाद अनुरागी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बिलासपुर से लोकसभा के पूर्व सांसद गोदिल प्रसाद अनुरागी का 19 सितंबर को निधन हो गया. पूर्व सांसद अनुरागी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. साल 1928 में रतनपुर के नवापारा में जन्मे गोदिल प्रसाद अनुरागी साल 1967 से 1971 तक मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक रहे. इसके बाद 1980 से 1985 तक उन्होंने बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद पद का दायित्व निभाया. वे छत्तीसगढ़ी लोक कला के बड़े कलाकार थे. उन्हें इस लोक परंपरा का अस्तित्व बचाए रखने के लिए भी जाना जाता है. उन्होंने 93 साल की आयु में अंतिम सांस ली.
पूर्व मंत्री राजिंदर पाल सिंह भाटिया
छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री और छुरिया के तीन बार के विधायक भाजपा नेता राजिंदर पाल सिंह भाटिया का भी इस साल निधन हुआ. पूर्व मंत्री भाटिया ने अपने घर पर ही 18 सितम्बर को खुदकुशी कर ली. 25 अक्टूबर 1949 में नई दिल्ली में जन्मे राजविंदर पाल की स्कूली शिक्षा राजनांदगांव में हुई थी. छात्र राजनीति से वह सार्वजनिक क्षेत्र में आए. साल 1978 से भारतीय राजनीति में सक्रिय हुए. 1980 में भाजपा के ब्लॉक अध्यक्ष बने. 1993 में पहली बार चुनाव जीता. 1998 और 2003 में विधानसभा के लिए निर्वाचित भी हुए. 2003 में उन्हें रमन सरकार ने परिवहन मंत्री बनाया. उसके बाद 2004 में मंत्री पद से हटाकर सीएसआईडीसी का चेयरमैन बनाया. उनकी खुदकुशी के बाद ये बातें सामने आ रही थी कि भाटिया पोस्ट कोविड की समस्या से जूझ रहे थे. इसके अलावा अन्य समस्याएं भी थी. जिसके चलते 72 साल की उम्र में भाटिया ने खुदकुशी कर ली.
पूर्व मंत्री राजिंदर पाल सिंह भाटिया पूर्व मंत्री मूलचंद खंडेलवाल
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री मूलचंद खंडेलवाल का 15 अक्टूबर को निधन हो गया. वे लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थे. उनकी पहचान मध्यप्रदेश में (मुल्लू भैया) के रूप में थी. जनसंघ के समय से सक्रिय रहे खंडेलवाल ने पार्षद पद से राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी. उन्होंने 1990 में बिलासपुर विधानसभा से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के इस गढ़ में कमल खिला दिया था. इसी जीत की वजह से उन्हें अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई थी. वे सुंदरलाल पटवा सरकार में खाद्य राज्य मंत्री बनाए गए थे. हालांकि इसके बाद वे चुनाव नहीं जीत सके. 84 की उम्र में उनका निधन हो गया.
मूर्धन्य साहित्यकार हरिहर वैष्णव
छत्तीसगढ़ के लोक साहित्यकार हरिहर वैष्णव का भी इसी साल निधन हुआ. 66 साल के कोंडागांव निवासी हरिहर वैष्णव मूलतः कथाकार और कवि थे. लेकिन उनका संपूर्ण लेखन और शोध कर्म बस्तर पर ही केंद्रित रहा है. बस्तर की परंपरा और संस्कृति को अपने काव्य और गद्य में उतारने पर इनके लेख प्रमाणिक माने जाते हैं. उन्होंने बस्तर की कई जनजातियों में सदियों से गायब हुए गीतों को संकलित कर उनका अनुवाद किया. उनका लेखन और शोध 29 पुस्तकों में उपलब्ध है. रंगकर्म और लोक संगीत में भी दखल रखने वाले हरिहर जी कई देशों की यात्राएं भी कर चुके हैं. उनका निधन इसी साल 23 सितंबर को हुआ.
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जोगी सरकार में मंत्री रहे डॉ शक्राजीत नायक
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद पहली बार कांग्रेस शासन काल में सिंचाई मंत्री बने शक्राजीत नायक का 29 मई को हार्ट अटैक से निधन हो गया. प्रोफेसर की नौकरी छोड़कर नायक राजनीति में आए थे. वे साल 1990, 1998 से बीजेपी से विधायक रहे. उसके बाद 2001 में कांग्रेस जॉइन किया. जोगी सरकार में सिंचाई मंत्री बनाए गए. फिर 2003 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस पार्टी की टिकट पर जीत दर्ज की.उन्होंने जब पहली बार सरिया विधानसभा से चुनाव जीता उस समय सारंगढ़ राजमहल का उस सीट पर दबदबा था. परिसीमन के बाद सरिया सीट खत्म होने पर उन्होंने 2008 में रायगढ़ से चुनाव लड़ा और जीतकर चौथी बार विधायक बने. 2013 में भाजपा के रोशनलाल अग्रवाल से चुनाव हार गए. फिर उनकी राजनीतिक सक्रियता कम होती चली गई. इसी साल मार्च में उनका स्वास्थ्य खराब हुआ. इसके बाद से वे ठीक नहीं हो सके और 78 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.
खैरागढ़ रियासत के राजा देवव्रत सिंह
राजनांदगांव जिले के खैरागढ़ रियासत के राजा व विधायक देवव्रत सिंह की मौत हार्ट अटैक से 3 नवंबर को हुई. विधायक देवव्रत सिंह खैरागढ़ विधानसभा सीट से 4 बार विधायक निर्वाचित हुए थे. वे एक बार राजनांदगांव लोकसभा सीट से सांसद भी रहे. इसके साथ ही भारतीय खाद्य निगम(FCI) के अध्यक्ष भी रहे. इसके अलावा कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रह चुके हैं. राजा देवव्रत सिंह ने 2018 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से इस्तीफा दिया और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की बनाई नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे (JCCJ) जॉइन कर चुनाव भी जीता. छत्तीसगढ़ के यदि सबसे महंगे तलाक की बात की जाए तो राजा देवव्रत सिंह ने अपनी पहली पत्नी से विवाद के बाद उन्हें 11 करोड़ का हर्जाना देकर तलाक दिया. यूपी के बाहुबली नेता राजा भैया के साथ भी इनकी रिश्तेदारी रही. उन्होंने 52 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया.
पूर्व विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव
छत्तीसगढ़ भाजपा नेता और दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव के छोटे बेटे पूर्व विधायक युद्धवीर सिंह जूदेव का निदान 20 सितंबर को हो गया. वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे. युद्धवीर बीमार होने के बाद भी अंतिम समय तक लोगों के लिए संघर्ष करते रहे. भ्रष्टाचार सहित कई मुद्दों को लेकर सोशल मीडिया के जरिए आवाज उठाते रहे. जशपुर रियासत में छोटे बाबू के नाम से जाने जाने वाले युद्धवीर सिंह जूदेव बेबाकी से अपनी बात रखें जाने के लिए भी पहचाने जाते थे. उनके चाहने वाले युवाओं की एक बड़ी संख्या है. युद्धवीर सिंह विपक्ष में रहते हुए भी हमेशा चर्चा में बने रहे. जूदेव ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था. इसके बाद वे चंद्रपुर से दो बार विधायक चुने गए पहली बार 2008 में और फिर 2013 में विधायक निर्वाचित हुए. युद्धवीर सिंह जूदेव का महज 39 साल की उम्र में लीवर की समस्या के चलते बेंगलुरु के एक अस्पताल में निधन हो गया था.
पूर्व सांसद रामाधार कश्यप
छत्तीसगढ़ के राज्यसभा सांसद और विधायक रह चुके कांग्रेस नेता रामाधार कश्यप का 5 जुलाई को मेजर हार्ट अटैक से निधन हो गया. रामाधार कश्यप छात्र समय से ही राजनीति में सक्रिय थे. छत्तीसगढ़ राज्य गठन की मांग को लेकर ही उनकी पहचान बनी. रामाधार ने मध्यप्रदेश विधानसभा में पर्चा फेंक दिया था. इसके बाद पकड़े गए और सजा भी हुई. लेकिन इस घटना ने रामाधार कश्यप को सुर्खियों में ला दिया. छत्तीसगढ़ गठन हुआ तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने साल 2002 में राज्यसभा भेज दिया. फिर सांसद रहते हुए 2003 में अकलतरा से विधानसभा का टिकट मिला और उन्होंने जीत दर्ज की. बिलासपुर के अकलतरा स्थित चोर भट्टी में 26 नवंबर 1938 को जन्मे रामाधार कश्यप का 84 साल की उम्र में निधन हो गया.
साहित्यकार मुकुंद कौशल
छत्तीसगढ़ के जाने-माने साहित्यकार और गीतकार मुकुंद कौशल की मौत भी 2021 में हुई. दुर्ग के रहने वाले साहित्यकार मुकुंद कौशल को छत्तीसगढ़ी में पहली गजल लिखने का श्रेय जाता है. उन्होंने कन्नड़, गुजराती समेत कई भाषाओं में गजल और गाने लिखे हैं. वे दुर्ग के जिला हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष भी रहे. साक्षरता मिशन में उनका बड़ा योगदान रहा. उनके लिखे गाने साक्षरता मिशन में गाए जाते हैं. मुकुल, दुर्ग की एक ऐसी शख्सियत है जिन्होंने संगीत, कला और साहित्य के क्षेत्र में अनवरत कार्य करते हुए न केवल छत्तीसगढ़ में बल्कि देश विदेश में भी अपनी पहचान कायम की. उनका हिंदी, छत्तीसगढ़ी, उर्दू और गुजराती भाषाओं में निरंतर लेखन कार्य रहा. उन्हें 30 से अधिक पुरस्कार मिल चुके हैं. हार्ट अटैक आने की वजह से मुकुंद ने 5 अप्रैल को अपनी अंतिम सांस ली.
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पूर्व सांसद करुणा शुक्ला
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की भतीजी करुणा शुक्ला ने भी इस साल दुनिया को अलविदा कह दिया. करुणा शुक्ला की मौत कोरोना की वजह से हुई. शुक्ला का जन्म 1 अगस्त 1950 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था. उनका विवाह छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार क्षेत्र के प्रसिद्ध डॉक्टर डॉक्टर माधव शुक्ला से हुआ था. करुणा शुक्ला ने बलौदा बाजार क्षेत्र से राजनीति की शुरुआत की और साल 1993 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए चुनी गई. बाद में साल 2004 में जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी चुनी गई. शुक्ला छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता मानी जाती थी. वे महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे पदों पर रही. बाद में भाजपा की राज्य इकाई और तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह से मनमुटाव के चलते साल 2014 में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया था. 2018 के विधानसभा चुनाव में रमन सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ी. लेकिन उसमें हार का सामना करना पड़ा. करुणा शुक्ला ने 70 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा.
पूर्व विधायक रमेश वर्ल्यानी का निधन
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के दिग्गज नेता रमेश वर्ल्यानी का हालही में 19 दिसंबर को निधन हुआ. उन्हें 14 दिसंबर को दिल का दौरा पड़ा था जिसके बाद एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाया गया था. जहां उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई थी. 15 नवंबर 1947 को जन्मे रमेश वर्ल्यानी समाजवादी धड़े के नेता थे. दिग्गज नेता मोतीलाल वोरा के करीबियों में शामिल वर्ल्यानी प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता थे. उन्हें आर्थिक और कर संबंधी मामलों की विशेषज्ञता थी. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का घोषणा पत्र बनाने में वर्ल्यानी की भूमिका चर्चा में रही. 1977 में हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान रायपुर ग्रामीण सीट से जनता पार्टी के उम्मीदवार थे. उन्होंने कांग्रेस के स्वरूप चंद जैन को हराकर वह सीट जीती थी. 1980 के चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट पर दोबारा वापसी की. उसके बाद वर्ल्यानी ने कांग्रेस जॉइन कर लिया, जहां वे महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. उन्होंने 75 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली.