रायपुर : भगवान गणपति को विघ्न विनाशक और विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. प्रथम पूजनीय गणेश जी का श्रद्धा भाव से पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है. घर धन-धान्य से पूर्ण हो जाता है. गणपति का पूजन वैसे तो नियमित रूप से किया जाता है लेकिन बुधवार के दिन विशेष रूप से गणपति को समर्पित माना गया है. मान्यतानुसार बुधवार के दिन गणपति का कुछ खास तरीके से किया गया पूजन विशेष फलदायी होता है. इसका अपना अलग महत्त्व है.
क्या है मान्यता :एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने अपने शरीर के उबटन से भगवान गणपति की उत्पत्ति की थी. उनकी उत्पत्ति कैलाश पर्वत पर हुई थी. गणपति की उत्पत्ति के समय माता पार्वती के साथ बुध देव भी कैलाश में उपस्थित थे. इसलिए बुधवार को गणपति का वार माना जाने लगा. इस दिन की गई गणपति पूजा विशेष फल देती है.
हर कष्ट को हरते हैं गणपति : कहा जाता है कि प्रथम पूज्य गणेशजी का पूजन हर मनोकामना को पूरा कर सकता है. यदि आपने कोई पाप किया है तो गणपति के पूजन से पापनाश हो जाते हैं. सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. जिन लोगों का बुध कमजोर है, उनके लिए गणपति की आराधना करना बहुत शुभ है. गणपति के पूजन का प्रभाव आपकी राशि ग्रह पर पड़ता है.
गणपति देव का पूजा स्थान साफ रखें
बुधवार के दिन गणपति पूजन करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें. साफ वस्त्र धारण करें. पूजा के स्थान को साफ करें . गणपति जी की मूर्ति को एक चौकी में लाल कपड़ा बिछाकर स्थापित करें.
दूर्वा घास करें अर्पण
गणपति को दूर्वा घास बहुत पसंद है. मुख्य रूप से बुधवार के दिन गणपति को दूर्वा चढ़ाना फलदायी है. दूर्वा इसलिये चढ़ाई जाती है, क्योंकि जैसे दूर्वा की एक जड़ में से अनेक जड़ निकलती हैं, उसी प्रकार हमारे वंश की वृद्धि होती रहे. इस दिन 21 दूर्वा की गांठें लगाकर गणपति को अर्पण करें. ऐसा करने से पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है.
मोदक या गुड़ का लगाएं भोग
गणपति को मोदक और गुड़ बहुत पसंद है. इसलिए पूजा के दौरान मोदक और गुड़ का भोग लगाकर परिवार के सभी सदस्यों को बांटें. यदि मोदक नहीं मिले तो बूंदी या बेसन के लड्डू का भोग भी लगाया जा सकता है.
लाल सिंदूर करें अर्पण