रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुधवार को दो दिन पहले ही अनिश्चितकाल (Winter session of Chhattisgarh Assembly ends) के लिए स्थगित कर दिया गया. इस सत्र में धान खरीदी (irregularities in the purchase of paddy), पीएम आवास योजना (PM Awas Yojana) और चिटफंड कंपनी के मुद्दे (chit fund company issues) पर सदन में जमकर हंगामा हुआ. सत्र का तीसरा दिन भी हंगामेदार रहा. सदन में वित्तीय वर्ष 2021-22 के द्वितीय अनुपूरक के तहत 2108 करोड़ का अनुपूरक बजट (supplementary budget) पास किया गया है. इस दौरान सदन में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था. अब फरवरी और मार्च के महीने में छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र आयोजित होगा.
प्रश्नकाल में गूंजा चिटफंड कंपनी का मुद्दा (Chit fund company issue raised in question hour)
छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र 2021 के तीसरे दिन की कार्यवाही भी हंगामे के साथ शुरू हुई. जेसीसीजे विधायक रेणु जोगी (JCCJ MLA Renu Jogi) ने चिटफंड कंपनी का मुद्दा उठाया. उन्होंने सहारा इंडिया में निवेशकों द्वारा जमा की गई राशि का विवरण भी मांगा. रेणु जोगी ने गृह मंत्री से सवाल पूछा कि, ''साल 2018 से छत्तीसगढ़ में निवेशक के रूप में कितनी चिटफंड कंपनियां संचालित थी ? कंपनियों के नाम सहित जानकारी दें ? सहारा इंडिया की विभिन्न शाखाओं में निवेशकों द्वारा जमा कराई गई राशि के भुगतान के लिये 17-11-2021 तक क्या-क्या कार्रवाई हुई है ? प्रदेश के कितने निवेशकों द्वारा सहारा कंपनी में कितनी राशि का निवेश किया गया है?
रेणु जोगी के सवाल पर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू (Home Minister Tamradhwaj Sahu) ने जबाव दिया कि छत्तीसगढ़ में चिटफंड अधिनियम, 1982 प्रभावशील है. इस अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत प्रदेश में कोई भी चिटफंड कंपनी अधिकृत रूप से पंजीकृत अथवा संचालित नहीं है.दूसरे सवाल के जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि सहारा इंडिया पर राज्य शासन का नियंत्रण नहीं है. यही वजह है कि निवेशकों के द्वारा जमा राशि और भुगतान की जानकारी दिया जाना संभव नहीं है. जो मामले संज्ञान में आए हैं.आ रहे हैं, उन पर उचित कार्रवाई की जा रही है.सहारा इंडिया परिवार में निवेश का मामला सदन में गरमायाविपक्ष ने सहारा कंपनी की जमीन बेचकर प्रदेश के लोगों का पैसा वापस कराने की मांग को लेकर हंगामा किया. भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने कहा कि घोषणा पत्र में चिटफंड का पैसा वापसी का वादा किया गया था. सदन में सत्ता पक्ष माफी मांगे.
धान उठाव और नीति का मुद्दा भी गरमाया(disturbances in the purchase of paddy)
छत्तीसगढ़ विधानसभा शीतकालीन सत्र 2021 (winter session of chhattisgarh assembly 2021) के तीसरे दिन धान उपार्जन केंद्रों से धान उठाव और नीति का मुद्दा गूंजा. पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह (Former CM Raman Singh) ने सत्ता पक्ष को घेरा.
रमन सिंह का सवाल: छत्तीसगढ़ में कुल कितने धान उपार्जन केंद्र हैं ?खरीफ सीजन वर्ष 2020-21 में खरीदे गए धान का माहवार उठाव का विवरण जैसे किन-किन महीनों में कितना कितना धान, राइस मिलरों को दिया गया और कितना कितना धान संग्रहण केंद्र में परिवहनकर्ताओं को भंडारण हेतु दिया गया, जिलेवार विवरण दें ?
मंत्री अमरजीत भगत (Food Minister Amarjit Bhagat) का जवाब: राज्य में खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कुल 2311 धान उपार्जन केन्द्र संचालित थे. खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में उपार्जित किये गये धान में से कस्टम मिलरों को उपार्जन केन्द्रों से 59.12 लाख टन धान और संग्रहण केन्द्रों से 20.18 लाख में यानी कुल 79.30 लाख मीट्रिक टन धान दिया गया है. परिवहनकर्ताओं को संग्रहण केन्द्रों में धान भण्डारण के लिए 22.38 लाख मीट्रिक टन धान दिया गया है.
रमन सिंह का सवाल: कितने धान की बिक्री नीलामी के माध्यम से की गई. बिक्री किए गए धान का उठाव कितना हो गया और कितना बाकी है ? जिलेवार विवरण दें ?
अमरजीत भगत का जवाब: खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में नीलामी के माध्यम से 8.97 लाख में धान का विक्रय किया गया, जिसमें से 8.96 लाख मीट्रिक टन धान का उठाव किया जा चुका है. 564 मीट्रिक टन धान उठाव बाकी है, जिसके उठाव की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है.जवाब 3 - खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कस्टम मिलरों द्वारा धान उपार्जन की शुरूआत से ही लगातार धान का उठाव किया गया है. संग्रहण केन्द्रों की भण्डारण क्षमता के मुताबिक ही धान का भण्डारण किया गया था.
रमन सिंह का सवाल: यदि किसी महीने में धान का उठाव नहीं किया गया तो उस महीने में क्या राइस मिलरों ने धान के उठाव के लिए रूचि नहीं दिखाई या संग्रहण केंद्रों में धान भंडारण की क्षमता से ज्यादा हो गया था ?
अमरजीत भगत का जवाब: खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में कस्टम मिलरों द्वारा धान उपार्जन की शुरूआत से ही लगातार धान का उठाव किया गया है. संग्रहण केन्द्रों की भण्डारण क्षमता के मुताबिक ही धान का भण्डारण किया गया था.