रायपुर :पिछले कुछ सालों में डिजिटलाइजेशन बड़ी तेजी के साथ बढ़ा है. बढ़ते डिजिटलाइजेशन के साथ यूपीआई फ्रॉड के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई (Cyber thugs are using UPI) है. साइबर बदमाश हर बार नए नए तरीकों से लोगों को चूना लगाने की कोशिश करते हैं. कोरोना काल शुरू होने के बाद से यूपीआई ठगी के मामलों में भी तेजी देखने को मिली है. फ्रॉड यूपीआई पिन या क्यूआर कोड स्कैन कराकर ठगी कर रहे हैं. इससे ठगी का पैसा वापस मिलना मुश्किल हो गया है.
यूपीआई का कर रहे इस्तेमाल :शातिर ठग हर दिन नए तरीके से लोगों को ठगने का प्रयास कर रहे हैं. पहले ठगी की राशि के लिए वॉलेट का इस्तेमाल करते थे. इसके लिए पुलिस बैंक के नोडल अधिकारी से बात कर वॉलेट के पैसे होल्ड करवाकर वापस करवा लेती थी. लेकिन ठगों ने जब से यूपीआई का इस्तेमाल करना शुरू किया है. इससे पुलिस की परेशानी बढ़ गई है. साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से फोन करते (new way of cyber fraud) हैं. इसके लिए वह अपना क्यूआर कोड भेजकर पिन डालने को कहता है. पिन डालते ही खाते की राशि साफ कर लेते हैं. जिसे वापस करवाना मुश्किल होता है. इसके बावजूद पुलिस ने 103 लोगों को ठगी का पैसा वापस दिलाया है. गौर करने वाली बात यह है कि ठगी का शिकार हुए ज्यादातर लोग शिक्षित हैं. इसमें कोई शिक्षक है तो कोई डॉक्टर.
यूपीआई ने क्यों बढ़ाई साइबर सेल की मुश्किलें ? - Cyber thugs are using UPI
साइबर ठग रोजाना ठगी के नए-नए तरीके इजाद करते हैं. पुलिस कई मामलों को सुलझाकर पीड़ित के पैसे लौटाती है. लेकिन इन दिनों यूपीआई से हो रही ठगी ने पुलिस की चिंता बढ़ा दी है.
सायबर ठगों से ऐसे बचें :अंजान नंबर और क्यूआर कोड से दूर रहे. यदि मोबाइल नंबर के जरिये पेमेंट कर रहे हैं तो नंबर की जांच कर लें. पैसे प्राप्त करने के लिए पिन न डाले. ठग पैसे भेजने का नाटक करते है, लेकिन वास्तव में वे पैसे लेने के लिए भेजते हैं. इसलिए ये ठग पैसे प्राप्त करने के लिए पिन डालने को कहते हैं. फर्जी यूपीआई एप से बचे. भले ही ये देखने में असली जैसे ही हैं. लेकिन बहुत से ऐसे एप फर्जी भी होते हैं. किसी से भी अपना पिन शेयर न (cheating through qr code in raipur) करें.
यूपीआई से पैदा हुई मुश्किल : साइबर टीआई गौरव तिवारी ने बताया कि "वर्तमान में कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिए यूपीआई सिस्टम है. जिसके माध्यम से कोई भी कस्टमर अपना अमाउंट या किसी भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को यूपीआई से करता है. साइबर फ्रॉड प्रेजेंट में इसी तरह के यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. उसके बाद जब हमें उसका बेनिफिशन निकालना होता है. बेनिफिशन निकलने तक जिसके पास अमाउंट गया है. वो जानकारी मिलने से पहले ठग उस राशि को मूव आउट करवा लेते हैं. ऐसे स्थिति में साइबर सेल को पैसा वापस कराने में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पहले वॉलेट और मर्चेंट का इस्तेमाल होता था. उस दौरान नोडल को फोन कर या मेल के माध्यम से फ्रॉड ट्रांजेक्शन की जानकारी देकर हम कस्टमर को वापस दे देते थे, लेकिन थोड़ी दिक्कत हमें यूपीआई की वजह से हो रही है."