रायपुर : आज 20 अगस्त यानी वर्ल्ड मॉस्किटो डे है.आज विश्व मच्छर दिवस (World Mosquito Day 2022 ) मनाया जाता है. यह सुनने में थोड़ा अजीब जरूर लगता है, लेकिन जिस तरह से बाकी दिन मनाए जाते हैं वैसे ही मच्छरों का भी एक दिन है.लेकिन ज्यादातर लोग मच्छरों के नाम पर रखे गए इस खास दिन के बारे में नहीं जानते होंगे,आज हम आपको बताएंगे कि आखिर विश्व मच्छर दिवस क्यों और कब से मनाया जाता है.
क्यों मनाया जाता है मच्छर दिवस : मच्छर दिवस उनसे होने वाली बीमारियों के बारे में बताने के लिए मनाया जाता है. मच्छर कई तरह की बीमारियों के वाहक होते हैं. मच्छरों से बचाव के लिए लोग कई तरह के उपाय अपनाते हैं, क्योंकि वह जानते हैं कि, एक छोटा सा मच्छर इंसान का जीवन भी खत्म कर सकता है, लेकिन एक समय था जब यही मच्छर एक तरह का रहस्य बने हुए थे. लोगों को ये पता नहीं था कि, एक छोटा सा मच्छर उनके लिए कितना खतरनाक हो सकता (mosquito borne diseases) है.
20 अगस्त का ही दिन क्यों : 20 अगस्त 1897 का ही दिन था जब ब्रिटिश डॉ रोनाल्ड रॉस ने यह बात विश्व के सामने लाई थी कि मलेरिया मच्छर के काटने से होता है. इस महत्वपूर्ण जानकारी के बाद से ही 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. इसलिए इस खास दिन पर लोगों को मच्छरों से होने वाले रोगों के बारे में जागरूक किया जाता है.
क्यों है मच्छर घातक : ऐसा कहा जाता है कि, विशाल शार्क मछली 100 सालों में जितने इंसान नहीं मारती, छोटा सा दिखने वाला ये मच्छर उतने एक दिन में मार देता हैं. एक्सपर्ट्स और आंकड़ों के अनुसार मच्छरों के काटने से कई तरह की बीमारियां फैलती हैं. इन बीमारियों से हर साल लाखों लोगों की जान चली जाती है, जिनमें सबसे ज्यादा अफ्रीकी देशों के लोग शामिल हैं.
हर मच्छर का अलग रवैया : मादा मच्छरों की बात करें तो उनका भोजन रक्त होता है, जिसे वह इंसानों और जानवरों को काट कर पूरा करती है. वहीं नर मच्छर इंसानों या जानवरों को काटते नहीं है बल्कि वह फूलों के पराग या अन्य शर्करा स्रोत को खाकर अपने आहार की पूर्ति करते हैं. मादा एनोफिलिस मच्छर के काटने से ही मलेरिया जैसी गंभीर बीमारी होती है, और इनके काटने का भी एक निश्चित समय होता है.
किस समय कौन सा मच्छर होता है सक्रिय :मादा एनोफिलिस सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही सक्रिय होते हैं. वहीं एडीज मच्छर सूर्यास्त से पहले या शाम को ही काटते हैं. इसके अलावा क्यूलेक्स मच्छर दोनों से अलग हैं. यह मच्छर रात भर सक्रिय रहते हैं, रात के समय घर के अंदर और बाहर कहीं भी काट सकते हैं. एक रिसर्च के मुताबिक साल 2050 तक जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया की लगभग आधी आबादी मच्छरों से होने वाली बीमारियों से प्रभावित होगी.
बस्तर में मच्छरों का आतंक :मॉनसून की शुरुआत के साथ ही सुरक्षा बलों के सामने नक्सल अभियान (Mosquitoes terror in Bastar) चलाने को लेकर एक बड़ी चुनौती देखने को मिलती है. इस मौसम में मच्छरों के आतंक सहित जंगलों में दूसरे विषैले जानवरों और कीटों का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में नक्सलियों से ज्यादा खतरनाक जंगल का माहौल हो जाता है. ऐसे में सुरक्षा बलों के द्वारा सफलतापूर्वक अभियान चलाया जा सके, इसे लेकर विशेष ध्यान दिया जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक नक्सल अभियान में जितने जवान शहीद नहीं हुए हैं, उससे कहीं ज्यादा मलेरिया की वजह से अपनी गंवाते हैं. हालांकि मच्छरों से बचने के लिए जवानों से कई तरह की चीजें उपलब्ध कराई जाती है.बावजूद इसके ऑपरेशन के वक्त मलेरिया का खतरा बढ़ जाता है.