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शादी में क्या है हल्दी समारोह? आइए जानते हैं... - Turmeric with medicinal properties

विवाह संस्कार का प्रारंभ मंडप के गाड़ने से और हरिद्रालेपन से शुरू होता है. वर और कन्या को अलग-अलग उनके घरों में मंडप के नीचे तिल आदि लगाकर शरीर को दुरुस्त किया जाता है. इसके उपरांत शरीर में औषधि गुणों से युक्त हल्दी (Turmeric with medicinal properties) लगाई जाती है. जिसे हरिद्रालेपन या हल्दी समारोह कहा जाता है.

haldi ceremony in marriage
शादी में हल्दी समारोह

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Published : Dec 10, 2021, 4:00 PM IST

रायपुरः विवाह संस्कार का प्रारंभ मंडप के गाड़ने से और हरिद्रालेपन से शुरू होता है. वर और कन्या को अलग-अलग उनके घरों में मंडप के नीचे तिल आदि लगा कर शरीर को दुरुस्त किया जाता है. इसके उपरांत शरीर में औषधि गुणों से युक्त हल्दी (Turmeric with medicinal properties) लगाई जाती है. जिसे हरिद्रालेपन या हल्दी समारोह कहा जाता है.

शादी में हल्दी समारोह

इस कार्य में वर को कन्या के घर से पीसी हुई और उचित रूप से भीगी हुई हल्दी दी जाती है. जिससे वह हल्दी लगाने की प्रक्रिया का शुभारंभ करते हैं. इसी तरह कन्या पक्ष के यहां भी वर पक्ष की थोड़ी सी शुद्ध हल्दी भेजी जाती है. जिससे कन्या पक्ष के लोग कन्या को उसके ससुराल के द्वारा भेजी हुई पवित्र हल्दी हल्दी समारोह की शुरुआत (Haldi ceremony begins) करते हैं. अर्थात इस परंपरा में वर और कन्या पक्ष एक-दूसरे को शुद्ध हल्दी देकर इस परंपरा का निर्वाह करते हैं.

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आयुर्वेदिक महत्व की जानकारी पंडित विनीत शर्मा की जुबानी

ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने हल्दी समारोह के आयुर्वेदिक महत्व के बारे में बताते हैं कि इस समारोह में कन्या और वर को केले के पत्ते पान के पत्ते के साथ चेहरे मस्तक हाथ और पैर में हल्दिया लगाई जाती है इससे शरीर को बल मिलता है और अनेक विकार दूर हो जाते हैं. इसी तरह सभी घरवाले आनंद और उत्सव के साथ क्रीड़ा करते हुए एक दूसरे को हल्दी लगाकर मंगल गीत गाते हुए इस उत्सव को नया आयाम देते हैं. अर्थात विवाह पूर्व दोनों ही घरों में अलग-अलग तरह से हरिद्रालेपन का सुंदर और आकर्षक आयोजन होता है.


स्वास्थ्य और सुंदरता में वृद्धि
सभी लोग हल्दी लगाकर उत्साह, उमंग, स्वास्थ्य और सुंदरता में वृद्धि करते हैं विवाह पूर्व वर और कन्या सहित सभी आत्मीयजनों का सौंदर्य रूप निखार का कार्यक्रम हरिद्रालेपन द्वारा होता है. यह एक महोत्सव के रूप में मनाया जाता है. जहां हंसी-ठिठोली गूंजते हैं. कई जगह पर इस समय शुभ मंगल गीत गाए जाते हैं. अनेक स्थानों पर इस दिन हल्दी मिश्रीत चावल या पुलाव आदि खाने की परंपरा है. अनेक परंपराओं में औषधि गुणों से युक्त हल्दी की सब्जी बनाई और खाई जाती है.

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