रायपुर: अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का इंतजार लोग वर्षों से कर रहे हैं. आखिरकार लोगों का इंतजार खत्म होने जा रहा है. 5 अगस्त को राम मंदिर शिलान्यास किया जाना है. इसे लेकर पूरे देश में अलग-अलग तरह के आयोजन किए जा रहे हैं. अयोध्या नगरी सज चुकी है. मंदिर के शिलान्यास का भव्य आयोजन किया जा रहा है. अयोध्या में श्रीराम के मंदिर के लिए कई आंदोलन किए गए. मंदिर की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ के हजारों लोग कार सेवा में शामिल हुए थे. छत्तीसगढ़ से शामिल रहे भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक वीरेंद्र पांडेय ने उस दरम्यान के तमाम अनुभवों को ETV भारत से साझा किया है.
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राम मंदिर के लिए लाखों लोगों ने जान की बाजी लगा दी थी. अयोध्या में कार सेवा में शामिल होने पहुंचे वीरेंद्र पांडेय ने कहा कि भगवान राम भारत के कण-कण में हैं. राम ही भारत और भारत ही राम हैं. अब चूंकि मंदिर का शिलान्यास समारोह ऐसे समय में किया जा रहा है जब कोरोना जैसी महामारी चरम पर है. इस दौर में हम जैसे लाखों लोगों का इस आयोजन में शामिल नहीं हो पाना बेहद दुखद है.
300 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचे थे अयोध्या
वीरेंद्र पांडेय बताते हैं कि राम मंदिर के लिए वैसे तो सैकड़ों वर्षों से आंदोलन जारी था, लेकिन 1992 में बाबरी ढांचा विध्वंस को सबसे बड़ा आंदोलन माना जाता है. उस दौरान कार सेवा के लिए देशभर से राम भक्त अयोध्या में जुटे हुए थे. गोली कांड में लोगों ने अपनी जान भी गंवाई थी. पूरे अयोध्या को सील कर दिया गया था. वीरेंद्र पांडेय बताते हैं कि उस समय लोगों को ये भी नहीं पता था कि वे वापस जिंदा लौटेंगे या नहीं. उनके साथ रायपुर सांसद सुनील सोनी के पिता भी थे. बॉर्डर सील होने की वजह से वे सभी 300 किलोमीटर पैदल चलकर अयोध्या पहुंचे थे. इस बीच गांव के लोगों ने कार सेवा के लिए पहुंचे लोगों की मदद की थी.