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किसान आत्महत्या मामले पर गरमाई सियासत, कांग्रेस ने पूर्व सीएम रमन सिंह पर साधा निशाना

किसान आत्महत्या मामले में कांग्रेस ने पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह पर निशाना साधा है. कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा है कि किसानों की आत्महत्या पर राजनीति करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को ये बताना चाहिए कि उनके गृह जिले कबीरधाम में किसान लगातार आत्महत्या कर रहे थे तब वे खामोश क्यो थे.

Congress spokesperson Vikas Tiwari
कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी

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Published : Dec 5, 2020, 8:40 PM IST

रायपुर: किसान आत्महत्या मामले को लेकर प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है. कांग्रेस ने पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह पर निशाना साधा है. कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा है कि किसान आत्महत्या पर पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह राजनीति कर रहे हैं. तिवारी ने कहा कि जब उनके गृह जिले कबीरधाम में किसान लगातार आत्महत्या कर रहे थे तब वे खामोश क्यो थे. कवर्धा जिले के किसान ने अपने सुसाइड नोट में आत्महत्या का कारण कर्ज से परेशान में बताया था और लिखा था कि “बने करे रमन“ इस पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह क्या कहेंगे क्या अपनी सरकार के किसान विरोधी कार्यों पर जवाब देंगे. कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि रमन राज के आखरी 3 साल में 800 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की थी. भाजपा ने वादा किया था कि 2100 धान समर्थन मूल्य और 300 रुपए बोनस हर साल दिया जाएगा पर चुनाव जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने किसानों को धोखा दिया और अब किसान मुद्दे पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी

क्या पूर्व सीएम रमन प्रदेश की जनता से मांगेंगे माफी

कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने प्रदेश भाजपा से पूछा है कि पूर्ववर्ती रमन सरकार के कार्यकाल में 800 से ज्यादा किसानों ने तंगहाली और कर्ज के कारण आत्महत्या की थी. क्या भारतीय जनता पार्टी पर पश्चाताप करेगी और पूर्व मुख्यमंत्री रमन प्रदेश की जनता से माफी मांगेंगे.

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इन कारणों से किसान ने की आत्महत्या

आपको बता दें कि कोंडागांव जिले के बड़ेराजपुर तहसील के मारंगपुरी निवासी किसान धनीराम ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. जानकारी के मुताबिक, कियान करीब 100 क्विंटल धान बेचने की तैयारी में था, पर सरकारी रिकॉर्ड में जमीन का रकबा एकदम से घट जाने से केवल 11 क्विंटल धान का ही टोकन जारी किया गया था. उस पर कोऑपरेटिव बैंक का 61 हजार 932 रुपए कर्ज भी था. ग्रामीण किसान की आत्महत्या के पीछे बैंक के कर्ज का दबाव और सिर्फ 11 क्विंटल धान बेचने के टोकन को मुख्य कारण बता रहे हैं.

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