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ETV BHARAT INSIDE STORY : आयुर्वेद में है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज !

मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक जेनेटिक बीमारी है. जिसके इलाज में करोड़ों रुपए की जरुरत होती है. लेकिन भारत के प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में इस गंभीर बीमारी का इलाज मुमकिन (Muscular dystrophy treatment in ayurveda) हैं.

Muscular dystrophy treatment in ayurveda
आयुर्वेद में है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज

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Published : Jun 24, 2022, 5:48 PM IST

रायपुर :मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक आनुवांशिक बीमारी है. यह बीमारी हजारों लाखों में कुछ ही बच्चों में देखने को मिलती है. मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित बालोद के एक बच्चे का इलाज रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज में किया जा रहा (Muscular dystrophy treatment in ayurveda) है.हिमेश साहू नाम के बच्चे को जब आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में इलाज के लिए लाया गया (Treatment of Muscular Dystrophy at Ayurved College Raipur) था. तब बीमारी के कारण इस बच्चे में काफी समस्याएं थी. बच्चा ना तो ठीक से बोल पाता था. ना ही हाथ और पैरों में किसी भी तरह की कोई मूवमेंट थी.

आयुर्वेद में है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी का इलाज

आयुर्वेद ने किया बच्चे का इलाज : लेकिन आज ये बच्चा ना सिर्फ बैठ पाता है. बल्कि व्हीलचेयर और अपनी मां के सपोर्ट से चल ले रहा है.यहां तक की बचपन से बोल नही पाने वाला बच्चा आज अपनी मां और अपने डॉक्टर को पहचानकर उन्हें बुलाता है. ईटीवी भारत ने मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक बीमारी से पीड़ित हिमेश साहू के माता रुकमणी साहू और आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के पंचकर्म विभागध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर रंजीप कुमार दास से बातचीत की.


क्या होता है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी :आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के पंचकर्म विभागध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर रंजीप कुमार दास ने बताया " मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को मॉडर्न साइंस में इसको जेनेटिक डिजीज कहा जाता है. इस बीमारी में जन्म के बाद से ही बच्चों का मांसपेशियां सिकुड़नी चालू हो जाती है. लेकिन बच्चा धीरे-धीरे अपने पैरों की उंगलियों पर खड़े होने की कोशिश करता है.लेकिन गिर जाता है.''

काफी महंगा होता है इलाज :डॉक्टर दास ने बताया कि''मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (Muscular dystrophy treatment ) का इलाज काफी महंगा होता है इस बीमारी की दवाई और इंजेक्शन भी काफी महंगी होती है। जींस में म्यूटेशन होने के लिए इंजेक्शन और दवाई दी जाती है। जिसे बच्चे की मांसपेशियां मजबूत हो और वह बैठ और खड़ा हो पाए। आम आदमी के लिए अफ़ोर्ट कर पाना काफी मुश्किल होता है।"


पीड़ित बच्चा पैरों पर हुआ खड़ा :आयुर्वेदिक हॉस्पिटल के पंचकर्म विभागध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर रंजीप कुमार दास ने बताया " अस्पताल के अध्यक्ष डॉ प्रवीण जोशी के मार्गदर्शन वह सहयोग से बच्चे का इलाज अस्पताल में किया जा रहा है. हिमेश साहू को जब पहली बार आयुर्वेदिक अस्पताल में लाया गया था. तो उसकी स्थिति काफी खराब थी। बच्चा ना बैठ पाता था , ना खड़े हो पाता था. बच्चे के मुंह से हमेशा लार गिरता रहता था. आयुर्वेदिक साइंस में एक पंचकर्म चिकित्सा है जिसके माध्यम से हमने बच्चे का ट्रीटमेंट शुरू किया. पंचकर्म चिकित्सा के माध्यम से बच्चे को अलग-अलग ट्रीटमेंट दिया गया. उसकी तेल मालिश की गई औषधीय काढ़ा पिलाया गया.अब बच्चा बैठ पा रहा है यहां तक कि धीरे-धीरे व्हीलचेयर और अपनी मां के सपोर्ट से वह चल भी रहा है. कुछ महीनों के ट्रीटमेंट से बच्चे की स्थिति और ज्यादा अच्छी हो जाएगी.''

कब से थी बीमारी :बच्चे की मां रुकमणी साहू ने बताया " हम मूलतः बालोद के हैं. लेकिन पिछले दो-तीन सालों से रायपुर के राजा तालाब के पास किराए के मकान में अपनी बहन के घर रह रहे हैं. बच्चे का जन्म 7 महीने में ही हो गया था. जन्म से ही हिमेश काफी कमजोर था. जब वो 6 महीने का हुआ तो वह घुटनों के बल भी नहीं चल पा रहा था. धीरे-धीरे जब हिमेश बड़ा होने लगा तो उसके माता-पिता ने देखा कि हिमेश ना चल पा रहा है, ना बोल पा रहा है , ना गुलाटी पा रहा है. जिसके बाद रुकमणी और उसके पति ने बच्चे को नजदीकी जिला अस्पताल में दिखाया.लेकिन कुछ इंप्रूवमेंट नजर नहीं आया. जिसके बाद रुकमणी ने अपने बच्चे को कई प्राइवेट अस्पताल और थेरेपी में भी दिखाया. लेकिन कुछ फायदा देखने को नहीं मिला.

कैसे पहुंची आर्युवेद हॉस्पिटल : बच्चे की मां रुकमणी साहू ने बताया " जब प्राइवेट अस्पतालों और थेरेपी में भी दिखाने के बाद कुछ फायदा नहीं हुआ तो रुकमणी ने हार मान ली." रुकमणी साहू ने बताया " काम की तलाश में रायपुर में अपनी बहन के यहां कुछ सालों पहले आई. अपनी बहन के साथ आसपास के घर में झाड़ू पोछा और अन्य काम करती हूं. घर के पास रहने वाले एक व्यक्ति आयुर्वेदिक हॉस्पिटल में थेरेपी के लिए आता है. उसी ने मुझे आयुर्वेदिक हॉस्पिटल और यहां के डॉक्टर के बारे में बताया. जिसके बाद मैं अपने बच्चे को लेकर यहां आई. जब हम हॉस्पिटल आए थे तब हिमेश बैठ भी नहीं पाता था,लेकिन अब हिमेश अच्छे से बैठ जाता है. वहीं सपोर्ट से चलने फिरने भी लगा है. डॉक्टरों का कहना है कि जल्द हिमेश ठीक हो जाएगा.''


- मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लक्षण

• सीढ़ी चढ़ने में कठिनाई

• पैर की उंगलियों पर चलना।

• कंधों कूल्हों चेहरे या बाहों में कमजोरी

• पैरों में दर्द हड्डियों का पतला होना

• आंखें खोलने या बंद करने में असमर्थता

• दिल या फेफड़े के रोग

• स्कोलियोसिस या ऐसी स्थिति जिसमें रीड एक तरफ मुड़ा हुआ होता है

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