रायपुर : शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ताओं का एक समूह कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर सौरभ कुमार और एसएसपी प्रशांत अग्रवाल को ध्वनि विस्तारक यंत्रों के निर्देशों का पालन करवाने के संबंध में मुख्य सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा है. सामाजिक कार्यकर्ताओं के समूह का कहना है ध्वनि प्रदूषण से आम जनता त्रस्त और परेशान हैं . ऐसे में न्यायालय के गाइडलाइन और निर्देशों का कड़ाई से पालन करवाने के संबंध में एसएसपी और कलेक्टर से मुलाकात की (Memorandum against noise pollution in Raipur ) गई.
रायपुर में ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ ज्ञापन क्यों सौंपा ज्ञापन : सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के संबंध में उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ एवं छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल द्वारा जारी किये गये निर्देशों का पालन कड़ाई से पुलिस या फिर प्रशासन नहीं करवा पा रही है. जिसके कारण आए दिन ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्या से लोगों को जूझना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि ''पिछले 2 सालों तक कोरोना के कारण सार्वजनिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया गया था. उस समय ध्वनि प्रदूषण पर एक तरह से रोक लगी हुई थी. ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग कम होने से लोगों के डिप्रेशन में कमी आयी थी.''
ध्वनि प्रदूषण का असर : शोध ये बताते हैं कि ध्वनि प्रदूषण के चलते लोगों को उच्च रक्तचाप, आकस्मिक उत्तेजना, मानसिक थकावट, श्रवण बाधा, स्मृति पर विपरीत प्रभाव आदि अनेक प्रकार के स्वास्थ्यजन्य कष्ट होते हैं. परंतु यह देखा जा रहा है कि जैसे ही कोविड काल के प्रतिबंध शिथिल होने के बाद कई प्रकार के सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक, निजी संस्थानों, निकायों के कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं. जिसके कारण ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग धड़ल्ले से होने लगा (No noise pollution rules in Raipur) है.
किन पर पड़ता है ज्यादा असर :कोरोना संक्रमण का असर कम होने के साथ ही प्रतिबंध हटने के बाद से आम जनता को ध्वनि प्रदूषण की वजह से तकलीफें बढ़ गई हैं. इसका प्रभाव छोटे बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों पर अधिक देखने को मिलता है. साथ ही गर्भवती माताओं, रोगियों पर भी बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
क्यों हो रहा है ध्वनि प्रदूषण : ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय बिलासपुर, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, छ.ग. पर्यावरण संरक्षण मंडल जैसी प्राधिकृत संस्थाओं ने समय समय पर महत्वपूर्ण दिशा निर्देश और मानक तय किये हैं. लेकिन इन सबके बावजूद कहीं पर भी इसका पालन नहीं हो रहा है, जो कहीं न कही इन संवैधानिक शक्ति संपन्न संस्थाओं के आदेश और निर्देशों का उल्लंघन भी है. न्यायिक अवमानना की श्रेणी में आता है. जनता के जीवन पर फिर से विपरीत प्रभाव डालना शुरू कर दिया है.