रायपुरःराष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आज दूसरे दिन सुबह 9 बजे से पारम्परिक त्यौहार, अनुष्ठान, फसल कटाई एवं अन्य पारम्परिक विधाओं पर आधारित लोकनृत्य प्रतियोगिता की शुरुआत हुई. इस श्रेणी के प्रतियोगिता की शुरुआत (Start Of Competition) उत्तराखंड के झींझी हन्ना लोक नृत्य (Jhinjhi Hannah Folk Dance) के साथ किया गया.
यह पारंपरिक नृत्य थारू समुदाय (Tharu Community) के लोगों द्वारा किया जाता है. नई फसल आ जाने के उपलक्ष्य में क्वार, भादो के महीने में गांव के प्रत्येक घर-घर जाकर महिलाओं द्वारा यह नृत्य किया जाता है. झींझी नृत्य में घड़े सिर पर रख कर प्रत्येक घर से आटा व चावल का दान लेते हुए झींझी खेलने के बाद उस आटे व चावल को इकट्ठा कर झींझी को एक दैवीय रूप (Divine Form) मान कर उसे सभी महिलाएं विसर्जन करने के लिए नदी किनारे जाती हैं. उसे विसर्जन कर उस आटे व चावल का पकवान बना कर सभी लोग खाते हैं.
बता दें कि राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. युगांडा के कलाकारों ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुति दी. इधर, इस नृत्य महोत्सव में पंजाब के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी नहीं पहुंच पाए. हालांकि कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, मंत्रिमंडल के सदस्य, विधायक, सांसद सहित अन्य नेता मौजूद रहे.
आदिवासी नृत्य महोत्सव से कोरोना संक्रमण का खतरा
उत्तराखंड की टीम ने दी सामूहिक प्रस्तुति
उसी तरह हन्ना नृत्य भी थारू समाज के पुरुषों द्वारा किया जाता है. जिसमें पुरुष वर्ग प्रत्येक घर जाकर आटे व चावल का दान लेता है. इस त्यौहार को भी क्वार-भादो में एक व्यक्ति हन्ना बन कर गीतों के अनुसार नृत्य करता है. हन्ना का संबंध देखा जाए तो मारिच से है. उत्तराखंड टीम द्वारा दोनों को मिला कर सामूहिक प्रस्तुति दी गई.
उसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य के प्रतिभागियों द्वारा करमा नृत्य (karma Dance) की प्रस्तुति दी गई. करमा नृत्य भादो माह में एकादशी तिथि के दिन राजा करम सेन की याद में कलमी (करम डाल के पेड़) की पूजा करके आंगन में उस डाली को स्थापित किया जाता है. उसमें प्राकृतिक देवता को स्थापित करते हुए पूजा-अर्चन किया जाता है.
पर्यावरण सुरक्षा का संदेश
रात भर करमा नाच करते हुए अप्रत्यक्ष रूप में देवी-देवता की नृत्य के माध्यम से स्तुति किया जाता है. इस नृत्य के माध्यम से पर्यावरण को बचाए रखने का संदेश देते हैं. ताकि हमारा पर्यावरण यथावत बना रहे. नृत्य के माध्यम से नृत्य दल भावभंगिमा, वेशभूषा, नृत्य की कला को प्रदर्शित करते हुए अत्यंत मनोरम, रमणीय प्रस्तुति देते हैं. इस श्रेणी में तेलांगाना द्वारा गुसाड़ी डिम्सा, झारखंड द्वारा उरांव, राजस्थान गैर घुमरा, जम्मू कश्मीर द्वारा धमाली एवं छत्तीसगढ़ द्वारा गौर सिंग नृत्य की प्रस्तुति की गई.