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बालोद के मस्जिद में सामूहिक तौर पर रोजा इफ्तारी - Balod Jama Masjid Ramjaan

बालोद जिले में रमजान के पवित्र महीने में मस्जिदों में रौनक (Celebration in Balod Mosque) देखने को मिल रही है. शहर के जामा मस्जिद में मुस्लिम भाई सामूहिक रुप से इफ्तारी कर रहे हैं.

Roza Iftari collectively in Balod
बालोद के मस्जिद में सामूहिक तौर पर रोजा इफ्तारी

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Published : Apr 13, 2022, 3:44 PM IST

Updated : Apr 13, 2022, 6:16 PM IST

बालोद : मुकद्दस रमजान माह शुरू होते ही मुस्लिम समाज के लोग शिद्दत के साथ अल्लाह की इबादत कर रहे हैं. बालोद शहर के पवित्र जामा मस्जिद में रमजान (Balod Jama Masjid Ramjaan ) के पवित्र महीने को बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. रमजान महीने की शुरुआत के साथ ही जामा मस्जिद को रोशनी से जगमगा दिया गया है. इसके साथ ही शाम होते ही इफ्तारी के लिए मुस्लिम समाज रोजाना जुट रहा है.

बालोद के मस्जिद में सामूहिक तौर पर रोजा इफ्तारी

मस्जिद में विशेष नमाज : इसके साथ ही रात्रि में विशेष तरावीह की नमाज अदा की जा रही है. जामा मस्जिद बालोद के इमाम साहब ने बताया की रमजान का महीना खुदा से गुनाहों की माफी मांगने का जरिया है. रोजे की हालत में एक नेकी के बदले खुदा से 70 नेकियों का शबाब मिलता है. खुदा हर इंसान को रमजान के महीने में बुराईयों से रोकने का मौका देता है.

सामूहिक रुप से इफ्तारी : बालोद शहर के पवित्र जामा मस्जिद में रोज शाम होते ही सामूहिक इफ्तारी का आयोजन (Roza Iftari collectively in Balod) किया जाता है. जहां पर बच्चों से लेकर हर वर्ग के लोग इफ्तारी के लिए शामिल होते हैं. यहां पर प्रेम एवं सद्भाव के साथ हर वर्ग का मुस्लिम समाज का व्यक्ति एक साथ बैठकर इफ्तारी कर रहा है.

सेवइयों से सजा बाजार : रमजान महीने में सेवइयों का विशेष महत्व (Importance of vermicelli in Ramadan) होता है तो रमजान का महीना है और मस्जिद के आसपास सेवाइयों की दुकानें भी सज चुकी हैं. व्यापारियों ने बताया कि हमारे समाज में ईद में सेवई खाने का रिवाज होता है. जिसके मद्देनजर मस्जिद के आसपास सेवइयों की दुकानें सजी हुई है.


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तीन हिस्सों में पूरा होता है रोजा : अल्लाह ने माहे रमजान में रोजा रखने का हुक्म दिया है. जिससे गरीब और भूख-प्यास से बिलखते इंसानों के दर्द गम का एहसास हो. रजमान माह को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहले दस दिन रहमत, बीच के दस दिन गलतियों की मगफिरत और आखिर के दस दिन जहन्नुम से निजात के लिए हैं. रोजा रखने के साथ ही गरीबों को पेट भर भोजन और असहाय लोगों की मदद करनी चाहिए.

Last Updated : Apr 13, 2022, 6:16 PM IST

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