रायपुर :भारत के लिए राजीव गांधी बहुत ही अच्छे प्रधानमंत्री रहे. देशवासियों ने इन्हें वक्त से पहले ही खो दिया .देशवासियों का इसका बहुत ही दुख हुआ, आज तक दुख है। श्रीपेरबदुर में एक धमाके में राजीव गांधी की मौत (Rajiv Gandhi Death) हो गई.राजीव गांधी की हत्या के लिए साजिश बहुत ही बारीकी से तैयार की गई थी. कि कब क्या कैसे करना है. श्रीलंका में बैठे मुरूगन ने जयकुमार और रोबोट बायस्कोर को चेन्नई भेजा था. इनको श्रीलंका से चेन्नई भेजने का मकसद यही था कि अरसे से चुपचाप पड़े कंप्यूटर इंजीनियर और इलेक्ट्रॉनिक एक्सपर्ट अरेवीयू पैरुलीबालन को हत्याकांड की साजिश में शामिल करें ताकि वह हत्या का औजार बम बना सके.
चेन्नई में रची गई साजिश : आगे चलकर पुरूर का यही घर राजीव गांधी हत्याकांड (Rajiv Gandhi assassination story) के प्लान का हेडक्वार्टर बना. यहीं से पूरी साजिश श्रीपेरबंदूर तक पहुंची .शिवराजन समुद्र के रास्ते से जाफना पहुंचा. धनु और शिवा को साथ लेकर वहां से फिर चेन्नई पहुंचे. वहां सभी नलिनी के घर पर रहे. इन्होंने एक महिला के कमर पर बांधा जाने वाला बेल्टनुमा बम तैयार किया था. जो बहुत ही ज्यादा विस्फोटक था. अब बस उस समय का इंतजार था. जब इस साजिश को अंजाम देना था.
साजिश में कौन-कौन था शामिल :राजीव गांधी चुनाव प्रचार कर रहे थे. तभी वहां ये हादसा हुआ था. तब घने जंगलों के बीच में आतंकी छिपे हुए थे. उनके 4 साथी थे. जिनका नाम बेबी सुब्रमण्यम, मथुराजा, मुरूगन और शिवरासन है.
बेबी सुब्रमण्यम : बेबी ने हमलावरों के लिए ठिकाने का जुगाड़ किया था. हमलावर हमला करने से पहले और उसके बाद कहां छुपेंगे ताकि वह पुलिस से बच सकें.
मुथुराजा : यह प्रभाकरण के खास आदमी था. हमलावरों के लिए संचार और पैसे की जिम्मेदारी मुथुराजा ने ली थी. उसको हर सुविधा प्रदान करना उनका काम था.
मुरूगन : विस्फोट विशेषज्ञ था. हमले के लिए जरूरी चीजें और पैसों का इंतजाम करना इनका काम था. हमले के लिए बम बनाने का मास्टर माइंड मुरुगन ही था.
शिवरासन : यह एक नंबर की जासूस था. राजीव गांधी की हत्या की पूरी जिम्मेदारी इसी को दी गई थी.क्योंकि इसका दिमाग बहुत ही शातिर था.
कैसे हुई वारदात :एक दिन पहले राजीव गांधी और जयललिता रैली कर रहे थे तब शिवराजन ने वहां उनकी सुरक्षा का जायजा लिया.उन्होंने राजीव गांधी की सुरक्षा का जायजा लिया और भाप लिया था कि कोई खास सुरक्षा नहीं है. साजिश को अंजाम दिया जा सकता है. उस समय लोकसभा चुनाव का दौर था राजीव गांधी की मीटिंग 21 मई को श्रीपेरबंदूर में तय हुई थी.
रैली से पहले ट्रायल : उनकी अगली मीटिंग हुई तब शिवराजन धनु को साथ लेकर गया. धनु को एक बेल्ट बांधा था. बेल्ट बम जिससे वह सभी लोगों को उड़ाने वाली थी. 20 मई की रात को धनु ने पहली बार सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देने के लिए चश्मा पहना बेल्ट पहना. धनु ने बम वाला बेल्ट लगाकर प्रैक्टिस की एक दिन पहले ही सुरक्षा घेरा तोड़ा गया.सब ने मिलकर पूरी प्लानिंग की कि कल क्या करना है और पूरे मकसद सभी तैयार हो गए. फिर फिल्म देखी और सो गए.
रैली में ही हुआ धमाका : रैली में यह राजीव गांधी के पास पहुंचे तो एक महिला इंस्पेक्टर ने इन्हें दूर रहने के लिए कहा. लेकिन राजीव गांधी ने कहा कि सबको पास आने का मौका मिलना चाहिए. उन्हें नहीं पता था कि उनके साथ क्या होने वाला है. धनु ने उन्हें माला पहनाई और पैर छूने के लिए झुकी. धनु के झुकते ही जोरदार धमाका हुआ.चारों तरफ धुंआ और चीख पुकार मच गई. जब कुछ देर बाद धुंआ छटा तो सब कुछ खत्म हो चुका था.
शव का पता लगाना था मुश्किल :राजीव गांधी की मृत्यु के बाद उनके शव का पता लगाना मुश्किल हो गया था. क्योंकि सभी शव खराब हो चुके थे. किसी का चेहरा ठीक नहीं था.राजीव गांधी की हत्या के बाद वहां घटनास्थल पर तमिलनाडु के फॉरेंसिक साइंस डिपार्टमेंट के डायरेक्टर पी चंद्रशेखर ने इस बारे में दो दिनों तक लगातार जांच की.दो दिनों बाद उन्होंने बताया कि ''बम को बेल्ट की तरह एक औरत ने पहन रखा था. उस औरत ने हरे रंग का सलवार सूट पहना था. वह राजीव गांधी के पैर छूने के लिए झुकी थी बम फटा. यह घटना पूरी दुनिया के सामने हुई हुई थी. बम फटने से पहले भी कई फोटो ली गई. वह फटने के बाद भी कई फोटो ली गई थी. लेकिन जब बम फटा उसकी कोई वीडियो नहीं है इसीलिए जांच पड़ताल करने वालों ने उसी घटनास्थल की पड़ताल की.''