छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / city

Loksabha Election result 2019: छग की वो 4 सीटें जिन पर टिकी होंगी सबकी निगाहें, जानें क्यों - राजनांदगांव पर नजर क्यों

छत्तीसगढ़ में यूं तो सभी लोकसभा सीटों के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी होंगी लेकिन 4 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिनके नतीजों के लिए उत्सुकता ज्यादा होगी. रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और बस्तर. क्यों ये हम आपको बताएं, इससे पहले ये बताना जरूरी है कि इस बार भाजपा ने अपने सभी सिटिंग सांसदों का टिकट काट दिया था.

छग की वो 4 सीटें जिनपर टिकी होंगी सबकी निगाहें

By

Published : May 23, 2019, 12:01 AM IST

रायपुर: जनता ने अगले 5 साल किसे मौका दिया है ये आज पता चल जाएगा. लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजे आज आएंगे. देश की 542 सीटों के नतीजे गुरुवार को आएंगे. छत्तीसगढ़ की 11 सीटों पर जनता ने किसे चुनाव है, इसका फैसला आज होगा.

छत्तीसगढ़ में यूं तो सभी लोकसभा सीटों के नतीजों पर सबकी निगाहें टिकी होंगी लेकिन 4 लोकसभा सीटें ऐसी हैं, जिनके नतीजों के लिए उत्सुकता ज्यादा होगी. रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव और बस्तर. क्यों ये हम आपको बताएं, इससे पहले ये बताना जरूरी है कि इस बार भाजपा ने अपने सभी सिटिंग सांसदों का टिकट काट दिया था.

रायपुर पर नजर क्यों-
सबसे पहले अगर बात करें रायपुर लोकसभा क्षेत्र की तो छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में से एक रायपुर सीट बीजेपी का गढ़ कही जाती है. बीजेपी के रमेश बैस यहां से 7 बार जीत चुके हैं. हालांकि बीजेपी ने इसबार इनका भी टिकट काट दिया है. बीजेपी ने रायपुर से सुनिल सोनी को उम्मीदवार बनाया है. सुनिल सोनी का मुकाबला रायपुर के वर्तमान महापौर प्रमोद दुबे से है. सुनिल सोनी इससे पहले रायपुर के महापौर रह चुके हैं. रायपुर में इस बार मुकाबला इसलिए भी दिलचस्प है कि यहां पूर्व महपौर के सामने वर्तमान महापौर हैं. अपने गढ़ में बीजेपी ने बैस का टिकट काटकर नया चेहरा उतारा है इसलिए जंग दिलचस्प है. इस सीट से बीजेपी लगातार 6 चुनावों से काबिज है. ऐसे में बीजेपी की साख बचाने की चुनौती भी सुनील सोनी के लिए है.

दुर्ग पर नजर क्यों-
छत्तीसगढ़ की सबसे हाई प्रोफाइल संसदीय क्षेत्र में से एक दुर्ग पर सबकी निगाहें टिकी हैं क्योंकि माना जा रहा है कि यहां से कांग्रेस प्रत्याशी से ज्यादा राज्य सरकार की साख दांव पर लगी है. यहां सूबे की सरकार को टक्कर देने के लिए लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी ने कुर्मी समाज से ताल्लुक रखने वाले विजय बघेल को मैदान में उतारा. विजय बघेल का सीधा मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिमा चन्द्राकर से ही माना जा रहा है.

दूसरी वजह ये भी है कि 2014 की मोदी लहर में जहां बीजेपी ने प्रदेश की 11 में से 10 सीटें जीती थीं, वहां यही एक सीट थी जिसपर हार मिली थी. कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू ने तब चुनाव जीता था और फिलहाल वो राज्य सरकार के गृह मंत्री हैं. इसके अलावा उनके पास संस्कृति मंत्रालय भी है.

राजनांदगांव पर नजर क्यों-
राजनांदगांव लोकसभा सीट प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है. यहां से वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे अभिषेक सिंह सांसद हैं. लेकिन बीजेपी ने इस बार इनका भी टिकट काट दिया है. अब राजनांदगांव में बीजेपी की इज्जत और साख बचाने का दांव संतोष पांडेय पर है. संतोष पांडेय का यहां सीधा मुकाबला भोलाराम साहू से है. रमन सिंह का विधानसभा क्षेत्र और उनके बेटे का लोकसभा क्षेत्र राजनांदगांव इस बार भी लोगों का अटेंशन खींचेगा.

बस्तर लोकसभा पर नजर क्यों-
दुर्ग लोकसभा सीट से कांग्रेस ने दीपक बैज को अपना उम्मीदवार बनाया है. दीपक बैज का मुकाबला यहां बीजेपी के बैदूराम कश्यप से है. बस्तर संसदीय क्षेत्र में पहले ही चरण में 11 अप्रैल को वोटिंग हो चुकी है. बस्तर पर बीते 20 साल से बीजेपी का गढ़ बना है. इस बार दोनों दलों ने परंपरा से हटकर वंशवाद को छोड़कर टिकट दिया है लिहाजा इस सीट पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details