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छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन में विधायकों की नियुक्ति पर उठ रहे सवाल?

छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार को लगभग 3 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. बावजूद, कांग्रेस अब तक निगम मंडल आयोग में पूरी नियुक्ति नहीं कर सकी है.  बीच-बीच में निगम मंडल आयोग में सरकार के द्वारा कुछ नियुक्तियां जरूर की जा रही है. विधायकों को अर्जेस्ट करने में काफी दिक्कत हो रही है जो कि कांग्रेस के लिए एक करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.

Questions are being raised on the appointment of MLAs in the Corporation
कॉरपोरेशन में विधायकों की नियुक्ति पर उठ रहे सवाल

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Published : Jan 16, 2022, 6:56 PM IST

रायपुरः पिछले तीन सालों में छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार निगम मंडल आयोग में नियुक्ति पूरी नहीं कर पाई है. हालांकि बीच-बीच में निगम मंडल आयोग में सरकार के द्वारा कुछ नियुक्तियां जरूर की जा रही हैं.। इस बार जंबो विधायक जीत कर आए हैं. इस वजह से कांग्रेस को इन विधायकों को अर्जेस्ट करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कांग्रेस सरकार अब तो आईएएस की जगह भी विधायकों की नियुक्ति करने लगी है.

कॉरपोरेशन में विधायकों की नियुक्ति पर उठ रहे सवाल

हाल ही में कांग्रेस सरकार ने कॉर्पोरेशन में विधायकों की नियुक्ति की है. सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में दवा, मेडिकल उपकरण आदि की खरीदी से जुड़ी एजेंसी छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के प्रबंधन में जनप्रतिनिधियों को भी शामिल किया है. लुंड्रा विधायक डॉ प्रीतम राम को मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन संचालक मंडल का अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं, मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ विनय जयसवाल और मरवाही विधायक डॉक्टर के के ध्रुव को संचालक मंडल में जगह दी गई है. इन दोनों को भी संचालक मंडल में संचालक बनाया गया है. इसके अलावा नीलाभ दुबे को कॉर्पोरेशन का संचालक बनाया गया है.

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बीजेपी ने उठाए सवाल

कांग्रेस सरकार के इन नई नियुक्तियों को लेकर बीजेपी ने सवाल उठाए हैं. बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस सरकार विधायकों को संतुष्ट करने के लिए इस तरह की नियुक्ति दे रही है. बीजेपी नेता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि पिछले तीन साल से सरकार में सिर्फ उठा पटक हुआ है. उसके अलावा कुछ नहीं हुआ है. 3 साल से ज्यादा का समय हो चुका है. अब भी पार्टी में असंतोष व्याप्त है. उसी के चलते अपने विधायकों को निगम मंडल में पद दिया जा रहा है.

तमाम प्रकार के कारपोरेशन हैं. उसमें संचालक मंडल में नियुक्ति की जा रही है. उनकी पार्टी में गुटबाजी का नतीजा है जो इस प्रकार से सामने आ रहे हैं. सरकार में स्थिरता नाम की चीज दिखाई नहीं पड़ती. पार्टी में असंतोष दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं. 15 साल जिन कार्यकर्ताओं ने मेहनत और परिश्रम किया था, आज उसकी अनदेखी हो रही है. इसके चलते इस प्रकार का परिदृश्य मिल रहा है, जो कि प्रदेश हित में नहीं है. विधायकों को लाभान्वित करने के लिए तमाम प्रकार के कारपोरेशन निगम मंडल में स्थान देना सरकार की तुष्टीकरण और सरकार की चापलूसी को दर्शाता है.

नियुक्ति का सीएम को विशेष अधिकार
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का कहना है कि निगम मंडल में नियुक्ति का अधिकार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. निगम मंडल में किसकी नियुक्ति की जाएगी? यह मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तय करते हैं. विधायकों को निगम मंडल में नियुक्त की जिम्मेदारी दी गई है. इससे निगम मंडल के काम को गति मिलेगी और आम जनता को सहूलियत और असुविधा मिलेगा. निगम मंडलों में विधायकों के साथ-साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी जिम्मेदारियां मिली हैं. बीजेपी बताए जो 15 साल तक निगम मंडलों में नियुक्ति करते रहे, उनको अब तकलीफ किस बात की हो रही है.

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आईएएस अधिकारियों को दिया जाता था अध्यक्ष और प्रबंध संचालक का पद

अब तक जिन पदों पर आईएएस अधिकारी बैठते थे, वहां विधायकों की नियुक्ति की जा रही है, यह चर्चा का विषय बना हुआ है. साल 2012 में मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन का गठन किया गया था. इसका काम सरकारी अस्पतालों के लिए दवा, उपकरण, मशीन आदि खरीदना था. इस कॉरपोरेशन में अभी तक आईएएस अधिकारियों को अध्यक्ष और प्रबंध संचालक के तौर पर नियुक्ति दी जाती रही है. वर्तमान कांग्रेस सरकार ने विधानसभा के जरिए इसके प्रावधान में बदलाव करते हुए राजनीतिक नियुक्ति का रास्ता खोल दिया और अब जो स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव और इस कॉरपोरेशन के अध्यक्ष होते थे, वे महज बोर्ड के संचालक बनकर रह गए हैं.

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