रायपुर: कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव 2018 में अपने जन घोषणा पत्र में अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने का ऐलान किया था. लेकिन लगभग 4 साल बीत जाने के बाद भी अब तक इन कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं किया गया है. इनके लगातार बढ़ते आक्रोश को देखते हुए अब सरकार ने इन अनियमित कर्मचारियों के आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया शुरू की है. कांग्रेस का भी कहना है कि जन घोषणा पत्र में अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने की बात कही गई है. सरकार इस पर आगे बढ़ रही है . जबकि भाजपा इसे कांग्रेस का चुनावी स्टंट बता रही है.
अनियमित कर्मचारी संघ में खुशी की लहर:हालांकि सरकार के द्वारा शुरू की गई इस प्रक्रिया को लेकर अनियमित कर्मचारी संगठन ने खुशी जाहिर की है. छत्तीसगढ़ संयुक्त अनियमित कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रवि गढ़पाले का कहना है कि ''लगातार अनियमित कर्मचारी संघों के द्वारा अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन किया जा रहा था, जिसके बाद अब सरकार के द्वारा अनियमित कर्मचारियों के आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है. ऐसा नहीं है कि यह प्रक्रिया पहली बार शुरू की गई.
भाजपा ने बताया चुनावी स्टंट: भाजपा अनियमित कर्मचारियों के आंकड़े जुटाने की सरकार के पहल को महज दिखावा बता रही है. छत्तीसगढ़ भाजपा मीडिया प्रभारी अमित चिमनानी का कहना है कि पिछले साल 4 साल में कांग्रेस सरकार अनियमित कर्मचारियों की संख्या का पता नहीं लगा सकी और अब नियमितीकरण की बात कह रही है. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले पांच 10 दिन में अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण की बात कही थी. अब 4 साल बाद अनियमित कर्मचारियों की संख्या का पता किया जा रहा है.
कांग्रेस ने आरोपों को नकारा : कांग्रेस भाजपा के इन आरोपों को सिरे से नकार रही है. कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि अनियमित शब्द की जनक भाजपा रही है. यह शब्द ही उनके कार्यकाल में आया है. सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि आखिर अनियमित कर्मचारी शब्द कहां से आया.15 साल इनकी सरकार थी, सरकारी नौकरी में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश के द्वार बंद कर दिए. युवाओं को कम पैसे और ठेका पद्धति आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती की गई। ठेका कंपनी भाजपा के लोगों की होती थी.सरकार से 1 रुपये मिलता था कर्मचारियों को 50 पैसे दिए जाते थे । उनके कार्यकाल में ही यह अवस्थाएं फैली है.सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि ''आज हमारी सरकार बनने के बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण की पहल की जा रही है। यदि भाजपा सरकार अपने 15 सालों में 20000 भर्तियां भी निकालती तो आज तीन लाख युवाओं को रोजगार मिल गया होता वे नियमित होते, आज वर्तमान में लगभग इतने ही अनियमित कर्मचारी हैं.''