रायपुर:छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि राज्य बनने के बाद से रवि फसल के लिए कभी भी यूरिया की दिक्कत नहीं हुई. खाद की आवश्यकता कम पड़ती है. लोगों को उनकी आवश्यकता के अनुसार खाद मिल जाती थी. लेकिन अब कांग्रेस की सरकार आने के बाद दुर्भाग्यजनक स्थिति है. लगातार छत्तीसगढ़ में खाद का संकट गहरा रहा है. बरसात में भी किसानों को तकलीफ हुई है. सरकार के संरक्षण में ब्लैक मार्केटिंग हुई है, जिसे रोकने में सरकर सक्षम नहीं रही.
छत्तीसगढ़ में खाद संकट पर राजनीति छत्तीसगढ़ में खाद संकट (fertilizer crisis in chhattisgarh)
छत्तीसगढ़ के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का यह भी कहना है कि अभी गर्मी में जिस प्रकार से यूरिया की ब्लैक मार्केटिंग हो रही है, उसका कृत्रिम अभाव बताया जा रहा है. वास्तव में किसानों के लिए दोहरी मार है. छत्तीसगढ़ का किसान खाद संकट से जूझ रहा है. छत्तीसगढ़ सरकार का काम केंद्र सरकार पर आरोप लगाना है. किसी भी प्रदेश में इस समय खाद की कमी नहीं है. छत्तीसगढ़ में खाद की कमी है. इसका कारण छत्तीसगढ़ सरकार की नीति है. जिस समय डिमांड भेजना चाहिए, उसे नही भेजा. यह सरकार केवल आरोप लगाना जानती है. इस सरकार के आने के बाद लगातार किसानों का अहित हो रहा है. इसलिए सरकार ब्लैक मार्केटिंग को रोकते हुए कालाबाजारी पर नियंत्रण करे. छत्तीसगढ़ के किसानों को सरकारी रेट में खाद उपलब्ध कराएं, जिससे किसानों को शोषण से बचाया जा सके.
छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ अन्याय (Injustice to the farmers of Chhattisgarh)
मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि मोदी सरकार एक बार फिर अपने दायित्व से पीछे हट गई है. जब से केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है, तब से लगातार मोदी सरकार अपने दायित्वों का निर्वहन करने में कोताही बरतती है. एक बार फिर से किसानों को खाद और उर्वरक की आपूर्ति की जानी है. उसमें केंद्र सरकार ने 40 फीसदी से ज्यादा की कटौती की है. इसका खामियाजा छत्तीसगढ़ में किसानों को भुगतना पड़ता है. किसानों को सही समय पर खाद नहीं मिल पा रही है. इससे उनकी उत्पादकता प्रभावित होगी. इस जिम्मेदारी को लेने के बजाय केंद्र सरकार राज्यों को बोल रही है कि किसानों को बोला जाए कि वो वैकल्पिक खाद का उपयोग करें. यह बहुत गलत है. यह छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ अन्याय है.
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कांग्रेस के मुताबिक छत्तीसगढ़ में खरीफ फसल लगाने के समय किसानों के लिए 11.75 लाख मीट्रिक टन खाद की मांग की गई थी. जिसमें कटौती कर 5.75 लाख मीट्रिक टन खाद की आपूर्ति की गई थी. रवि फसल लगाने वाले किसानों के लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से 7.50 लाख टन खाद की मांग की थी, जिसमें कटौती कर 4.11 लाख टन देने की सहमति दी गई. मात्र 3.20 लाख टन की आपूर्ति की गई. रवि फसल के लिए 3.50 लाख टन यूरिया, 2 लाख टन डीएपी, 50 टन पोटाश, 75 टन एनपीके, 75 हजार टन सुपर फास्फेट की आवश्यकता है, जिसमें मोदी सरकार ने 45% की कटौती कर दी है.
यदि बजट की बात की जाए तो पहले बजट में किसानों को मिलने वाले खाद की सब्सिडी के लिए 1 लाख 40 हजार करोड़ का प्रावधान था, जिसे कटौती कर 1 लाख 5 हजार करोड़ कर दिया गया. फूड सब्सिडी पहले बजट में 2 लाख 86 हजार करोड़ रुपए थी. इसमें कटौती कर दो लाख 6 हजार करोड़ कर दिया गया.
बहरहाल सत्ता पक्ष और विपक्ष की लड़ाई में कहीं न कहीं किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. अब देखने वाली बात है कि किसानों की खाद को लेकर हो रही परेशानी कब दूर होती है या फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष की लड़ाई में उनकी फसल बर्बाद होगी और छत्तीसगढ़ के किसानों को नुकसान उठाना पड़ेगा.