रायपुर :कोरोना महामारी ने हर वर्ग को प्रभावित किया है. इससे न केवल बच्चों की पढ़ाई को नुकसान पहुंचा है, बल्कि खेल जगत को भी खासा प्रभावित किया है. नए खिलाड़ियों को तलाशने और तराशने का काम समर कैंप के माध्यम से किया जाता है, लेकिन पिछले 2 साल से समर कैंप बंद है. ऐसी गतिविधियां भी नहीं हो रही, जिससे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग दी जा सके. 2 साल में 5 हजार से अधिक नए खिलाड़ी मैदान से बाहर हो गए हैं. यहां तक कि किसी भी खेल के लिए वर्चुअल ट्रेनिंग का भी आयोजन नहीं किया गया. इस वजह से स्कूल गेम से लेकर अलग-अलग स्तर तक जो नए खिलाड़ी निकले, वे नहीं मिल पाए.
कोरोना से पहले अप्रैल, मई और जून इन 3 महीनों में खेल मैदान पर छोटे-छोटे बच्चों की भीड़ दिखती थी. सभी उभरते हुए खिलाड़ी अपने टैलेंट को तलाशने और तराशने के लिए जुट जाते थे. समर कैंप एक तरह से टैलेंट का गढ़ था, यहां से प्रतिभा चुनकर, फिर उनकी ट्रेनिंग की जाती है. कोरोना की वजह से 2 साल से उभरती हुई प्रतिभाओं का गढ़ यानी समर कैंप शुरू नहीं हो सका है. इस बार कैंप होने की उम्मीद भी नहीं दिख रही है. इससे राजधानी के लगभग 38 खेलों के 5 हजार खिलाड़ियों को नुकसान हुआ है. राजधानी में समर कैंप ना होने से करोड़ों रुपए का घाटा भी खेल जगत से जुड़े व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है.
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हर साल 3383 खिलाड़ी लेते थे हिस्सा
मार्च से सितंबर के बीच स्कूल गेम्स के ब्लॉक, जिला और राज्य स्तरीय टूर्नामेंट हो जाया करते थे. नेशनल के लिए टीम का गठन भी कर लिया जाता था, लेकिन पिछले साल से स्कूल का कैलेंडर जीरो पर लटका हुआ है. केंद्र और राज्य शासन के निर्देशों के बीच खेल शुरू ही नहीं हो सका है. स्कूल स्पोर्ट्स के मुताबिक स्कूल गेम्स में हर साल 1 जून से अंडर 14, अंडर 16 और अंडर 19 गर्ल्स बॉयज कैटेगरी में 3 हजार 382 खिलाड़ी भाग लेते थे, लेकिन 2 सालों से ना ही कोई टूर्नामेंट हुए और ना ही ट्रायल लिए गए.
स्पोर्ट दुकानों में सन्नाटा खेल से बन रही दूरियांप्रतियोगिताएं ना होने की स्थिति में हजारों सब जूनियर, कैडेड, जूनियर, यूथ वर्ग में खेलने वाले खिलाड़ी परेशान हैं. उनका कहना है कि अगर प्रतियोगिताएं नहीं होंगे तो वह अपने आयु वर्ग में ओवरेज हो जाएंगे, जिससे उन्हें मेडल जीतने के लिए अपने से सीनियर खिलाड़ी से निपटना होगा. अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाड़ी सावन निर्मलकर ने बताया कि 2 साल से खेल एवं युवा कल्याण विभाग की ओर से किसी प्रकार का आयोजन ना होने से अपने खेल से दूरियां बढ़ती जा रही है. उन्होंने मैदान को लेकर भी कहा कि कम से कम सुबह और शाम 2 घंटे खेल ग्राउंड को खोला जाए. साथ ही समर कैंप का आयोजन किया जाए.
20 से अधिक दुकानें हुई खाली स्कूल-कॉलेज पूरी तरह से बंद हो चुके हैं. समर कैंप भी नहीं लग रहा है. ऐसे में स्पोर्ट्स शॉप के संचालकों का व्यापार ठंडे बस्ते में चल रहा है. राजधानी के अल्पना स्पोर्ट्स शॉप के संचालक प्रखर जैन बताते हैं कि पहले की तुलना में स्पोर्ट्स आइटम की बिक्री काफी कम हो गई है. पहले हर खिलाड़ी कुछ न कुछ समान खरीद लेते थे, लेकिन सब बंद होने से खेल के सामानों की बिक्री नहीं हो पा रही है. पहले सभी तरह के खेल के सामानों की बिक्री होती थी, जिसमें सबसे ज्यादा क्रिकेट, बास्केटबॉल, फुटबॉल, स्वीमिंग के आइटम्स की डिमांड थी. अब तो बमुश्किल एक दो ग्राहक ही आते हैं. राजधानी में 20 से अधिक स्पोर्ट्स शॉप है. यहीं से ही अन्य शहरों के लिए भी स्पोर्ट्स के समान मंगाए जाते थे. स्पोर्ट्स शॉप के संचालकों की माने तो समर कैंप के दौरान एक दुकानदार करीब 10 से 15 लाख रुपये कमा लेते थे.
समर कैंप में 5 हजार खिलाड़ी लेते थे हिस्सा
स्कूल खेल अधिकारी आईपी वर्मा ने बताया कि वर्तमान समय में होने वाले सारे क्रीडा प्रतियोगिता का आयोजन कोरोना की वजह से होने की संभावना बहुत कम नजर आ रही है. इन प्रतियोगिताओं में लगभग 5 हजार खिलाड़ी हिस्सा लेते थे और यह खिलाड़ी समर कैंप में अपने खेल को बढ़ाने के लिए भी अभ्यास करते थे. समर कैंप में प्रथम चरण में ब्लॉक स्तरीय, जिला उसके बाद क्षेत्रीय फिर स्टेट और नेशनल शालेय प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था. जो कोरोना काल की वजह से नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि कोरोना का समाप्त होता है तो इन विभिन्न खेलों का आयोजन होना संभव है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल की वजह से बच्चों के खेल में बहुत नुकसान हो रहा है.