रायपुर :देश लगातार आधुनिकता की ओर तेजी से भाग रहा है. देश को आगे बढ़ाने में शिक्षा का अहम योगदान है. साल 2021 में नेशनल अचीवमेंट सर्वे के अनुसार छत्तीसगढ़ शिक्षा के क्षेत्र में देश में 30वें स्थान पर है. ऐसे समय में शिक्षा दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीन बड़े फैसले लिए. इसमें सबसे अहम स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में संस्कृत विषय की पढ़ाई का निर्णय लिया गया. इसके पहले प्रदेश के इकलौते संस्कृत कॉलेज में अंग्रेजी की पढ़ाई शुरू की गई है. इस तरह की शिक्षा व्यवस्था से बच्चों को भविष्य में कितना फायदा होगा? इस तरह की शिक्षा व्यवस्था बच्चों के लिए कितनी फायदेमंद है? प्रदेश में इससे शिक्षा स्तर पर क्या असर पड़ेगा? इस बारे में ईटीवी भारत ने शिक्षाविद और कुछ बच्चों से बातचीत (Big decision regarding Sanskrit in Chhattisgarh ) की.
संस्कृत कॉलेज में इंग्लिश का समावेश समझ से परे :शिक्षाविद डॉ. जवाहर सूरीसेट्टी (Educationist Dr Jawahar Surisetty) ने बताया " आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल में संस्कृत की पढ़ाई की बात (Sanskrit in aatmanand english medium school ) उस हद तक ठीक है, जब तक संस्कृत को एक वैकल्पिक विषय बनाकर आप पढ़ाते हैं. पहले भी स्कूल में बच्चे हिंदी और संस्कृत में से कोई एक विषय चुन सकते थे. जिन स्कूलों में नहीं था, वहां दोबारा इसे शुरू किया जा रहा है. इसमें कोई गलत नहीं है. लेकिन संस्कृत कॉलेज में इंग्लिश की पढ़ाई होना समझ से परे है. बड़े बच्चों के लिए दो भाषी प्रणाली की जरूरत नहीं है. उच्च शिक्षा में बच्चे पहले से यह समझ गए हैं कि उनको क्या पढ़ना है. चाहे वह हिंदी हो इंग्लिश या संस्कृत. संस्कृत कॉलेज में इंग्लिश का समावेश समझ में नहीं आता है. मुझे लगता है इसकी जरूरत नहीं है. जैसे इंजीनियरिंग कॉलेज में हिंदी में आपने किताबें निकालने की बात की वह समझ में भी आता है, क्योंकि हिंदी मीडियम के बच्चे भी इंजीनियरिंग करते हैं. संस्कृत अपने आप में ऐसी भाषा है, जिसमें इंग्लिश का कोई समावेश नहीं है.