रायपुर :नवग्रहों में न्याय का कारक जाने वाले शनि देव पांच जून को कुंभ राशि में वक्री होने जा रहे (Now Saturn will move retrograde) हैं. 141 दिन उलटी चाल चलने के बाद 23 अक्तूबर को मार्गी होंगे. उनके उल्टी चाल चलने से बड़ी ज्योतिष हलचल होगी और सभी 12 राशियां प्रभावित होंगी. देश दुनिया के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य पर भी व्यापक असर पड़ेगा. सभी नौ ग्रहों में शनि को सबसे धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है.
मनुष्यों को कैसे प्रभावित करेंगे शनि :मनुष्य के जीवन चक्र को शनि की चाल सर्वाधिक प्रभावित करती है. शनि एक राशि में अढ़ाई साल रहते (Saturn stays in one zodiac for two and a half years) हैं और इसी बीच कुछ महीनों के लिए वह उल्टी चाल भी चलते हैं. पांच जून को शनि देव 141 दिन के लिए उल्टी चाल चलेंगे और इसी बीच 12 जुलाई को वह वक्री अवस्था में ही कुंभ राशि से एक बार फिर मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे, जिससे मिथुन और तुला राशि एक बार फिर से शनि की ढैया और धनु राशि शनि की साढ़ेसाती की चपेट में आ जाएगी.
किस तरह प्रभावित होंगी राशियां :शनि देव 17 जनवरी 2023 को फिर से कुंभ राशि में प्रवेश कर (Many zodiac signs affected by Saturn) जाएंगे. जिस कारण इस साल के अंत तक धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती रहेगी.शनि के उल्टी चाल चलने से कई राशियां प्रभावित होंगी और उन राशियों पर खास तौर पर शनि का प्रभाव देखने को मिलेगा जो शनि की ढैया और साढ़ेसाती की चपेट में हैं. इसके अलावा वैश्विक परिदृश्य पर भी कई तरह की हलचल देखने को मिलेगी.
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शनि की उल्टी चाल का कितना असर : कुछ देशों में सैन्य टकराव बढ़ सकता है. कुछ राज्य सरकारों को जनता के असंतोष का सामना भी करना पड़ सकता है. कईयों की कुर्सी खिसकने के योग भी बनेंगे जबकि कई राजनीतिक दलों में आंतरिक संघर्ष भी खुलकर सामने आ सकते हैं. ज्योतिष के ग्रंथों में शनि के वक्री होने को शुभ नहीं माना गया है. शनि के वक्री होने पर प्रजा रोग और पीड़ा का शिकार होती है. देश की अर्थव्यवस्था, काम धंधे पर भी शनि की उल्टी चाल का असर पड़ता है.