रायपुर :पिछले कुछ दिनों से जंगलों में लगातार आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. आलम यह है कि अगर अप्रैल की बात करें, तो शुरू के 3 दिनों में ही 3000 से ज्यादा आग लगने की घटना जंगलों में देखने को मिली हैं. इन आग लगने की घटनाओं से जहां एक ओर जंगल तबाह हो रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर उन जंगलों में रहने वाले जंगली जानवरों की जान पर बन आई है. जानवर जान बचाने के लिए रहवासी क्षेत्रों की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन यहां कई बार इंसान डर के कारण इन जानवरों को मौत के घाट उतार देता है या फिर ये जानवर अपनी जान बचाने के लिए इंसानों को अपना शिकार बना लेते हैं. तेजी से घट रहे जंगल और आग की घटनाओं की वजह से आज कई जंगली जानवर विलुप्त होने की कगार पर हैं. जंगल में लगने वाली आग से जंगली जानवरों पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है, इन सारे सवालों के जवाब के लिए ETV भारत ने वन और वन्य प्राणी विशेषज्ञ नितिन सिंघवी से..
धमतरी: केरेगांव के जंगल में लगी भीषण आग
सवाल :जंगलों में आग की वजह से जंगली जानवरों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है ?
जवाब :पिछले 100 सालों में इंसानों ने जानवरों के रहने के स्थान को काफी कम कर दिया है. जंगली जानवरों में अंब्रेला स्पीशीज, टाइगर, एलीफैंट, तेंदुआ और भालू प्रमुख हैं, जिनका रहने का स्थान कम हो गया है. इस बीच यदि जंगल में आग लगती है, तो यह जानवर अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते हैं. उनके रहने का स्थान पहले ही कम हो चुका है, ऐसे में आग लगने के बाद ये जंगली जानवर जंगल के आसपास के गांवों की ओर रुख करते हैं.
सवाल:आग से जानवरों को किस तरह से बचाया जाए, इसे लेकर शासन-प्रशासन ने क्या योजना बनाई है ?
जवाब : जंगल में लगने वाली आग से जंगली जानवरों को बचाने के लिए अब तक वन विभाग की ओर से कोई योजना नहीं बनाई गई है. आलम यह है कि पिछले 3 दिनों में ही लगभग 3000 से ज्यादा आग लगने की घटनाएं जंगल में देखने को मिली हैं. जंगल की आग को रोकने के लिए काफी संख्या में वन विभाग को बल नियुक्त करना होगा. इसे लेकर अब तक वन विभाग की ओर से कोई भी ठोस रणनीति नहीं बनाई गई है. हालांकि अब सुनने में आ रहा है कि वन विभाग की ओर से कुछ फायर फाइटर एक्यूपमेंट खरीदने की प्रक्रिया शुरू की गई है.
सवाल :जंगली जानवरों की संख्या में कोई इजाफा नहीं हो पा रहा है, इसकी मुख्य वजह क्या हो सकती है ?
जवाब :इसकी मुख्य वजह है जंगलों में सरकार के द्वारा अपात्र लोगों को पट्टा बांटा जाना, जिनकी संख्या लाखों में है. वे जंगल में जाकर रह रहे हैं, इससे जंगल की समस्या और बढ़ रही है, जिसका हल नहीं निकाला जा रहा है.
सवाल : जंगली जानवरों के संरक्षण को लेकर सरकार का उदासीन रवैया रहा है, इसमें कितनी सच्चाई है?
जवाब : छत्तीसगढ़ में भालू, लेपर्ड काफी संख्या में हैं, लेकिन शिकारियों द्वारा इनका लगातार शिकार किया जा रहा है. इसकी पुष्टि समय-समय पर इन जानवरों के मिलने वाली खालों से हो रही है. पानी के लिए भालू बुरी तरह भटकते रहते हैं. ऐसे में सरकार को हिरण सहित अन्य जंगली जानवरों की भी सुरक्षा देने का प्रयास करना चाहिए.
सवाल :पक्षियों की संख्या में भी काफी कमी आई है. इन पक्षियों को संरक्षित करने के लिए क्या सरकार की ओर से कोई योजना बनाई गई है ?
जवाब :जंगल में लगी आग से वहां रहने वाले पक्षी भी बुरी तरह प्रभावित होते हैं. इसके बाद वे शहरों की ओर रुख करते हैं, लेकिन वहां फैला वायु प्रदूषण भी इन पंछियों की जान का दुश्मन बन जाता है. जिस वजह से यह पक्षी अब शहरों से भी दूर होते जा रहे हैं.