रायपुर : राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का तीन दिवसीय नव संकल्प चिंतन शिविर का रविवार को समापन हुआ. इन तीन दिनों में कांग्रेस ने पार्टी को मजबूत करने की रणनीति बनाई. कई महत्वपूर्ण सुझावों पर विचार किया गया है. इसके अलावा पार्टी ने आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं. इन सारी बातों का खाका 'नव संकल्प चिंतन शिविर' में तैयार किया गया.
नव संकल्प शिविर का आयोजन क्यों :चिंतन शिविर में लिए गए निर्णय का छत्तीसगढ़ की राजनीति में काफी असर दिखने वाला है. ईटीवी भारत ने चिंतन शिविर और छत्तीसगढ़ पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर वरिष्ठ पत्रकार रामावतार तिवारी से चर्चा की. तिवारी ने बताया ''चिंतन शिविर के माध्यम से कांग्रेस को जनता के करीब जाने, उनकी भावनाओं को समझने, उनकी समस्याओं को लेकर संघर्ष करने के साथ अपनी खुद की पार्टी और संगठन को खड़ा करने के लिए अवलोकन करने का मौका मिला है. अब देखने वाली बात है कि एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी इस देश को संवारने के लिए किस तरह से रणनीति बनाती है.''
राज्यों में गढ़ बचाना चुनौती : कांग्रेस तीन चार राज्यों तक सिमट गई है. छत्तीसगढ़ कांग्रेस का गढ़ रहा है. इस गढ़ को बचाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है. छत्तीसगढ़ सरकार के कृषि नीति की प्रशंसा चिंतन शिविर में की गई है. चिंतन शिविर में यह बात हुई है कि कैसे कांग्रेस ने किसानों के धान का समर्थन मूल्य, उनके वनोपज का समर्थन मूल्य, किसानों को उनका वाजिब हक देने का निर्णय लिया है. इसी तरह का प्रयास देश भर में करने की बात हुई. छत्तीसगढ़ की योजनाओं को अब राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है. खासकर कृषि नीति, वनवासियों की नीति और ग्रामीण परिवेश में किस तरह से रोजगार दिए गए. नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी ने कैसे छत्तीसगढ़ में क्रांति लाई. ये सारी बातें चिंतन शिविर में रखी (Discussion of Chhattisgarh model in Nav Sankalp Chintan Shivir) गई. छत्तीसगढ़ की नीतियों की राहुल, प्रियंका और सोनिया गांधी ने तारीफ की है.