रायपुर:छत्तीसगढ़ के चित्रसेन साहू ने ऑस्ट्रेलिया की सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा लहरा कर प्रदेश और देश का नाम पूरे विश्व में रोशन किया था. चित्रसेन ने अपने दोनों पैर एक सड़क हादसे में खो दिए थे. चित्रसेन ने इस हादसे के बाद हौसला नहीं खोया और छत्तीसगढ़ के माउंटेन मैन बने. आज चित्रसेन किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. अब चित्रसेन माउंटेनियरिंग के साथ-साथ स्विमिंग में भी हाथ आजमा रहे हैं. 20 से 22 मार्च को बेंगलुरु में पैरा स्विमिंग नेशनल गेम्स का आयोजन होने जा रहा है. चित्रसेन इसमें हिस्सा लेने के लिए रायपुर के इंटरनेशनल स्विमिंग पुल में प्रैक्टिस कर रहे हैं. ETV भारत ने इस प्रतियोगिता को लेकर चित्रसेन से खास बातचीत की.
चित्रसेन साहू से खास बातचीत सवाल:माउंटेनियरिंग के बाद किस तरह स्विमिंग में आए और स्विमिंग करने के बारे में कैसे सोचा ?
जवाब:चूंकि मेरे पैदाइश गांव से है तो स्विमिंग मुझे बचपन से आती थी, प्रोफेशनल स्विमिंग मुझे नहीं आती थी. अभी जब मै स्कूबा डाइविंग करने गया था तब मुझे लगा कि स्विमिंग भी सीखना चाहिए. जो नेशनल पैरा ओलंपिक होने वाले हैं बेंगलुरु में तो फिलहाल उसकी ट्रेनिंग कर रहा हूं.
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सवाल:दोनों पैर खोने के बाद स्विमिंग करना कितना मुश्किल होता है?
जवाब:पैरा ओलंपिक में अलग-अलग कैटेगरी होती है. चूंकि मेरे दोनों पैर नहीं है तो मैं उस कैटेगरी में स्विमिंग कर रहा है. शुरुआती दौर में बहुत मुश्किल आई. पैर फीनिंग की तरह काम करते हैं. मेरे पैर नीचे चले जाते हैं. स्विमिंग करते समय पूरा हाथ और अपर बॉडी से ही मैनेज करना होता है. थोड़ा मुश्किल तो था लेकिन अब धीरे-धीरे सीख रहा हूं. यहां जो कोच हैं उनके मार्गदर्शन में तैयारी चल रही है.
सवाल:स्विमिंग करते वक्त किस तरह की मुश्किलें आ रही हैं और किस परेशानी का सामना कर रहे हैं?
जवाब:मुश्किलें सभी जगह हैं, लेकिन खुद के अंदर जो मुश्किलों को ओवरकम और जूझने का तरीका होता है वह काफी इंपोर्टेंट होता है. स्विमिंग में भी वह चीज चाहिए वैसे ही हम सीख रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं.
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सवाल:स्विमिंग में बेसिक हाथ और पैर का मूवमेंट रहता है पैर ना होने पर तैरने में किस तरह की परेशानी आ रही है?
जवाब:पैर नहीं होने से जो फीनिंग एक्शन होता है पैर से वह नहीं हो पाता है. तैरते समय पूरा अपर बॉडी पर डिपेंड होना पड़ता है, जो कि बहुत मुश्किल होता है. फीनिंग नहीं करने पर शरीर पानी के अंदर जाने लगता है. मुश्किल तो है, लेकिन धीरे धीरे कर रहे हैं सीख रहे हैं.
सवाल:आज कल युवा थोड़ी मुश्किल पड़ने पर ही मानसिक तनाव और परेशानी में आ जाते हैं उनके लिए क्या कहना चाहेंगे?
जवाब:मैं हमेशा से बोलता हूं यह सारी चीजें पार्ट ऑफ लाइफ है. यह सामान्य प्रक्रिया है और इसे हम सामान्य प्रक्रिया मानकर ही चले तो काफी आसानी से आप उसे ओवरकम कर सकते हैं. अपनी जिंदगी में सफल हो सकते हैं.