रायपुरःधार्मिक ग्रंथों के अनुसार मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव काफी खुश होते हैं. इस पर्व पर पूर्ण आस्था और विश्वास के साथ पूजन-अर्चन करने वालों की मनोकामना भगवान शिव शंकर अवश्य पूरी करते हैं. शास्त्रों के अनुसार मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत (Monthly Shivratri and Pradosh Vrat) भगवान को बेहद प्रिय है. कहते हैं कि मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत रखकर भगवान शीघ्र को जल्द प्रसन्न किया जा सकता है.
चतुर्मास में इनका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. भगवान विष्णु चतुर्मास (Vishnu Chaturmas) में निद्रा योग में होते हैं और पृथ्वी का पूरा कार्यभर भगवान शिव के हाथों में सौंप दिया जाता है. ऐसे में इन चार महीनों में भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की मनोयोग और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (Chaturthi of Krishna Paksha) को मासिक शिवरात्रि व्रत रखा जाएगा.
यह 3 नवंबर 2021 बुधवार को है. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और पूरे विधि-विधान (legislation) के साथ भगवान शिव तखा माता पार्वती की पूजा करते हैं. ग्रंथों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, सीता और माता पार्वती ने भी भगवान शिव की अराधना की थी. मासिक शिवरात्रि पर अपनी वैचारिक शुद्धता और पवित्रता का खासा ध्यान होना चाहिए.
पूजा में रखें इसका खासा ध्यान, नहीं तो हो सकता है बड़ा नुकसान
- भगवान शिव को शंख से जल अर्पित करने की गलती न करें.
- पूजा के दौरान शंख का इस्तेमाल न करें. इसके पीछे मान्यता यह है कि भगवान शिव ने त्रिशूल से दैत्य शंखचूड़ का वध किया था. जिसके बाद उसका शरीर भस्म हो गया था. इसके भस्म होने के बाद ही शंख की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए उनकी पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं करते.
- अभिषेक के समय नारियल का जल का इस्तेमाल न करें. इसका काफी ध्यान रखें कि नारियल का जल शिवलिंग पर भूल कर भी अर्पित न करें.
- मान्यता के अनुसार भोलेशंकर को विध्वंसक कहा जाता है. इसलिए व्रत में कुमकुम और सिंदूर भगवान शिव को अर्पित न करें. माता पार्वती को सिंदूर अर्पित किया जा सकता है.
- मासिक शिवरात्रि के दौरान भगवान शिव को तुलसी पत्र अर्पित नहीं करना चाहिए. इस बात का भी ध्यान रखें कि पंचामृत में तुलसी का भोग नहीं लगाएं.