रायपुर:भोपाल में हुई स्कूल बस में दुष्कर्म की घटना के बाद से परिजन भी चिंतित हैं. आखिर बच्चे स्कूल बस में भी सुरक्षित नहीं हैं? आखिर इन नौनिहालों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार कौन है? ईटीवी भारत की टीम ने सामाजिक कार्यकर्ता, पेरेंट्स, ट्रैफिक पुलिस, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन से इस गंभीर मुद्दे पर बातचीत की है. आइये जानते हैं उनकी क्या प्रतिक्रियाएं (school buses of Chhattisgarh ) हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता उचित शर्मा का कहना है कि "आइडल व्यवस्था तो वो है जो स्कूलों को सुरक्षा की दृष्टि से पूरे स्टाफ का पुलिस जांच कराई जाए. लेकिन वैसा ट्रैक रिकार्ड प्रबंधन के द्वारा नहीं रखा जाता. कुछ बड़े स्कूल को छोड़कर बाकि सभी स्कूल ऐसा नहीं करते. भोपाल की घटना को मानसिक विकार के रूप में देखता हूं. लेकिन छत्तीसगढ़ में स्कूल बसों में सुरक्षा होनी (Monitoring of security in school buses) चाहिए.
कुछ स्कूलों में तो व्यवस्था बहुत अच्छी है लेकिन 90% स्कूलों में सुरक्षा के मापदंड नहीं हैं. यह बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा मामला है. इसका सही तरीके से पालन नहीं होता. इसके लिए स्कूल के मालिक, स्कूल प्रबंधन, परिजन सभी जिम्मेदार हैं. ज्यादातर स्कूल खर्चे बचाने के लिए तमाम व्यवस्था उपलब्ध कराने से बचते हैं. बस के अंदर CCTV होना चाहिए लेकिन वो कभी चालू नहीं होते. ये केवल कागजों में दिखावे के लिए सुरक्षा के मापदंड पूरा करते हैं. हकीकत में कुछ भी नहीं होता. शिक्षा विभाग में लाखों शिकायत हैं लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं होती."
क्या कहना है परिजनों का: ईटीवी भारत की टीम ने अलग अलग बच्चों के परिजनों से बात की. परिजनों का कहना है कि बच्चे सुरक्षित घर से स्कूल जाएं. हम ड्राइवर कंडक्टर और आया बाई पर विश्वास करते हैं कि वो बच्चे को देखें. किस तरह से गाड़ी में बैठ रहे हैं. चढ़ते उतरते समय इन सब चीजों को ध्यान दें.
कुछ परिजन का कहना है कि हम बस में बच्चों को भेजना सुरक्षित मानते हैं. बस में ड्राइवर कंडक्टर, आया बाई, टीचर्स मौजूद होते हैं लेकिन कुछ स्कूल की लापरवाही रहती है कि बच्चे बड़े हो रहे हैं तो वो खुद से आएंगे. लेकिन उनको डेली अटेंडेंस लेना चाहिए. जीपीएस की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि हम सर्च कर सकें कि बस कहां पहुंची है. मेरा टीचर से रिक्वेस्ट है, प्रिंसिपल से रिक्वेस्ट है कि आखिरी स्टॉपेज तक बच्चों के साथ एक केयरटेकर जरूर रखें ताकि घर पहुंचते तक उसका ध्यान रखा जा सके.
क्या कहना है प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का: निजी स्कूल संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता का कहना है कि "भोपाल में जो घटना हुई, वो दुर्भाग्यजनक है. जहां तक प्राइवेट स्कूलो के बसों का मामला है तो बसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट इस मामले में स्पष्ट हैं. जिसका पालन सारे स्कूल कर रहे हैं. परिवहन कार्यालय भी उसको बहुत कड़ाई से पालन कराता है. एक ड्राइवर कंडक्टर के साथ एक आया बाई रहेगी. इससे प्राइवेट स्कूलों का खर्चा बढ़ जाता है, लेकिन सभी पालन कर रहे हैं. उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सुरक्षा से जुड़े सभी नियमों को कड़ाई से पालन करें ताकि छत्तीसगढ़ जैसे शांत प्रदेश में ऐसी घटना ना घट सके.
क्या कहना है पुलिस का:स्कूल बसों में सुरक्षा को लेकर यातयात डीएसपी सतीश ठाकुर का कहना है कि "जो भी स्कूल बस संचालित है, सभी स्कूल बस के संचालकों की मीटिंग लेकर सभी को दिशा निर्देश दिया गया है. सभी स्कूल बसों का परीक्षण भी हमने किया है. चालक परिचालक का लाइसेंस, मेडिकल फिटनेस, सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन सभी को पालन करने का निर्देश दिया जाता है. निर्देश का उल्लंघन करने पर यातायात विभाग द्वारा कार्रवाई भी की गई है. सुरक्षा को लेकर हर साल फिटनेस चेक का काम भी किया जाता है.''Raipur news today