रायपुरः छत्तीसगढ़ कांग्रेस लगातार यह आरोप लगा रही है कि केंद्र सरकार की तीन कृषि कानून (agricultural law) किसानों के हित में नहीं है. कांग्रेस का यह भी आरोप है कि इस कानून के लागू होने से देश में मंडियां (Mandis) समाप्त हो जाएंगी. यदि हम छत्तीसगढ़ की बात करे तो ज्यादातर कृषि मंडी (farmers markets) पहले से ही बंद हैं. एक अनुमान के मुताबिक लगभग 80 से 90 फीसदी मंडियों पर ताले लगाे हैं. जिससे किसानों को मजबूरी में अपनी उपज औने-पौने दामों (throwaway prices) पर व्यापारियों के हाथों बेचना पड़ रही है. इससे उनकी उपज (Yield) की लागत भी नहीं निकल पा रही है.
किसान कम दाम पर उपज बेचने को हैं मजबूर
कृषि उपज मंडी (agricultural produce market) बंद होने से किसानों में काफी आक्रोश है. उनका कहना है कि समर्थन मूल्य (support price) पर सरकार को धान सहित अन्य अनाज देने के बाद बचे हुए उत्पाद को उन्हें खुले बाजार में बेचना पड़ता है. कृषि मंडी बंद (market closed) होने की वजह से वह यह अनाज कम दामों पर व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर है. हालांकि उन्होंने प्रदेश की मंडी बंद होने के पीछे कहीं न कहीं पूर्व की भाजपा सरकार को भी जिम्मेदार (BJP government responsible) ठहराया है. किसान नेताओं का कहना है कि 15 सालों में भाजपा सरकार के द्वारा मंडी को बढ़ाने की कोई बड़ी पहल नहीं की गई. इस वजह से किसानों को अपनी फसल पानी के भाव व्यापारियों को बेचना पड़ रहा है.
235 में महज 7 कृषि उपज मंडिया हैं चालू
किसान नेता का कहना है कि प्रदेश में 235 मंडियां हैं. जिसमें से मात्र 7 मंडियां ही चालू हैं. बाकी मंडियां बंद हो गई हैं. जिस वजह से किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि मंडियों का चुनाव जल्द हो और इसे जल्दी से शुरू किया जाय. ताकि किसानों को उनके मेहनत-पसीने के रूप में उगाए गए फसलों का उचित मूल्य मिल सके. वह इस मांग को लेकर किसान संगठन के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे.