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छत्तीसगढ़ की कृषि उपज मंडियों पर लगे ताले, पक्ष-विपक्ष आमने-सामने

केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन कृषि बिलों (three agricultural bills) को लेकर रायपुर में मामला गरमाने लगा है. भाजपा और कांग्रेस (BJP and Congress) के बीच इस मुद्दे पर वाकयुद्ध ( war of words) शुरू हो चुका है. छत्तीसगढ़ में लंबे समय से बंद पड़े कृषि मंडी (farmers markets) तथा किसानों की फजीहत (farmers plight) को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है.

Locks on Chhattisgarh's agricultural produce markets, pros and cons face to face
छत्तीसगढ़ की कृषि उपज मंडियों पर लगे ताले, पक्ष-विपक्ष आमने-सामने

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Published : Sep 16, 2021, 9:37 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 10:24 PM IST

रायपुरः छत्तीसगढ़ कांग्रेस लगातार यह आरोप लगा रही है कि केंद्र सरकार की तीन कृषि कानून (agricultural law) किसानों के हित में नहीं है. कांग्रेस का यह भी आरोप है कि इस कानून के लागू होने से देश में मंडियां (Mandis) समाप्त हो जाएंगी. यदि हम छत्तीसगढ़ की बात करे तो ज्यादातर कृषि मंडी (farmers markets) पहले से ही बंद हैं. एक अनुमान के मुताबिक लगभग 80 से 90 फीसदी मंडियों पर ताले लगाे हैं. जिससे किसानों को मजबूरी में अपनी उपज औने-पौने दामों (throwaway prices) पर व्यापारियों के हाथों बेचना पड़ रही है. इससे उनकी उपज (Yield) की लागत भी नहीं निकल पा रही है.

छत्तीसगढ़ की कृषि उपज मंडियों पर लगे ताले

किसान कम दाम पर उपज बेचने को हैं मजबूर

कृषि उपज मंडी (agricultural produce market) बंद होने से किसानों में काफी आक्रोश है. उनका कहना है कि समर्थन मूल्य (support price) पर सरकार को धान सहित अन्य अनाज देने के बाद बचे हुए उत्पाद को उन्हें खुले बाजार में बेचना पड़ता है. कृषि मंडी बंद (market closed) होने की वजह से वह यह अनाज कम दामों पर व्यापारियों को बेचने के लिए मजबूर है. हालांकि उन्होंने प्रदेश की मंडी बंद होने के पीछे कहीं न कहीं पूर्व की भाजपा सरकार को भी जिम्मेदार (BJP government responsible) ठहराया है. किसान नेताओं का कहना है कि 15 सालों में भाजपा सरकार के द्वारा मंडी को बढ़ाने की कोई बड़ी पहल नहीं की गई. इस वजह से किसानों को अपनी फसल पानी के भाव व्यापारियों को बेचना पड़ रहा है.

235 में महज 7 कृषि उपज मंडिया हैं चालू

किसान नेता का कहना है कि प्रदेश में 235 मंडियां हैं. जिसमें से मात्र 7 मंडियां ही चालू हैं. बाकी मंडियां बंद हो गई हैं. जिस वजह से किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि मंडियों का चुनाव जल्द हो और इसे जल्दी से शुरू किया जाय. ताकि किसानों को उनके मेहनत-पसीने के रूप में उगाए गए फसलों का उचित मूल्य मिल सके. वह इस मांग को लेकर किसान संगठन के नेतृत्व में मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे.

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खुद के घर नहीं संभलते जिनके, वह दूसरों के घरों में झांकते हैं

वहीं, विपक्ष का भी कहना है कि कांग्रेस किसानों के नाम पर सिर्फ राजनीति (Congress politics in the name of farmers) कर रही है. कांग्रेस किसानों को कृषि बिल के नाम पर गुमराह करने का काम कर रही है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता (state spokesperson) संजय श्रीवास्तव ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार पर यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है कि 'जिनसे खुद के घर नहीं संभाले जाते, वह दूसरों के घरों में झांका करते हैं'. किसानों की स्थिति सुधारने के लिए 3 नए कानून लाए गए लेकिन कांग्रेस को डर है कि कहीं यह कानून लागू होने से उनकी पार्टी ही समाप्त न हो जाए.

इसलिए वह लगातार इस मामले को लेकर किसानों को गुमराह (Astray) करने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस के द्वारा कहा जा रहा है कि कृषि कानून के तहत मडियां बंद (Muds closed) की जाएंगी. जबकि कृषि कानून में ऐसा कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है. श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश की कृषि मंडियों को भी कांग्रेस सरकार सही तरीके से संचालित नहीं कर पा रही है. जिस कारण से किसानों को ओने-पौने भाव पर अपनी उपज व्यापारियों (merchants) को बेचना पड़ रहा है.

टाल-मटोल पर उतरे सीएम

छत्तीसगढ़ की बंद मंडियों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गोलमोल जवाब देते नजर आए. उन्होंने कहा कि प्रदेश में मंडी बंद होने जैसी स्थिति नहीं है. हमारे यहां राहुल गांधी ने कहा है कि मंडियों का विकेंद्रीकरण किया जाए. पूर्व में धान खरीदी केंद्र को बढ़ा कर डेढ़ गुना कर दिया गया. सभी धान खरीदी केंद्र को सोसायटी बना दिया गया. हमने लगातार इसकी व्यवस्था की है लेकिन भारत सरकार ने जो तीन काले कानून लाए हैं, उससे निश्चित तौर पर इसका प्रभाव मंडी पर पड़ेगा.

Last Updated : Sep 16, 2021, 10:24 PM IST

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