रायपुर:कोरोना संक्रमण की वजह से जारी लॉकडाउन से सबसे ज्यादा परेशान मजदूर वर्ग है. सरकार प्रवासी मजदूरों को घर भेजने के दावे कर रहा है, बावजूद इसके अब भी घर जाने के लिए मजदूरों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है .
ETV भारत से मजदूर ने अपना दर्द किया बयां ETV भारत ने रायपुर के कलेक्ट्रेट में घर जाने का आवेदन लेकर पहुंचे मजदूरों से बातचीत की, तो उनके आंसू झलक पड़े, पिछले चार दिन से घर जाने के लिए पास बनवाने आए मजदूरों ने बताया कि 'वे कई बार यहां आकर आवेदन कर चुके हैं, लेकिन उनके घर जाने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है. सिर्फ एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं'.
रायपुर कलेक्ट्रेट में आवेदन करते मजदूर ETV भारत के सामने छलके मजदूरों के आंसू
उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के रहने वाले ओम प्रकाश कुशवाहा ने बताया कि 'वे लोग शहर के जयस्तंभ चौक पर रुके हुए हैं'. इसके साथ ही उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि 'मुझे मेरे घर सही सलामत भेज दीजिए, अगर आप नहीं भेज सकते, तो मैं खुद पैदल चला जाऊंगा, या मैं जिंदा रहूंगा या मर जाऊंगा. घर जाने के लिए तीन जगह आवेदन किया है, लेकिन कब घर भेजा जाएगा यह कोई नहीं बताता, सिर्फ कहते हैं धैर्य रखो 52 दिन हो गए हैं अब कितना संतोष करूं, सरकार हमसे पैसे ले, लेकिन हमें हमारे घर वापस छोड़ दे'.
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कलेक्ट्रेट के चक्कर लगाने को मजबूर मजदूर
बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मोहम्मद शकील अहमद और एजाज आलम घर जाने के लिए कलेक्ट्रेट का चक्कर लगाने को मजबूर हैं. उन्होंने बताया कि 'घर जाने के लिए आवेदन किया है, लेकिन जाने की सही व्यवस्था के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है. फॉर्म भरने के बाद कहा जाता है कि आज आना, फिर कल आना'. उन्होंने बताया कि 'खाने की भी बहुत परेशानी हो रही है, पैसे भी नहीं है कि खुद की गाड़ी करके घर वापस चले जाएं. कई घंटों से यहां कलेक्ट्रेट आकर परेशान हो रहे हैं'.