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जन्माष्टमी पर माखन का भोग लगाना ना भूलें - श्रीकृष्ण जन्माष्टमी

भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2022 का पावन पर्व मनाया जाता है. इस बार जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाएगी. 18 अगस्त को गृहस्थ और 19 अगस्त को साधु संत जन्माष्टमी मनाएंगे.

Janmashtami 2022
जन्माष्टमी

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Published : Aug 16, 2022, 8:40 AM IST

रायपुर: 16 कलाओं से युक्त भगवान श्रीकृष्ण के अनुयायी पूरे विश्व में हैं. हर रूप में कृष्ण ने समाज को अलग दर्शन दिया है. हम भी उनके तमाम रूपों की पूजा कर आनंदित होते हैं. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. इस पावन मौके पर भगवान कान्हा की मोहक छवि को भक्त पूजते हैं. जन्माष्टमी पर कृष्ण भक्त रात बारह बजे तक व्रत रखते हैं. इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और कान्हा को झूला झुलाया जाता है. कई जगह रासलीला का आयोजन होता है.

  • भाद्र पक्ष की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है.
  • जो लोग भगवान कृष्ण के पूजा अर्चना करना चाहते हैं, उनके लिए सही तरीका यह है कि वह सुबह उठे और स्नान करके उपवास का संकल्प लें. कृष्ण मंदिर जाकर पूजा करें.
  • जो लोग उपवास रखना चाहते हैं तो दो तरीकों से निर्जला या फलाहार कर उपवास रख सकते हैं.

रात 12 बजे तक व्रत का पालन करें:

  • भगवान कृष्ण चंद्रवंशी माने जाते हैं उनके जन्म के समय चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने के बाद अगले दिन सुबह जब नक्षत्र पूर्ण हो जाता है, तिथि पूर्ण हो जाती है उस समय तक व्रत का पालन किया जाता है.
  • उसके बाद स्नान करने के बाद कृष्ण की पूजा करने के बाद अपना व्रत खोल सकते हैं.

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कृष्ण के बाल रूप का करें श्रृंगार:

  • भगवान श्री कृष्ण का बाल गोपाल रूप सबसे भव्य माना जाता है.
  • भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की झांकी बना सकते हैं और श्रृंगार कर सकते हैं.

माखन, दही और दूध का भोग लगाएं:

  • गोपाल को माखन मिश्री बहुत पसंद है. भोग में माखन मिश्री, दही, दूध और मेवा को जरूर शामिल करें. पूजा में फलों को भी शामिल करें.
  • जन्माष्टमी के दिन रात 12 बजे श्री कृष्ण की पूजा करने के दौरान उनकी मूर्ति का दूध से अभिषेक करें. इससे घर में अपार धन संपदा बना रहती है. आरती करते प्रसाद लगाएं और भोग ग्रहण करें.
  • ऐसी मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने से जीवन में सफलता मिलती है और कर्म क्षेत्र में निरंतर उन्नति मिलती है.

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