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World bicycle Day 2022 : प्रोफेशन बदलकर खोला साइकिल शो रूम, जानिए 'द बाइसाइकिल कैफे' की कहानी - Movement on two pedal sutures

World bicycle Day 2022 :आज वर्ल्ड बाइसाइकिल डे है. इस दिन लोग साइकिल के बारे में एक दूसरे को जागरुक करते हैं.आज हम आपको ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं.जिसके जीवन में साइकिल ने बड़ा बदलाव लाया है.

Know the story of 'The Bicycle Cafe'
जानिए 'द बाइसिकिल कैफे' की कहानी

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Published : Jun 3, 2022, 3:32 PM IST

Updated : Jun 3, 2022, 4:25 PM IST

रायपुर :पूरी दुनिया में हर साल 3 जून को वर्ल्ड बायसाइकिल डे (World bicycle Day 2022 ) मनाया जाता है, विश्व साइकिल दिवस के मौके पर हम आपको ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं. जिसके जीवन में बायसाइकिल ने ही उनका प्रोफेशन बदल दिया. आज वो साइकिलिंग के साथ-साथ इसका व्यवसाय भी कर रहे हैं. पिछले 15 साल से मीडिया में काम कर रहे राघवेंद्र साहू पत्रकारिता का प्रोफेशन छोड़ने के बाद रायपुर में बाइसाइकिल कैफे का संचालन कर रहे हैं. ईटीवी भारत में इस खास मौके पर उनसे बातचीत की..

World bicycle Day 2022 : प्रोफेशन बदलकर खोला साइकिल शो रूम
सवाल- आपने एक लंबा समय पत्रकारिता में दिया है लेकिन आपने अपना फील्ड क्यों बदला?जवाब- आज से 3 साल पहले मैं वर्ल्ड बाइसाइकिल डे के मौके पर अपनी बेटी के लिए साइकिल खरीदने गया था, और मुझे साइकिल पसंद आई और मैं साइकिल लेकर आ गया. उस दिन से जो लगातार साइकिलिंग करना शुरू की. जिसका सफर आज भी है. साइकिलिंग के कारण ही मैंने अपना प्रोफेशन बदला, कोरोना संक्रमण के दौरान मेरा वजन बढ़ने लगा था, वजन कम करने के लिए साइकिलिंग ही एक बेस्ट तरीका नजर आया, रोज एक घंटे साइकिलिंग करने के कारण मेरा वजन कम हो गया. साइकिलिंग करते करते जब फील्ड बदलने की बारी आई तो मैंने अपने पंसद की चीज को अपना प्रोफेशन बना लिया. 15 साल पहले जब मैं मीडिया में आया था तो पत्रकारिता मुझे बहुत पसंद थी, और आज जब मैं अपना प्रोफेशन बदला हूं तो मुझे साइकिलिंग करना बहुत पसंद है इसलिए मैं इस प्रोफेशन में आया (made cycling a profession) हूँ.सवाल- बाइसिकल का व्यवसाय कर पाना कितना चुनौतीपूर्ण रहा अपने कैसे मार्केट रिसर्च की? जवाब- साइकिलिंग करते-करते मुझे यह समझ आ गया था की सेहत के लिए यह फायदेमंद चीज . आज के दिनों में रोजाना शादी-ब्याह होते हैं. हजारों की संख्या में बच्चे पैदा होते हैं. बच्चों के पहले खिलौने के बाद अगर कोई इसके प्रति आकर्षित होता है तो वह साइकिल है. एक बच्चा कम से कम चार से पांच साइकिल इस्तेमाल करता है. मेरी खुद की बेटी के लिए मैंने साइकिल खरीदी थी, इसके अलावा शौकिया तौर पर भी लोग साइकिलिंग करते हैं, सेहत के लिहाज से और बढ़ते हुए पेट्रोल के दाम को देखते हुए लोगों का रुझान वापस साइकिल की ओर बढ़ा है, अगर हम रोजाना 30 से 40 मिनट साइकिलिंग करें तो डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से दूर रहा जा सकता है. साइकिलिंग करने से सेहत के लिए भी फायदा है और पेट्रोल के खर्च को बचाने के लिए भी फायदा (health benefits of cycling) है.सवाल- साइकिल का ट्रेंड किस तरह बदला है आज के समय में लाखों रुपए की भी साइकिल आती है सामान्य साइकल और महंगी कितना अंतर है?जवाब- साइकिल के लिए लोगों का रुझान भी बड़ा है और साइकिल में बहुत सारे प्रयोग लगातार हो रहे हैं. इसमें दाम भी मटेरियल के अनुसार बढ़ते है. बेसिकली तीन तरह की साइकिल होती है एमटीबी रोड बाइक और हाइब्रिड साइकिल . जो लाख रुपए के साइकिल आती है वह कार्बन फ्रेम से बनी हुई होती है. यह लाइट वेट साइकिल होती है जिनका वजन 7 से 8 किलो होता है, जितने लाइटवेट साइकिल होंगी. उतना कम मेहनत साइकिलिंग के लिए लगेंगी. सामान्य साइकिल 5000 से शुरू हो जाती और 10 लाख रुपए से भी ज्यादा की साइकिल आती है. रायपुर शहर में भी सवा लाख डेढ़ लाख रुपए की साइकिल आम बात है. रोड बाइक साइकिल बहुत महंगी आती है, साइकिल के दाम मटेरियल पर निर्भर करते हैं कि वह कार्बन फ्रेम से बनी हुई है या स्टील फ्रेम से या फिर एल्यूमीनियम फ्रेम . सामान्यता स्टील फ्रेम की साइकिल सस्ती आती है और कार्बन फ्रेम की साइकिल सबसे ज्यादा महंगी आती है. सवाल- साइकिलिंग ने आपके प्रोफेशन को ही बदल दिया अब तक आपने कितने किलोमीटर साइकिल चलाई है ? जवाब- मैंने इवेंट्स में पार्टिसिपेशन किया है. जब मैंने साइकिल इन की शुरुआत की थी तो उस दौरान बस्तर में दो पैडल सुपोषण पर आंदोलन (Movement on two pedal sutures) हुआ था. वहां के जिला प्रशासन द्वारा कुपोषण के खिलाफ जागरूकता लाने के लिए 95 किलोमीटर की साइकिलिंग इंवेट करवाया गया था.इस दौरान मैंने 95 किलोमीटर की राइड पूरी की .मैंने 100 किलोमीटर साइकिलिंग राइड पूरी की. बस्तर के बीहड़ इलाकों से पहाड़ी इलाकों से होकर गुजरना था. और लगातार मेरा पैशन बढ़ता गया. हर मौके पर आयोजन होते रहते हैं.सवाल- लॉकडाउन के दौरान लोगों का रुझान साइकिलिंग की ओर बढ़ा था. साइकिल की बिक्री भी बहुत हुई थी अभी कैसा मॉर्केट है?जवाब- कोविड के समय में लोगों में जागरूकता बढ़ी थी,उस समय जिम बंद था ,लोगों को वर्कआउट करने के लिए समस्या आ रही थी. उस दौरान घर में लोगों ने बैठकर जमकर खाना भी खाया है. जिससे उनका वजन बढ़ा, बाद में लोगों को सेहत की चिंता भी हुई. इस दौरान साइकिलिंग एक बेस्ट माध्यम था और लोगों ने जमकर साइकिलिंग की. जब आप पैदल चलते हैं तो आप एक निश्चित दूरी पर जाते हैं और सारे व्यू वहीं नजर आएंगे. लेकिन जब आप साइकिलिंग करते हैं तो अलग-अलग दिन आपका व्यू बदलता है. अलग-अलग जगहों पर जा सकते हैं.सवाल- आपकी दुकान में बहुत साइकिल के अलावा इतने सारे पौधे क्यों रखे हुए है? जवाब- शुरुआत से ही ग्रीनरी और पर्यावरण को लेकर मेरा रुझान रहा है. मेरा मानना है कि जो लोग साइकिल चलाते हैं. वे कही पर्यावरण प्रेमी है. जब कोई साइकिल चलाता है. तो वह कार्बन का उत्सर्जन नहीं करता. साइकिल चलाकर कहीं ना कहीं पर्यावरण को सुरक्षित करने का काम करते हैं. अगर थोड़ा समय भी हम मोटर गाड़ी चलाना छोड़ कर साइकिल चलाएं तो पर्यावरण में बहुत सुधार आ जाएगा. साइकिल का शोरूम खोलने के बाद मेरा पहले दिन से ही यह मोटिव था, जो लोग साइकिल खरीद रहे हैं वे पर्यावरण बचाने की दिशा में काम कर रहे हैं. ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए मैं अपनी ओर से पौधा गिफ्ट करता हूं, और इसके साथ एक गमला भी गिफ्ट करता हूं. ऐसा करने से मुझे खुशी मिलती है. साढ़े 6 महीने में मैंने 250 साइकिल सेल की है और 250 पौधे अब तक गिफ्ट किया है. हर साइकिल खरीदने वाले लोगों को मैं पौधा गिफ्ट करता हूं और आगे भी यह कार्य जारी रहेगा.
Last Updated : Jun 3, 2022, 4:25 PM IST

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