रायपुर :घर का सपना हर कोई देखता है. इस सपने को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने सभी के बजट को ध्यान में रखते हुए हाउसिंग बोर्ड से मकान और फ्लैट का निर्माण करवाया है . यहां व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स भी बनवाए गए. बीजेपी शासन काल में तैयार किए गए मकानों को अब तक खरीददार नहीं मिल सके हैं. व्यावसायिक परिसर भी वीरान पड़े हुए हैं. इस वजह से छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी है.
हाल ही में बघेल कैबिनेट की बैठक में इन मकानों को लेकर फैसला लिया गया. बैठक में नई विक्रय नीति और भाड़ाक्रय योजना के अंतर्गत छूट दिए जाने की योजना बनाई गई. हाउसिंग बोर्ड के तहत अलग- अलग जिलों में मकान बनाए गए हैं. इस योजना का सभी हाउसिंग बोर्ड की संपत्तियों में लाभ मिलेगा. इन मकानों और व्यावसायिक परिसरों को मेला लगाकर बेचा जाएगा.
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हाउसिंग बोर्ड की स्कीम का फायदा
छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के बनाए गए मकान, फ्लैट और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स को लेकर जब ईटीवी भारत ने कुछ स्थानीय लोगों से बात की. उनका कहना था कि हाउसिंग बोर्ड लागत मूल्य पर मकान, फ्लैट और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स सेल करती है. इससे आम लोगों को फायदा होगा, लेकिन वर्तमान समय में कोरोना और लॉकडाउन के कारण बहुत से लोग आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. ऐसे समय में हाउसिंग बोर्ड ने जो योजना बनाई है उसका फायदा लोगों को जरूर मिलेगा.
1200 करोड़ रुपये की संपत्ति 8 साल से नहीं बिकी
छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अध्यक्ष कुलदीप जुनेजा ने बताया कि राज्य सरकार ने हाल ही में कैबिनेट की बैठक में विभिन्न फैसलों के साथ ही हाउसिंग बोर्ड के इस प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की है. लोगों को एकमुश्त राशि देने पर 5 से 10% की छूट और किस्तों में संपत्ति लेने की सुविधा दी जा रही है. छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड की लगभग 1200 करोड़ रुपए की संपत्ति की बिक्री लगभग 8 साल से नहीं हो पा रही है. इसकी वजह से हाउसिंग बोर्ड की स्थिति भी थोड़ी खराब हो चुकी है. ऐसे में इससे उबरने के लिए नई विक्रय नीति और भाड़ाक्रय योजना के अंतर्गत छूट प्रदान की गई है.
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