रायपुर/हैदराबादःज्योतिष शास्त्र के मुताबिक करवाचौथ पर आटे की दीये से पूजा करने से पति दीर्घायु होता है. इसलिए कहा गया है कि इस व्रत पर आटे का दीया ही प्रयोग में लाना चाहिए. चूंकि, यह व्रत पतियों की लंबी उम्र के लिए ही रखा जाता है. आटे के दीये को काफी शुद्ध और अन्न से निर्मित होने के कारण ज्यादा महत्व दिया गया है. इस आटे का दीया जलाने (Lighting A Lamp) से और विधि-विधान (Legislation) से पूजा-पाठ करने से व्रत का दोगुना लाभ मिलता है. साथ ही साथ आटे का दीया संकट दूर करने और प्रेम बढ़ाने वाला माना गया है.
व्रत में दीपक का प्रयोग करने से करवा मां काफी प्रसन्न हो जाती हैं. देवी अन्नपूर्णा का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. मां भवानी, हनुमानजी, श्रीगणेश, भोलेनाथ शंकर, भगवान विष्णु, के अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण (Shri Ram And Shri Krishna) आदि सभी मंदिरों में आटे का दीया जलाया जाता है. माना जाता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. संतान प्राप्ति, खुद का घर-गृह क्लेश दूर करने, पति-पत्नी के बीच प्रेम (Love Between Husband And Wife), जमीन-जायदाद, कोर्ट कचहरी आदि में विजय आशीर्वाद (Victory Blessing) प्राप्त करने के लिए यह व्रत किया जाता है.
आटे का दीया सुहागिनें अपने हाथों से बनाती हैं. इस आटे में हल्दी भी मिलाया जाता है. शाम के समय इसी दीये में घी रख कर चांद और भगवान की पूजा की जाती है. आटे का दीया संतान सुख देने वाला होता है. वह संकट दूर करने वाला और बड़ी कामना की पूर्ति के लिए होता है.
सरगी का है अपना बड़ा महत्व